कांग्रेस के पूर्व मंत्री खाचरियावास आपराधिक मामले को राजनीतिक रंग क्यों दे रहे हैं ??

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!

एस पी मित्तल 

जयपुर ,16 अप्रैल ।

पर्ल एग्रोटेक कॉरपोरेशन लिमिटेड (पीएसीएल) के मालिकों ने देशभर के पांच करोड़ 80 लाख लोगों से करीब पचास हजार करोड़ रुपया एकत्रित किया और फिर डूब गए। पीड़ितों में 28 लाख लोग राजस्थान के भी है। इन पीड़ितों ने 2 हजार 850 करोड़ रुपया कंपनी में जमा कराया था। पीएसीएल कंपनी के साथ जयपुर निवासी और ट्रांसपोर्ट कारोबारी करण सिंह राठौड़ ने भी काम किया। राठौड़ ने कंपनी की ओर से राजस्थान में कई स्थानों पर जमीने खरीदी। यही वजह रही कि राठौड़ और उनके परिवार के सदस्यों को कंपनी की ओर से मुनाफा भी मिला।

अब पीड़ितों का पैसा वसूलने के लिए सीबीआई और ईडी छापेमारी कार्यवाही कर रही है।

इसी सिलसिले में 15 अप्रैल को जयपुर में करण सिंह राठौड़ के सिविल लाइन स्थित आवास पर ईडी ने छापामारी की। छापामारी के दौरान ही करण सिंह राठौड़ ने कहा कि मैंने पीएसीएल के साथ काम किया है और ईडी को पहले भी मेरी भूमिका से अवगत कराया है। 15 अप्रैल को ईडी की कार्यवाही करण सिंह राठौड़ के विरुद्ध ही थी, लेकिन कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने ईडी की रेड को राजनीतिक मुद्दा बना दिया।

असल में करण सिंह राठौड़ और प्रताप सिंह खाचरियावास सगे भाई है। और जिस सिविल लाइन के मकान पर रेड हुई वह इन दोनों भाइयों के पिता लक्ष्मण सिंह राठौड़ का है। प्रताप सिंह खाचरियावास का अपना बंगला जयपुर में बनीपार्क में है। ईडी की जो कार्यवाही बड़े भाई करण सिंह राठौड़ पर हुई उसे खाचरियावास ने अपने ऊपर राजनीतिक हमला मान लिया।

खाचरियावास ने कहा कि मैं राजस्थान और केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ बोलता हंू, इसलिए राजनीतिक द्वेषता से कार्यवाही करवाई जाती है। खाचरियावास ने स्वयं को क्लीन चिट दे दी और कहा कि मोदी सरकार की ऐसी कारवाई से मैं डरने वाला नहीं हंू। खाचरियावास ने कहा कि जिस मकान पर रेड हुई है, उस मकान का नाम अब क्रांति सदन रखा जाएगा और यहां से मैं राजस्थान और केंद्र में भाजपा की सरकार को उखाड़ने का अभियान चलाऊंगा।

मजे की बात यह है कि ईडी के किसी भी अधिकारी ने यह नहीं कहा कि रेड प्रताप सिंह खाचरियावास पर हुई है। जानकार सूत्रों के अनुसार 15 अप्रैल को ईडी के अधिकारियों ने खाचरियावास के भाई करण सिंह राठौड़ से ही पूछताछ की। यह बात अलग है कि इस पूछताछ के दौरान ही इस बात का भी पता चला कि प्राप्त 33 करोड़ की राशि छोटे भाई खाचरियावास से जुड़ी हुई है।

रेड की कारवाई के दौरान खाचरियावास कम से कम दस बार मीडिया के सामने आए और जोर जोर से कहा कि मैं डरता नहीं हंू।

सवाल उठता है कि यदि खाचरियावास डरते नहीं है तो फिर भाजपा के दिग्गज नेता रहे देश के उपराष्ट्रपति स्वर्गीय भैरो सिंह शेखावत के नाम पर सहानुभूति क्यों ले रहे हैं? रेड के दौरान खाचरियावास ने कहा कि मोदी सरकार ने स्वर्गीय भैरो सिंह शेखावत का भी अपमान किया है। जिस मकान पर रेड हुई है, वह स्वर्गीय शेखावत के भाई लक्ष्मण सिंह राठौड़ का है। यानी ईडी की रेड होते ही खाचरियावास को अपने ताऊ स्वर्गीय भैरो सिंह शेखावत की याद आ गई।

खाचरियावास ने मीडिया के सामने कहा कि जब राहुल गांधी का राज आएगा तो भाजपा को भी सबक सिखाया जाएगा। खाचरियावास डरते नहीं है तो फिर राहुल गांधी की धमकी क्यों दे रहे है? खाचरियावास 15 अप्रैल को दिन भर मीडिया से संवाद करते रहे लेकिन अपने बड़े भाई करण सिंह के बयान पर कोई टिप्पणी नहीं की। खाचरियावास में हिम्मत होती तो पीएसीएल और अपने भाई के संबंधों के बारे में मीडिया को जानकारी देते।

देश के कानून के अनुसार पीएसीएल कंपनी ने पचास हजार करोड़ रुपए का आर्थिक अपराध किया है, लेकिन खाचरियावास ने ईडी की कार्यवाही को राजनीतिक मुद्दा बना दिया। सवाल उठता है कि जब खाचरियावास डरते नहीं है तो फिर राजनीति का सहारा क्यों ले रहे हैं? अपने पिता के घर के बाहर समर्थकों की भीड़ एकत्रित कर राजनीतिक ताकत क्यों दिखाई?

रेड समाप्त हो जाने के बाद भी ईडी के किसी भी अधिकारी ने यह नहीं कहा कि खाचरियावास से क्या पूछताछ हुई? लेकिन कांग्रेस के बड़े नेताओं ने ईडी की कारवाई को खाचरियावास पर ही मानकर बयानबाजी की है।

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!

Comments are closed.