वर्षांत समीक्षा-2022 इस्पात मंत्रालय

वर्तमान वित्त वर्ष के दौरान इस्पात सेक्टर ने उल्लेखनीय उत्पादन प्रदर्शन किया; वर्षांत समीक्षा-2022

स्वदेशी परिष्कृत इस्पात का उत्पादन पिछले वर्ष की समान अवधि के दौरान हुये 73.02 मिलियन टन उत्पादन की तुलना में इस बार 78.090 मिलियन टन दर्ज किया गया, पिछले वर्ष के मद्देनजर 6.9 प्रतिशत अधिक

पिछले वर्ष की समान अवधि में 67.32 एमटी के परिष्कृत इस्पात खपत की तुलना में अप्रैल-नवंबर 2022 में खपत 75.3 एमटी दर्ज की गई, जो 11.9 प्रतिशत अधिक है

कच्चे इस्पात का 81.9 मिलियन टन रिकॉर्ड उत्पादन हुआ

इस्पात मंत्रालय ने स्वदेशी स्तर पर उत्पादित इस्पात की ‘मेड इन इंडिया’ ब्रैंडिंग का काम हाथ में लिया

इस्पात सेक्टर को कार्बन रहित बनाने पर विशेष ध्यान

इस्पात मंत्रालय द्वारा उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना के तहत स्पेशियलिटी स्टील के लिए 67 आवेदनों का चयन; 42,500 करोड़ रुपये के निवेश को आकर्षित करना; 26 एमटी तक क्षमता में बढ़ोतरी के साथ 70 हजार संभावित रोजगार का सृजन

सार्वजनिक क्षेत्र की इस्पात कंपनियों ने विविध गतिविधियों के माध्यम से आजादी का अमृत महोत्सव मनाया

इस्पात मंत्रालय और केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों ने स्वच्छता विशेष अभियान के दौरान 38,255 वर्ग फुट स्थान को मुक्त किया

इस्पात सेक्टर, निर्माण, अधोसंरचना, मोटर-वाहन, इंजीनियरिंग और रक्षा जैसे महत्त्वपूर्ण सेक्टरों के लिये केंद्रीय भूमिका निभाता है। वर्ष प्रति वर्ष इस्पात सेक्टर में जबरदस्त प्रगति दर्ज की गई है। देश अब इस्पात उत्पादन में वैश्विक शक्ति बन चुका है तथा कच्चे इस्पात के उत्पादन में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया है।

उत्पादन और खपतः- चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों (अप्रैल-नवंबर 2022) के दौरान इस्पात सेक्टर का प्रदर्शन काफी उत्साहवर्धक रहा है। स्वदेशी परिष्कृत इस्पात का उत्पादन पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान 73.02 मिलियन टन के मुकाबले 78.090 मिलियन टन (एमटी) रहा, जो 6.9 प्रतिशत अधिक है। पिछले वर्ष की समान अवधि में 67.32 एमटी के परिष्कृत इस्पात खपत की तुलना में अप्रैल-नवंबर 2022 में खपत 75.3 एमटी दर्ज की गई, जो 11.9 प्रतिशत अधिक है। कच्चे इस्पात का 81.96 मिलियन टन रिकॉर्ड उत्पादन हुआ, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में हुई 77.58 एमटी खपत से 5.6 प्रतिशत अधिक है।

SAIL Participates In AKAM Iconic Week Celebrations By Ministry Of Steel  With Tableau Inauguration - Indian PSU | Public Sector Undertaking News

