आमतौर पर खांसी दबाने वाली केमिस्ट से बिना किसी प्रैस्क्रिप्शन के मिलने वाली ज्यादातर दवाइयों में डैकस्ट्रोमिथफेन ही होती है। लेकिन इस तरह की खांसी-जुकाम के लिए कुछ भी न करने से शहद ले लेना बेहतर है और केमिस्ट की दुकान का रुख करने से पहले इस शहद को अवश्य ट्राई कर लेना चाहिए।
कह भर दें अमेरिकी वैज्ञानिक
हमारे देश में शहद को सदियों से ही खांसी की तकलीफ को भगाने के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है, लेकिन क्या करें। हम लोगों की मानसिकता ही कुछ ऐसी बन चुकी है कि जब तक हमारी किसी अच्छी से अच्छी प्रामाणिक एवं सिद्ध बात पर अमेरिकी वैज्ञानिकों की स्टेंप का ठप्पा नहीं लगता, हम कहां मानते हैं? अमेरिकी मेडिकल एसोसिएशन के इस अध्ययन को एक शुभ संकेत इसलिए भी माना जा रहा है, क्योंकि आजकल मां-बाप अपने खांसी-जुकाम से जूझ रहे बच्चों के लिए कोई दूसरे रास्ते तलाश रहे हैं।
दवाइयों में डैक्ट्रोमिथफैन
कुछ समय पूर्व ही अमेरिकी फूड एवं ड्रग एडमिनीस्ट्रेशन के एक पैनल ने यह महत्वपूर्ण सिफारिश की है कि छह साल से कम बच्चों को अपने आप ही खांसी-जुकाम की दवाइयां देनी शुरू अधिकांश दवाइयों में डैक्स्ट्रोमिथांफैन ही होती है। इस अध्ययन में दो से पांच साल के बच्चों को एक टी-स्पून का आधा हिस्सा, छह से ग्यारह साल के बच्चों को एक टी-स्पून एवं बारह से अठारह साल के बच्चों को शहद के दो चम्मच दिए गए।
खांसी-जुकाम न हो पटेशानी
बातें आम खांसी-जुकाम के लिए ठीक हैं, अगर दूसरी तरह की खांसी की तकलीफ है, तो उस में शहद कारगर नहीं है। शहद है- उसने तो अपना काम करना ही है, लेकिन यह ध्यान भी रखना होगा कि कब एक बार डॉक्टर से मिलना भी जरूरी होता है।
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