अधिकांष शहरी भारतीय नियमित रूप से अपना क्रेडिट जांचते हैं l

अधिकांष शहरी भारतीय नियमित रूप से अपना क्रेडिट जांचते हैं – ट्रांसयूनियन सिबिल के नए शोध में हुआ खुलासा
भारत की सर्वाधिक क्रेडिट-सतर्क आबादी में अधिकांष युवा एवं संपन्न शहरी उपभोक्ता l
मुम्बई: ट्रांसयूनियन ने भारत में क्रेडिट एवं वित्तीय आदतों को समझने के लिए 1,002 शहरी उपभोक्ताओं का सर्वेक्षण किया है। इस सर्वेक्षण के नतीजों से पता चलता है कि सर्वेक्षण में शामिल करीब तीन-चैथाई (74 प्रतिषत) उपभोक्ता साल में कम-से-कम दो बार अपने क्रेडिट स्कोर की जांच करते हैं।

उत्तरदाताओं ने अपना क्रेडिट स्कोर जाँचने के अनेक कारण बताए। सर्वेक्षण में सहभागी व्यक्तियों में से क्रेडिट स्कोर पता कर चुके करीब एक-तिहाई (29 प्रतिषत) लोगों ने कहा कि उन्होंने मुख्यतः स्कोर सुधारने के लिए ऐसा किया था। वहीं 28 प्रतिषत लोगों ने ऋण या नया क्रेडिट कार्ड लेने के लिए इसकी जाँच की थी।

ट्रांसयूनियन सिबिल के डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर व्यवसाय के वाइस प्रेसिडेंट एवं प्रमुख, श्री ऋषिकेष मेहता ने कहा कि, ”ऋण या क्रेडिट संबंधी आवेदन करने के पहले सिबिल स्कोर और रिपोर्ट की जाँच जरूरी है, लेकिन क्रेडिट प्रबंधन के लिए सिर्फ यह एकमात्र कदम नहीं हो सकता। आर्थिक रूप से सचमुच दुरुस्त होने के लिए आपको अपनी क्रेडिट रिपोर्ट में उपलब्ध जानकारी की जाँच को क्रेडिट की स्थिति के प्रबंधन के रूप में लेना चाहिए और इसे नियमित रूप से करते रहना चाहिए।“

सर्वेक्षण के नतीजे बताते हैं कि आम तौर पर शहरी भारतीय उपभोक्ता बढ़िया या उत्कृष्ट क्रेडिट स्कोर – 750 या इससे ज्यादा अंक – हासिल करना और बरकरार रखना चाहते हैं, भले ही वे इसके प्रयोग की विधि नहीं समझते हैं।

आश्चर्यजनक रूप से 62 प्रतिशत को यह पता नहीं था कि ऋणदाता ऋण की शर्ते तय करने के लिए उपभोक्ता के क्रेडिट स्कोर की जाँच करते हैं। 63 प्रतिशत को यह जानकारी नहीं थी कि मोबाइल सेवा कंपनियाँ पोस्ट-पेड क्रेडिट सीमा तय करने के लिए सिबिल स्कोर का इस्तेमाल कर सकती हैं।

इस शोध से पता चलता है कि भारत में क्रेडिट के प्रति सावधानी में जनसांख्यिकी आधार पर काफी फर्क है। भारत में युवा शहरी वयस्क लोग सबसे अधिक क्रेडिट-सतर्क हैं। अपना क्रेडिट स्कोर जाँचने वाले 18 से 24 वर्ष आयु के वयस्कों में करीब आधे (49 प्रतिशत) लोग मुख्यतः अपना स्कोर सुधारने के लिए ऐसा करते हैं, जबकि 45 वर्ष या अधिक आयु के महज 20 प्रतिषत लोग ही ऐसा करते हैं।

इसी प्रकार, सर्वेक्षण में सहभागी लोगों में, ऐसा लगता है कि उच्चतर आय (5,00,000 रुपये या अधिक) वाले भारतीय उपभोक्ता न्यून आय समूह की तुलना में ज्यादा बार अपने क्रेडिट स्कोर की जानकारी लेते हैं। विषेषकर, 77 प्रतिषत मध्यवर्गीय उपभोक्ताओं (5,00,000 रुपये से 49,99,999 रुपये प्रति वर्ष आय) ने हर साल कम-से-कम दो बार अपना क्रेडिट स्कोर पता किया, जिनकी तुलना में 65 प्रतिषत न्यून आयवर्ग के उपभोक्ताओं (4,99,999 रुपये प्रति वर्ष से कम आय) ने ऐसा किया। 50,00,000 रुपये या इससे अधिक वार्षिक आय वाले भारतीयों में से अधिकांष लोग (90 प्रतिशत) हर साल दो बार अपना स्कोर जाँचते हैं।