इस्पात सेक्टर के विकास के लिये हाल की पहलें:-

  1. उत्पादनयुक्त प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाः विशेष इस्पात के घरेलू उत्पादन के लिए पीएलआई योजना को मंत्रिमंडल द्वारा 6322 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ मंजूरी दी गई है। योजना के तहत पहचान किये गये विशिष्ट इस्पात के मद्देनजर पांच व्यापक श्रेणियां हैं, जहां इनका उपयोग किया जाता है। इनमें घरेलू उपकरण, मोटर-वाहन का ऊपरी ढांचा व पुर्जेतेल और गैस आपूर्ति के पाइपबॉयलरबैलिस्टिक और आर्मर शीटहाई-स्पीड रेलवे लाइनें, टरबाइन पुर्जेवितरण और बिजली ट्रांसफार्मर शामिल हैं। योजना को 29.7.2021 को अधिसूचित किया गया और विस्तृत योजना दिशानिर्देश 20.10.2021 को प्रकाशित किए गए थे। ऑनलाइन प्रणाली के माध्यम से आवेदन प्रक्रिया दिनांक 29.12.2021 से 15.09.2022 तक उपलब्ध थी।

यह योजना वित्त वर्ष 2023-24 (पीएलआई वित्त वर्ष 2024-25 में जारी की जाएगी) से शुरू होने वाली है। विशिष्ट स्टील के लिए उत्पादनयुक्त प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत 30 कंपनियों के 67 आवेदनों का चयन किया गया है। यह 26 मिलियन टन की उत्पादन व बिक्री क्षमता और 70 हजार की रोजगार सृजन क्षमता के साथ  42500 करोड़ रुपये के निश्चित निवेश को आकर्षित करेगी।

Q3 and 9M Production and Sales performance of SAIL in FY21 | SAIL

  1. इस्पात की कीमतें: महत्त्वपूर्ण कच्चे माल और सम्बंधित वस्तुओंजिनमें लोहा और इस्पात शामिल हैंकी मौजूदा ऊंची कीमतों से राहत देने के लिए सरकार ने कुछ उपाय किये थे। तदनुसार 21 मई, 2022 की अधिसूचना द्वारा इस्पात और अन्य इस्पात उत्पादों के कच्चे माल पर शुल्कों में संशोधन किया गयाजिससे एन्थ्रेसाइट/पुलवराइज्ड कोल इंजेक्शन (पीसीआई) कोयलाकोक और सेमी-कोक और फेरो-निकल पर आयात शुल्क घटाकर शून्य कर दिया गया। लौह अयस्क/कांसन्ट्रेट और लौह अयस्क पेलेट्स पर निर्यात शुल्क क्रमशः 50 प्रतिशत और 45 प्रतिशत तक बढ़ाया गया। इसके अलावापिग आयरन और कई इस्पात उत्पादों पर 15 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाया गया था।

इस्पात की वस्तुओं की कीमतों में लगभग 15-25 प्रतिशत की गिरावट आई है और उपरोक्त उपायों के परिणामस्वरूप कीमतें स्थिर हुई हैं। अब, सम्बंधित सभी हितधारकों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए, उक्त अधिसूचना को दिनांक 18 नवंबर, 2022 की अधिसूचना द्वारा रद्द कर दिया गया तथा 21 मई, 2022 से पहले की स्थिति बहाल कर दी गई है।

  1. इस्पात क्षेत्र में डीकार्बोनाइजेशन : भारत के सीओ2 उत्सर्जन में भारत के इस्पात सेक्टर का हिस्सा 12 प्रतिशत है, जो 1.85 टी सीओ2/टीसीएस की वैश्विक औसत उत्सर्जन तीव्रता की तुलना में 2.55 टी सीओ2/टीसीएस है। ग्लासगो प्रतिबद्धताओं के एक हिस्से के रूप में, भारत की 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन हासिल करने की योजना है।

