एक साइड हीरो से स्टार बनने
तक का प्रणव मिश्रा का सफर
‘जोधा अकबर‘ में अर्जुन का सपोर्टिंग रोल निभाने से लेकर ज़ी टीवी के शो ‘ऐसी दीवानगी… देखी नहीं कहीं‘ में प्रेम का लीड रोल निभाने तक प्रणव मिश्रा का सफर
ज़ी टीवी के नए फिक्शन शो ‘ऐसी दीवानगी… देखी नहीं कहीं‘ में प्रेम की लीड भूमिका के साथ हैंडसम प्रणव मिश्रा ने अपनी शुरुआत की है। इस तरह के रोल को हासिल करने के लिए हर एक्टर को एक कठिन संघर्ष से गुजरना होता है। सपनों के शहर मुंबई आकर संघर्ष करने वाले दूसरे एक्टर्स की तरह प्रणव का भी संघर्ष का लंबा सफर रहा है। इस दौरान उन्होंने कई ऑडिशन दिए। इस शो में खतरनाक डॉन धरम सिंह राठौड़ के बेटे प्रेम की भूमिका निभाने के लिए इस एक्टर ने अपना वजन 15 किलो तक घटाया। अब वे 89 किलो से 74 किलो के हो गए हैं। इस रोल के लिए उन्हें शर्ट उतारने की भी जरूरत पड़ी, जो अपने आप में एक चुनौती है। चूंकि यह शो गुजरात के अंचलों पर आधारित है, इसलिए इसमें गुजराती बोली का होना जरूरी है। इसकी तैयारी के लिए इस एक्टर ने यू-ट्यूब पर गुजराती नाटकों के वीडियो देखे, साथ ही शो के क्रू मेंबर्स और इस शो में उनके पिता की भूमिका निभा रहे मशहूर एक्टर रसिक दवे के साथ इस भाषा में हल्की-फुल्की चर्चाएं भी जारी रखीं।
प्रणव मिश्रा बताते हैं, ‘‘मैं ऐसी दीवानगी… देखी नहीं कहीं में प्रेम सिंह राठौड़ का रोल निभाने को लेकर बेहद उत्साहित हूं। वह एक उत्साही युवा है, जिसमें थोड़ा सा घमंड भी है और उसके अपने मजबूत सिद्धांत हैं। सबसे बड़ी बात वह अपने पिता धरम सिंह राठौड़ को बहुत मानता है। इस रोल में फिट होने के लिए मैंने अपना वजन घटाया और गुजराती बोली भी सीखी क्योंकि यह शो गुजरात में आधारित है। इस शो में मेरा पहला सीन होली सीक्वेंस का है, जिसमें मुझे अपनी शर्ट उतारने की जरूरत थी। इसी वजह से मुझे अपना अतिरिक्त वजन कम करना पड़ा। मैं जिम गया और खानपान का सख्ती से पालन किया है। 3 महीने से भी कम समय में शो की शूटिंग शुरू होने से काफी पहले मैंने अपना वजन जरूरत के हिसाब से घटा लिया। इसके बाद अगली चुनौती थी गुजराती बोली सीखने की, जिसके लिए मैंने काफी वीडियो देखे। रसिक दवे जी ने भी मेरी काफी मदद की, जो इस शो में मेरे ऑनस्क्रीन पिता धरम सिंह राठौड़ का रोल निभा रहे हैं।
‘ऐसी दीवानगी … देखी नहीं कहीं‘ दो जोशीले युवाओं – तेजस्विनी और प्रेम की एक्शन से भरी प्रेम कहानी है। इन दोनों के बीच प्यार के बजाय सिर्फ नफरत हो सकती है। दोनों व्यक्तित्व में भी एक दूसरे से काफी अलग हैं और बिल्कुल जुदा पारिवारिक पृष्ठभूमि से आते हैं। तेजस्विनी के पिता एक नेक और ईमानदार शहीद पुलिसकर्मी थे। ऐसे में उसके और प्रेम के बीच में कुछ भी समान नहीं है। कुछ परिस्थितियां ऐसी बनती हैं जिसमें उनका एक दूसरे से सामना हो जाता है।
हैंडसम प्रणव मिश्रा से मिलिए ‘ऐसी दीवानगी… देखी नहीं कहीं‘ में
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