श्री मेहता ने यह भी कहा कि, ”क्रेडिट स्कोर उपभोक्ता की आर्थिक मजबूती का अभिन्न हिस्सा हैं। इससे उन्हें घर, कार खरीदने या क्रेडिट कार्ड खोलने में मदद मिलती है और इन निष्कर्षों से पता चलता है कि अभी और ठोस क्रेडिट शिक्षण की जरूरत है।“

क्रेडिट स्कोर और रिपोर्ट की महज जाँच से आगे बढ़िया क्रेडिट स्कोर और वित्तीय विवरण बहाल रखने के लिए श्री मेहता के निम्नलिखित सुझाव हैं:

ऽ हर महीने समय पर और पूरा भुगतान करें: बिल्स का हमेषा समय पर भुगतान करें, क्योंकि बढ़िया क्रेडिट स्कोर और इतिहास बहाल रखने के लिए यह सबसे जरूरी होता है। इसके अलावा न्यूनतम मासिक शेष चुकता करने से चुकता ब्याज की राशि बढ़ सकती है जिससे क्रेडिट पर नकारात्मक असर हो सकता है। इसके बदले संभव हो तो क्रेडिट कार्ड का बकाया और दूसरे कर्जांे का पूरा भुगतान करें।
ऽ अपने क्रेडिट को मिश्रित करें: उपभोक्ताओं को गृह या आॅटो ऋण जैसे सुरक्षित ऋणों का और क्रेडिट कार्ड्स या व्यक्तिगत ऋणों जैसे असुरक्षित ऋणों का बढ़िया मिश्रण रखने के लिए प्रोत्साहित किया जा है। बहुत ज्यादा असुरक्षित ऋणो को ऋणदाताओं द्वारा नकारात्मक रूप से देखा जा सकता है।

ऽ न्यून क्रेडिट उपयोग बरकरार रखें: क्रेडिट उपयोग अनुपात से पता चलता है कि आप अपनी उपलब्ध क्रेडिट सीमा का कितना क्रेडिट इस्तेमाल करते हैं। न्यून क्रेडिट उपयोग बरकरार रखने वाले उपभोक्ताओं को आम तौर पर ऋणदाता के प्रति ज्यादा जिम्मेवार माना जाता है।

ऽ क्रेडिट लाइन्स खोलने में सावधानी बरतें: बार-बार क्रेडिट का नया सिलसिला आरंभ करने से ऋणदाता के त्वरित नगदी की जरूरत का संकेत मिलता है और इसका क्रेडिट पर विपरीत प्रभाव हो सकता है।

ऽ त्रुटियों के लिए क्रेडिट रिपोर्ट्स की जाँच करें: नियमित रूप से अपनी क्रेडिट रिपोर्ट की समीक्षा करें और रिपोर्ट में त्रुटियों की जाँच करें। अगर कोई त्रुटि हो या गलत डेटा शामिल हो तो तुरंत इसकी सूचना दें। ट्रांसयूनियन सिबिल साल में एक बार निःशुल्क क्रेडिट रिपोर्ट और स्कोर मुहैया करता है।

सर्वेक्षण के विषय में
सभी आँकड़ें, जब तक अन्यथा उल्लिखित नहीं हो, ट्रांसयूनियन की ओर से किए गए यूगाॅव पीएलसी सर्वेक्षण से लिए गए हैं। सर्वेक्षण में कुल 1,002 वयस्क सम्मिलित थे। क्षेत्रकार्य 10 अप्रैल, 2017 से 16 अप्रैल, 2017 के बीच किया गया। सर्वेक्षण आॅनलाइन विधि से किया गया। आँकड़े भारित किए गए हैं और समस्त भारतीय वयस्कों (आयु 18$) की शहरी आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं।

ट्रांसयूनियन सिबिल – कंज्यूमर इंटरैक्टिव के विषय में
कंज्यूमर इंटरैक्टिव भारत में उपभोक्ता सूचना के सबसे व्यापक संग्रह में से एक और सबसे बड़ी क्रेडिट सूचना कंपनी, ट्रांसयूनियन सिबिल का डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर विभाग है। हमारा लक्ष्य भारतीय उपभोक्ताओं के लिए बेहतर जीवन के अवसर की सुलभता और समझ मुहैया करना है। इस दिशा में हम उन्हें उनकी क्रेडिट बढ़ाने और मैनेज करने के साधन उपलब्ध कराते हैं। इसे डेटा और इंटरनेट-आधारित साधनों के मेल से हासिल किया जाता है जिससे उपभोक्ताओं को सर्वाधिक सुगम, सटीक क्रेडिट सूचना उपलब्ध होती है और वित्तीय साक्षरता, समावेशन एवं रक्षा को बढ़ावा मिलता है। हम व्यक्तियों को बेहतर एवं समझदारी-भरा निर्णय लेने में मदद के लिए सूचना की शक्ति में यकीन करते हैं ताकि वे एक सुदृढ़ अर्थव्यवस्था के विकास में योगदान करते हुए अपने-अपने व्यक्तिगत आर्थिक लक्ष्यों को हासिल कर सकें।

 

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