इस्पात मंत्रालय, इस्पात उद्योग के हितधारकों और संबंधित मंत्रालयों/विभागों जैसे पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, ऊर्जा मंत्रालय, ऊर्जा दक्षता ब्यूरो, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा, नीति आयोग आदि के साथ निरंतर समन्वय कर रहा है। इस्पात क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन को कम करने और संसाधन दक्षता में सुधार पर विस्तृत चर्चा छह मई, 2022 को “ट्रांजिशन टुवर्ड्स लो कार्बन स्टील-ग्रीन स्टील” और एक जुलाई, 2022 “रोडमैप फॉर सर्कुलर इकोनॉमी इन स्टील सेक्टर” पर संसद की सलाहकार समितियों की बैठकों में की गई। इसके अलावा, इस्पात मंत्रालय ने 11 नवंबर 2022 को शर्म-अल-शेख, मिस्र में कॉप-27 कार्यक्रम के 6वें दिन एक सत्र की मेजबानी की, जिसमें इस्पात निर्माण में ग्रीन हाइड्रोजन जैसी प्रौद्योगिकियों पर निर्भर कार्बन उत्सर्जन को कम करने के मुद्दों पर चर्चा की गई। कार्बन को उत्सर्जन से पहले पकड़ लेने, भंडारण और उपयोगिता (सीसीयूएस), ऊर्जा दक्षता पर सर्वोत्तम उपलब्ध तकनीकों के साथ-साथ अक्षय ऊर्जा में परिवर्तन जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की गई।

  1. इस्पात सेक्टर में ब्रैंड इंडियाः इस्पात मंत्रालय ने देश में उत्पादित इस्पात की मेड इन इंडिया ब्रांडिंग की पहल की है। प्रमुख इस्पात उत्पादकों को इस्पात के लिए मेड इन इंडिया ब्रांडिंग के महत्त्व के बारे में बताया गया है। इस्पात मंत्रालय ने सभी प्रमुख उत्पादकों (आईएसपी)डीपीआईआईटी और क्यूसीआई के साथ मेड इन इंडिया ब्रांडिंग के लिए एक सामान्य मानदंड विकसित करने और ब्रांडिंग के लिए क्यूआर कोड में शामिल किए जाने वाले मापदंडों के बारे में कई बार चर्चा की। व्यापक विचार-विमर्श के बाद एक सामान्य मानदंड को अंतिम रूप दिया गया है।

शुरूआत में, सेल और जिंदल स्टेनलेस लिमिटेड के कुछ चुनिंदा उत्पादों के लिए पायलट रोल आउट के साथ मेड इन इंडिया ब्रांडिंग शुरू की जाएगी। क्यूसीआई, स्टील उत्पादों पर चिपकाने के लिए क्यूआर कोड बनाने के लिए एक आईटी प्लेटफॉर्म तैयार करने के मद्देनजर जिंदल स्टेनलेस लिमिटेड और सेल के साथ परामर्श कर रहा है। एक बार निर्बाध संचालन के लिए प्लेटफॉर्म में आवश्यक सुधार किए जाने के बाद, इस्पात के लिए मेड इन इंडिया ब्रांडिंग का रोल आउट सभी आईएसपी के साथ व्यापक पैमाने पर शुरू किया जाएगा।

  1. गुणवत्ता नियंत्रण आदेश/बीआईएसः सरकार बुनियादी ढांचे, निर्माण, आवास और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों के इस्तेमाल के लिए गुणवत्ता वाले इस्पात की आपूर्ति की सुविधा प्रदान कर रही है। इस्पात मंत्रालय बीआईएस प्रमाणन अंक योजना के तहत उत्पादों के अधिकतम कवरेज वाला अग्रणी मंत्रालय है। इस्पात और उसके उत्पादों पर कुल 145 भारतीय मानकों को अनिवार्य गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों के तहत रखा गया है। ये आदेश घटिया इस्पात उत्पादों के आयात, बिक्री और वितरण पर रोक लगाते हैं। क्यूसीओ को लागू करना सार्वजनिक हित में तथा मानव, पशु व पौधों के स्वास्थ्य, पर्यावरण की सुरक्षा, अनुचित व्यापार प्रथाओं की रोकथाम के लिये है, जैसा कि बीआईएस अधिनियम, 2016 में वर्णित है। उपरोक्त आदेशों के माध्यम से, इस्पात मंत्रालय ने अनिवार्य बीआईएस प्रमाणन योजना के तहत अब तक 99 कार्बन स्टील, 44 स्टेनलेस स्टील और मिश्र धातु इस्पात उत्पाद मानकों और दो फेरो मिश्र धातुओं को शामिल किया है।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image003ZDXS.jpg

