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भारत की सुरक्षा स्थिति कभी इससे पहले इतनी संवेदनशील और जटिल नहीं हो गई है। हमेशा पूर्व मुख्य रक्षा अध्यक्ष (CDS) जनरल बिपिन रावत ने कहा था कि भारतीय सेना दो मोर्चों पर युद्ध की तैयारी करती है। ये दो मोर्चे चीन और पाकिस्तान के साथ युद्ध के संभावित खतरों से थे। लेकिन आज का दौर बहुत अलग है। भारतीय सेना अब दो नहीं, चार मोर्चों के खतरे से गुजरी जा रही है, जो देश की सुरक्षा रणनीति को चुनौती दे रहे हैं।
चीन और पाकिस्तान के साथ बाहरी मोर्चे
चीन और पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय संबंध कभी भी अच्छे नहीं रहे, और दोनों देशों के बीच एक असाधारण साझेदारी ने भारतीय सुरक्षा को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। चीन के साथ सीमा पर तनाव कई बार बढ़ चुका है, विशेषकर 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद। चीन ने भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की कोशिश की थी, लेकिन भारतीय सेना ने उसे कड़ा जवाब दिया। हालांकि, चीनी सेना को अब युद्ध में उलझने की हिमाकत नहीं है, क्योंकि उसने भारतीय सेना की शक्ति को देख लिया है। चीन अब केवल सीमित संघर्षों या सीमाओं पर हलचल पैदा कर सकता है, लेकिन एक बड़े युद्ध की स्थिति में उसे भारत से टकराने का साहस नहीं है।
पाकिस्तान की भी स्थिति कुछ अलग नहीं। पाकिस्तान आंतरिक सुरक्षा में बाधाओं का सामना करने में व्यस्त है। बलूच आर्मी, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP), और पाकिस्तान-occupied कश्मीर (POK) में पार्थिव प्रदर्शन ने उसे दबाव में ले रखा है। पाकिस्तान जैसे हमले में भाग लेने का खतरा कम हुआ है, वह हमेशा भारत पर शरारत बरपाता रहता है। पाकिस्तान का आत्मेनम्यथ फोकस भी आंतरिक कलहों पर टिका रहता है, जब वह हिंद-पाक साजिश और गैरनेशन में तेज ही तेज चोट लगाने के लिए आमादा होता है।
अब एक नया मोर्चा भी सामने आया है, और वह है बांग्लादेश। बांग्लादेश में आतंकी समूहों की गतिविधियाँ, और उनके चीन और पाकिस्तान के साथ संभावित गठजोड़ ने भारत की सुरक्षा चिंताओं को और बढ़ा दिया है। यदि बांग्लादेश किसी तरह पाकिस्तान या चीन के पक्ष में खड़ा होता है, तो भारत को एक नया और गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है। बांग्लादेश का आतंकवाद से कनेक्शन, और उस क्षेत्र की सुरक्षा स्थिरता भारत के लिए एक बड़ी चिंता बन गई है।
आंतरिक मोर्चा: सबसे बड़ा खतरा
भारत के सामने सबसे बड़ा और शायद सबसे खतरनाक मोर्चा आंतरिक है। पिछले कुछ वर्षों में विपक्षी दलों ने न केवल सरकार के खिलाफ अविश्वास फैलाने की कोशिश की है, बल्कि आंतरिक अशांति फैलाने के प्रयास भी तेज कर दिए हैं। विपक्ष, खासकर वामपंथी और मुस्लिम संगठनों का एक बड़ा हिस्सा, विभिन्न मुद्दों को लेकर देश में तनाव बढ़ाने की कोशिश में है। वक्फ संशोधन और अन्य विवादास्पद विषयों पर खुलेआम धमकियाँ दी जा रही हैं, और यह सब एक बड़ी योजना का हिस्सा लग रहा है जिससे देश में गृह युद्ध जैसी स्थिति उत्पन्न की जा सके।
प्रयास स्पष्ट हैं कि भारत के विभिन्न हिस्सों में हिंसा और अशांति फैलाई जा रही है, और यह स्थिति चिंताजनक है। विपक्ष को यह समझना होगा कि देश की सुरक्षा और स्थिरता एक राजनीतिक खेल नहीं है। यह जैसी आंतरिक अशांति राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा बन सकती है, जो विदेशों से आने वाले खतरों से कहीं अधिक हानिकारक हो सकती है।
भारतीय सेना के लिए वर्तमान में चार मोर्चों पर खतरे हैं: चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश, और आंतरिक अस्थिरता। भारत को इन चार मोर्चों का सामना करने के लिए एक शक्तिशाली रक्षा रणनीति की आवश्यकता होगी, जिसमें न सैन्य बलों की जरूरत होगी, न ही आंतरिक सुरक्षा बलों का सही तरीके से इस्तेमाल करना होगा।
सुरक्षा बलों को इन चार मोर्चों के खतरे के लिए तैयारी करनी होगी और उद्योग जगत से समर्थन की भी आवश्यकता महसूस हो रही है। वायुसेना और अन्य सेना प्रमुखों ने भी यह दिशा अपनी चिंता जाहिर की है, और यह जरूरी है कि भारत अपनी रक्षा क्षमताओं को और सुदृढ़ करे।
आखिरकार, भारत को यह समझने की जरूरत है कि बाहरी और आंतरिक सुरक्षा दोनों महत्वपूर्ण हैं। देश की समग्र सुरक्षा की स्थिति का कोई स्थिर समाधान तभी संभव है जब इन चारों मोर्चों को समग्र तरीके से संभाला जाए।
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