राष्ट्रवाद और प्राचीन ज्ञान: भारत के उज्ज्वल भविष्य की ओर एक संकल्प

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,21 फरवरी।
हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत हमारा प्राचीन ज्ञान, वेदों और पुराणों की सीख है। यह हमें राष्ट्र और समाज की उन्नति का मार्ग दिखाती है। आज हमें सतर्क रहने की आवश्यकता है। हर भारतीय को यह समझना होगा कि उसकी पहचान भारतीयता में निहित है, और उसका सर्वोच्च कर्तव्य राष्ट्रहित है।

राष्ट्रवाद: हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता

यदि भारत को आत्मनिर्भर और विश्वगुरु बनाना है, तो राष्ट्रवाद को सर्वोपरि रखना होगा। जब देश में राष्ट्रीय चेतना जागृत होगी, तभी ध्यान और आत्मिक उन्नति के लिए अनुकूल वातावरण तैयार होगा। ध्यान व्यक्तिगत साधना हो सकती है, लेकिन जब वातावरण तनावपूर्ण और अशांत हो, तो समाधान खोजा जाना आवश्यक है।

लोकतंत्र पर खतरा: विश्व राजनीति में नई चुनौती

हाल ही में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। अमेरिका के राष्ट्रपति ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है कि किसी ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित करने और नियंत्रित करने का प्रयास किया। यह किसी साधारण व्यक्ति की हरकत नहीं, बल्कि एक प्रभावशाली शक्ति द्वारा किया गया संगठित प्रयास प्रतीत होता है। इससे भी अधिक चिंताजनक बात यह है कि इसके लिए धन का लेन-देन हुआ—और यह राशि कोई छोटी-मोटी नहीं थी।

चाणक्य नीति की आवश्यकता

यह समय है कि हम चाणक्य की रणनीति अपनाएं और इस षड्यंत्र की जड़ तक जाएं। हमें यह पता लगाना होगा कि किसने इस आक्रमण को स्वीकार किया और हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों को इतनी बड़ी चोट पहुंचाई। भारत का लोकतंत्र विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, और इसे किसी भी प्रकार से प्रभावित करने की साजिश हमारे राष्ट्र की संप्रभुता पर हमला है।

राष्ट्रविरोधी ताकतों का पर्दाफाश जरूरी

आज हमारा सबसे बड़ा कर्तव्य इन राष्ट्रविरोधी ताकतों को उजागर करना है। जब तक ये शक्तियाँ बेनकाब नहीं होंगी, तब तक भारत अपने लक्ष्य— विकसित भारत— की दिशा में पूरी मजबूती से आगे नहीं बढ़ सकेगा। यह कोई सपना नहीं, बल्कि एक संकल्प है, और हमें इसे साकार करना ही होगा।

निष्कर्ष

राष्ट्रवाद, प्राचीन ज्ञान और लोकतंत्र की रक्षा—ये तीनों भारत के भविष्य को संवारने के लिए आवश्यक हैं। हमें अपने राष्ट्रीय कर्तव्यों को सर्वोपरि रखते हुए, पूरी प्रतिबद्धता और दृढ़ संकल्प के साथ उन ताकतों को परास्त करना होगा जो हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था और संप्रभुता को कमजोर करने का प्रयास कर रही हैं। यही हमारा मार्ग है, यही हमारा संकल्प है, और यही भारत के स्वर्णिम भविष्य की कुंजी है।

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