इसके अलावा, कंटेनर निर्माण की आवश्यकता को पूरा करने के लिए, भारतीय मानक 11587 जो पहले से ही गुणवत्ता नियंत्रण आदेश के दायरे में था, को बीआईएस द्वारा कॉर्टेन स्टील को शामिल करके संशोधित किया गया था। और, घरेलू इस्पात निर्माताओं से उत्पाद के हवाले से बीआईएस प्रमाणन के लिये आवेदन करने का आग्रह किया गया। चार घरेलू निर्माताओं को पहले ही बीआईएस द्वारा प्रमाणित किया जा चुका है और घरेलू निर्माता कॉर्टेन स्टील के आयात की निर्भरता को कम करने और कंटेनर निर्माण उद्योग को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कंटेनर निर्माता उक्त गुणवत्ता वाले आवश्यक कॉर्टेन स्टील की आपूर्ति करने के लिए तैयार हैं।

इसके अलावा, बीआईएस के साथ साझा किए गए आयातित स्टील ग्रेड के आंकड़ों के अनुसार, मौजूदा मानकों में 250 से अधिक नये स्टील ग्रेड शामिल किए गए हैं और पांच नये मानक तैयार किए जा रहे हैं। यह कार्य वैश्विक मानकों के अनुरूप भारतीय इस्पात मानकों के उन्नयन की सुविधा प्रदान कर रहा है। यह कार्य आयात प्रतिस्थापन और मेक इन इंडिया पहल के लिए कई आयातित स्टील ग्रेड के स्वदेशीकरण की सुविधा भी प्रदान कर रहा है।

  1. पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लानः भास्कराचार्य नेशनल इंस्टीट्यूट फ़ॉर स्पेस एप्लीकेशंस एंड जियो-इंफर्मेटिक्स (बीआईएसएजी-एन) की मदद से इस्पात मंत्रालय पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान पोर्टल से जुड़ गया है। इसने देश में कार्यरत 1982 इस्पात इकाइयों के भू-स्थानों को पहले ही अपलोड कर दिया है। इसने देश में सभी लौह-अयस्क और मैंगनीज अयस्क खदानों को भी अपलोड किया है।

उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग  के निर्देश पर कलिंग नगर स्टील हब को ‘पीएम गति शक्ति एरिया एप्रोच’ के तहत लाया गया है। इस्पात मंत्रालय ने भी 22 महत्वपूर्ण अवसंरचना अंतरालों की पहचान की है और सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, रेल मंत्रालय, पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के साथ इस पर चर्चा कर रहा है।

Ministry of Steel | MyGov.in

  1. द्वितीयक इस्पात सेक्टर के साथ संलग्नताः लौह और इस्पात उद्योग द्वितीयक उत्पादकों का वर्ग है जो कच्चे इस्पात के उत्पादन में 40 प्रतिशत से अधिक का योगदान देता है। अवसंरचना विकास में द्वितीयक इस्पात क्षेत्र की भूमिका बहुत अधिक है। बुनियादी ढांचे के विकास से न केवल इस्पात की मांग को प्रोत्साहन मिलता है बल्कि बुनियादी ढांचे का तेजी से  निर्माण भी होता है। इस क्षेत्र के महत्व को ध्यान में रखते हुए, जिसमें ज्यादातर एमएसएमई शामिल हैं, इस्पात मंत्रालय ने 27  मार्च, 2022  को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में माननीय इस्पात मंत्री की अध्यक्षता में एक सम्मेलन का आयोजन किया था। इसका उद्देश्य उद्योग के दिग्गजों को एक मंच प्रदान करना था। द्वितीयक इस्पात क्षेत्र को जिन चुनौतियों का सामना है, उनसे निपटने के तरीकों पर अपने विचार साझा करने के लिए मंत्रालय एक इको-प्रणाली बनाने की दिशा में अग्रसर है, ताकि उद्योग फल-फूल सके।

