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26 अप्रैल, लखनऊ: भारतीय न्यायपालिका और सामाजिक विमर्श में ऐतिहासिक स्थान रखने वाला शाह बानो मामला एक बार फिर चर्चा में है। इस बार यह गाथा सिनेमा के माध्यम से बड़े पर्दे पर जीवंत होने जा रही है।
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, शाह बानो प्रकरण और उससे जुड़ी संवेदनशील सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियों पर आधारित एक सशक्त फीचर फिल्म का निर्माण हो रहा है, जिसका निर्देशन सुपर्ण वर्मा कर रहे हैं। प्रमुख भूमिकाओं में यामी गौतम और इमरान हाशमी नजर आएंगे। हाल ही में फिल्म की शूटिंग लखनऊ में पूरी हो चुकी है।
1978 में शाह बानो ने अपने पति द्वारा दिए गए तीन तलाक के बाद गुजारा भत्ते की मांग को लेकर न्यायालय का रुख किया था। सात वर्षों की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद, 1985 में सर्वोच्च न्यायालय ने उनके पक्ष में ऐतिहासिक फैसला सुनाया और दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के अंतर्गत महिलाओं को न्याय दिलाया। यह निर्णय भारतीय संविधान में निहित समानता और न्याय के मूल सिद्धांतों की पुष्टि करता था।
हालांकि, तत्कालीन राजनीतिक परिस्थितियों में दबाव में आकर 1986 में मुस्लिम महिला (विवाह विच्छेद पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम लाया गया, जिसने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अप्रभावी कर दिया। यह निर्णय न केवल लैंगिक न्याय के लिए एक चुनौती था, बल्कि समान नागरिक संहिता की आवश्यकता को भी गहरे स्तर पर रेखांकित करता था।
आज, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में, समान नागरिक संहिता और लैंगिक समानता जैसे विषयों पर नई ऊर्जा के साथ कार्य किया जा रहा है। दोनों नेता अक्सर शाह बानो प्रकरण का उल्लेख करते हुए यह स्पष्ट करते हैं कि न्याय और समानता केवल नारों तक सीमित नहीं रहने चाहिए, बल्कि उन्हें व्यवहार में लाना आवश्यक है। मोदी सरकार का दृष्टिकोण इसी दिशा में ठोस कदम उठाने का परिचायक रहा है।
चार दशक पहले शाह बानो की आवाज ने न्याय के नए स्वर गढ़े थे। अब जब यह कथा बड़े पर्दे पर लौट रही है, तब यह न केवल इतिहास को पुनः जीवंत करेगी, बल्कि आज के भारत की प्रगतिशील सोच और संवेदनशील नेतृत्व को भी उजागर करेगी। सिनेमा के इस सशक्त माध्यम से आने वाली पीढ़ियों तक यह संदेश पहुँचना तय है कि न्याय, समानता और अधिकारों के लिए संघर्ष कभी व्यर्थ नहीं जाता।
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