तमिलनाडु सरकार ने 1977 से हिंदू मंदिरों से 5 लाख किलो सोना लिया—क्या यह धर्मस्थलों की संपत्ति का हनन है?
तमिलनाडु में हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग (HR&CE) के तहत राज्य सरकार कई बड़े और ऐतिहासिक मंदिरों का प्रशासन देखती है। मंदिरों की संपत्ति, उनके द्वारा प्राप्त दान और अन्य संसाधनों पर सरकार का नियंत्रण होने के कारण वर्षों से यह बहस का विषय रहा है कि क्या यह हस्तक्षेप उचित है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह मंदिरों की स्वायत्तता और धार्मिक स्वतंत्रता से जुड़ा मामला है। अगर चर्च या मस्जिदों की संपत्तियों पर सरकार का ऐसा कोई सीधा नियंत्रण नहीं है, तो फिर हिंदू मंदिरों के साथ ही यह व्यवस्था क्यों लागू की गई?
सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि इस विशाल मात्रा में मंदिरों से लिया गया सोना आखिर गया कहां? क्या इसका उपयोग केवल धर्मार्थ कार्यों में हुआ, या फिर यह सरकारी खजाने में चला गया?
अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि सरकार ने इस सोने का उपयोग कैसे किया और क्या इस संपत्ति को पुनः मंदिरों के कल्याण के लिए लगाया गया। अगर नहीं, तो इसका जवाबदेह कौन है?
तमिलनाडु में हजारों मंदिरों की संपत्तियां हैं, जिनमें कई ऐतिहासिक और समृद्ध मंदिर भी शामिल हैं, जैसे—
श्री रंगनाथस्वामी मंदिर, श्रीरंगम
मीनाक्षी मंदिर, मदुरै
बृहदेश्वर मंदिर, तंजावुर
इन मंदिरों को हर साल करोड़ों रुपये का दान प्राप्त होता है। लेकिन यह भी सरकार के अधीन आता है और इसका उपयोग कैसे किया जाता है, इस पर सवाल उठाए जाते रहे हैं।
राज्य सरकार इन मंदिरों की जमीनों को बेचने या किराए पर देने का भी अधिकार रखती है। इससे प्राप्त राजस्व के पारदर्शी उपयोग को लेकर भी वर्षों से बहस चल रही है।
हिंदू संगठनों और धार्मिक नेताओं का कहना है कि अगर चर्च और मस्जिदें स्वतंत्र रूप से अपनी संपत्ति का प्रबंधन कर सकती हैं, तो हिंदू मंदिरों को भी यह अधिकार क्यों नहीं दिया जाता?
देशभर में कई संगठनों ने मांग उठाई है कि हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाए और उनकी आय का उपयोग केवल धार्मिक कार्यों और भक्तों की सेवा के लिए किया जाए, न कि सरकार के अन्य खर्चों में।
क्या सरकार मंदिरों का सोना वापस करेगी?
क्या सरकार मंदिरों की संपत्तियों का पारदर्शी ऑडिट जारी करेगी?
क्या हिंदू धार्मिक स्थलों की संपत्ति को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाएगा?
तमिलनाडु सरकार द्वारा मंदिरों से लिए गए 5 लाख किलो सोने का सवाल अब धर्म और राजनीति दोनों का बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। क्या यह धार्मिक स्थलों की लूट है, या फिर एक प्रशासनिक निर्णय? इसका जवाब सरकार को देना होगा।यह मामला सिर्फ तमिलनाडु का नहीं, बल्कि पूरे देश में हिंदू मंदिरों के प्रबंधन को लेकर उठ रहे सवालों को दर्शाता है। क्या अब समय आ गया है कि मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कर दिया जाए?