सम्मेलन में निम्न विषयों पर सार्थक चर्चा हुई, जैसे पीएलआई योजना, कच्चा माल, हरित इस्पात और नवीकरणीय ऊर्जा आदि। वित्त मंत्रालय, पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय, कोयला मंत्रालय, एमएसएमई मंत्रालय और पीएनजी मंत्रालय जैसे संबंधित मंत्रालयों के साथ चर्चा की गई। इस्पात मंत्रालय ने देश में इस्पात की मांग बढ़ाने के लिए द्वितीयक इस्पात उत्पादकों और उपभोक्ताओं के साथ बातचीत करने के लिए भुवनेश्वर, इंदौर, रुड़की और सूरत में सम्मेलन भी आयोजित किए।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image005E95N.png

  1. इस्पात मंत्री के सलाहकार समूहः माननीय इस्पात मंत्री के अनुमोदन से, माननीय नागर विमानन मंत्री की अध्यक्षता में दो सलाहकार समूहों का गठन किया गया है। ये हैं एकीकृत इस्पात संयंत्रों (आईएसपी) और माध्यमिक इस्पात उद्योग (एसएसआई) के लिए इस्पात मंत्रालय के सलाहकार समूह। सलाहकार समूहों का उद्देश्य उद्योगों से सम्बंधित सामान्य मुद्दों की पहचान करना और मंत्रालय की सक्रिय भागीदारी के साथ उनके समाधान का रास्ता खोजना है। दोनों सलाहकार समूहों की नियमित अंतराल पर बैठकें आयोजित की जा रही हैं। अब तक आईएसपी के लिए सलाहकार समूह की पांच बैठकें और एसएसआई की तीन बैठकें हो चुकी हैं।
  2. राज्यों के मंत्रियों का सम्मेलनः माननीय इस्पात मंत्री की अध्यक्षता में 15 नवंबर, 2022 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित राज्य सरकारों के उद्योग/खान/इस्पात मंत्रियों का एक सम्मेलन आयोजित हुआ, जिसमें राज्यों और केंद्र ने संबंधित मामलों पर विचार-विमर्श किया, जिनमें कच्चे माल के खनन, विकास और इस्पात क्षेत्र की भविष्य की चुनौतियों के मुद्दे शामिल थे। इस्पात मंत्री ने राज्यों से निम्नलिखित के लिए हर संभव प्रयास करने का आग्रह किया: (क) इस्पात की ग्रामीण खपत में वृद्धि; (ख) इस्पात बनाने में लौह अयस्क के सभी ग्रेड का उपयोग करना; (ग) खानों की समय पर नीलामी; (घ) पुनर्चक्रण उद्योग को औपचारिक बनाना और समाप्त हो चुके वाहनों का परिमार्जन करना।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image006ECNA.jpg

अन्य विशेषतायें:-

  1. जीईमः स्टील सीपीएसई द्वारा जीईएम के माध्यम से वस्तुओं और सेवाओं की खरीद में अप्रैल-नवंबर, 2022 के दौरान ऑर्डर के मूल्य के साथ सीपीएलवाई से 130.39 प्रतिशत अधिक होने के साथ साल भर में काफी वृद्धि हुई है।
  2. एमएसएमई भुगतानः इस्पात मंत्रालय के केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों द्वारा एमएसएमई को देय लंबित भुगतान की स्थिति की निगरानी साप्ताहिक आधार पर की जा रही है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अप्रैल-नवंबर के दौरान 98 प्रतिशत भुगतान के मद्देनजर ऐसे भुगतानों को 45 दिनों की समय सीमा के भीतर जमा कर दिया जाये। चालू वित्त वर्ष के हवाले से भुगतान 30 दिनों के भीतर किया जा रहा है। अप्रैल-नवंबर 2022 के दौरान, स्टील सीपीएसई ने एमएसएमई को 4747.53 करोड़ रुपये का भुगतान किया है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के दौरान किए गए 3358.61 करोड़ रुपये के भुगतान से 41.35 प्रतिशत अधिक है।
  3. मिशन बहालीः सरकार ने मिशन मोड में विभिन्न मंत्रालयों/विभागों में रिक्तियों को भरने का निर्णय लिया है, जिसके लिए डीओपीटी नोडल एजेंसी है। रिक्तियों को भरने में प्रगति की रिपोर्ट करने और निगरानी करने के लिए डीओपीटी ने “वैकेंसी स्टेटस पोर्टल” स्थापित किया है।

