जर्मनी और भारत के बीच सरकारी परामर्शी बैठक के बाद चांसलर मैर्केल ने कहा, “हम हर साल इसमें एक अरब यूरो देंगे.” इस बजट का इस्तेमाल स्मार्ट सिटी, अक्षय ऊर्जा और सौर ऊर्जा उद्योग में होगा. चांसलर ने इस पर जोर दिया कि जर्मनी भारत की पेरिस पर्यावरण संधि को लागू करने में मदद देगा. उन्होंने स्वीकार किया कि सवा अरब की आबादी वाला देश जर्मनी की तुलना में विकास के अलग चरण में हैं. उन्होंने कहा, “भारत एक लोकतंत्र है और वह इसके लिये काम कर रहा है कि दुनिया न सिर्फ एक दूसरे से जुड़ी हो बल्कि उसका विवेकपूर्ण विकास हो.”
भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने विश्व समुदाय से साझा कदमों की अपील करते हुए कहा, “हम सब एक दूसरे के साथ जुड़े हैं.” चांसलर मैर्केल के साथ बातचीत के बाद उन्होंने कहा, “लोकतंत्र और बहुलता वे पाये हैं जिन पर नियमबद्ध विश्व व्यवस्था टिकी हुई है.” प्रधानमंत्री ने कहा कि इन नियमों का पालन करना जरूरी है तभी दुनिया भविष्य की ओर बढ़ सकेगी. हाल ही में जी7 देशों के शिखर सम्मेलन के दौरान पर्यावरण सुरक्षा और शरणार्थियों जैसे मुद्दों पर अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और दूसरे नेताओं के बीच गंभीर मतभेद उभर कर सामने आये. भारत जी7 का सदस्य नहीं है.
प्रधानमंत्री ने इस पर जोर दिया कि भारत वैश्विक मानकों के अनुरूप विकास करना चाहता है जिसके केंद्र में 80 करोड़ युवा लोगों का भविष्य है, जिन्हें व्यावसायिक प्रशिक्षण की जरूरत है. प्रधानमंत्री ने कहा, “पूरी दुनिया नये आविष्कारों पर निर्भर है. नयी खोजों के बिना प्रगति संभव नहीं है.” उन्होंने यूरोपीय एकता का भी समर्थन किया और कहा कि भारत एक मजबूत यूरोप का समर्थन करता है. चांसलर ने इस पर जोर दिया कि जर्मनी के लिए ट्रांस अटलांटिक रिश्ते अत्यंत महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने कहा कि जर्मनी काफी समय से भारत और चीन जैसे देशों के साथ सहयोग कर रहा है जो महत्वपूर्ण हैं, लेकिन किसी के खिलाफ लक्षित नहीं हैं.
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