इस्पात केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों ने रिक्तियों को तेजी से भरने की कार्रवाई की है। मिशन के तहत, अब तक 1087 सीधी भर्तियां इस्पात केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों, जैसे सेल, एनएमडीसी, केआईओसीएल, मॉयल और मेकॉन द्वारा की गई हैं।

अग्निवीरों को समायोजित करने के मामले में, इस्पात मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत किसी भी सार्वजनिक उद्यम में उनके शामिल होने के हवाले से कौशल सेट की मांग/आवश्यकता की प्रकृति को समझने के लिए रक्षा मंत्रालय और इस्पात मंत्रालय के बीच विचार-विमर्श किया गया है। यह समायोजन संभावित रूप से वर्ष 2026 से 2031 तक के बारे में होगा। इस्पात मंत्रालय के तहत केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों के पास जो भर्ती लेखा-जोखा है, उसे शैक्षिक हवालों के साथ रक्षा मंत्रालय के साथ साझा कर दिया गया है, ताकि विभिन्न पदों पर नियुक्ति के लिये आगे कार्रवाई की जा सके।

  1. आजादी का अमृत महोत्सव समारोह (एकेएएम): इस्पात मंत्रालय ने 4-10 जुलाई, 2022 के दौरान आजादी का अमृत महोत्सव मनाया। निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्र की इस्पात कंपनियों द्वारा प्रत्येक दिन विषय-आधारित गतिविधियों का आयोजन किया गया, जैसे  झांकी के साथ चल प्रदर्शनी, इस्पात के उपयोग को प्रदर्शित करने वाले बैनर और पोस्टर, इस्पात की बढ़ती खपत पर सेमिनार/कार्यशालाएं, स्वच्छ भारत गतिविधियां ग्रीन स्टील/पर्यावरण और स्थिरता, सुरक्षा और स्वास्थ्य पर बच्चों के लिए शहर, टाउनशिप, कार्यालय और संयंत्र परिसर, पेंटिंग/निबंध लेखन प्रतियोगिता। एकेएएम के तत्वावधान में सरकार द्वारा शुरू किए गए ‘हर घर तिरंगा’ अभियान में इस्पात मंत्रालय और उसके संगठनों के कर्मचारियों ने अपने घरों में राष्ट्रीय ध्वज फहराकर, सोशल मीडिया पर झंडे के साथ सेल्फी पोस्ट करते हुए व्यापक रूप से भाग लिया।
  2. स्वच्छता अभियानः सात केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों, जैसे सेल, आरआईएनएल, एनएमडीसी, मॉयल, मेकॉन, केआईओसीएल और एमएसटीसी ने इस्पात मंत्रालय के साथ दो अक्टूबर 2022 से 31 अक्टूबर 2022 तक आयोजित ‘लंबित मामलों के निस्तारण के लिए विशेष अभियान’ में सक्रिय रूप से भाग लिया।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image007BB5E.jpg

अभियान के दौरान, इस्पात मंत्रालय और उसके केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों द्वारा धातु और गैर-धात्विक स्क्रैप, कागज और ई-कचरे आदि के निपटान से 38255 वर्ग फुट जगह मुक्त की। इसी तरह 43971 दस्ती फाइलों का निस्तारण किया गया तथा 4947 ई-फाइलों को अभियान अवधि के दौरान बंद कर दिया गया। इसके अलावा, कई लंबित लोक अपीलों/लोक शिकायतों, सांसदों के संदर्भों आदि का निपटान किया गया। इसके अलावा मंत्रालय और उसके सीपीएसई द्वारा 280 स्वच्छता अभियान चलाए गए।

Comments are closed.