वर्षांत समीक्षा-2021: महिला एवं बाल विकास मंत्रालय

महिलाओं की शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने के लिए बाल विवाह निषेध (संशोधन) अधिनियम, 2021 लोकसभा में पेश किया गया

जन्म के समय लिंग अनुपात (एसआरबी) में राष्ट्रीय स्तर पर 19 अंकों का सुधार, लिंग अनुपात 2014-15 में 918 से 2020-21 में 937 हुआ

पूरक पोषण की वास्तविक समय निगरानी सुनिश्चित करने के लिए पोषण ट्रैकर लॉन्च किया गया

गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत 2 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को लाभ पहुंचा

कोविड महामारी के कारण अनाथ हुए बच्चों की सहायता के लिए लाभार्थियों के पंजीकरण और पहचान के लिए पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना के लिए वेब पोर्टल शुरू किया गया

वन स्टॉप सेंटर योजना के तहत 54 लाख से अधिक महिलाओं को सहायता प्रदान की गई

रेलवे स्टेशनों के अलावा बस स्टैंडों पर चाइल्ड लाइन (1098) सेवाएं शुरू

महिलाओं और बच्चों के बीच कुपोषण को दूर करने के लिए पूरक पोषण कार्यक्रम के तहत राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों को 100% परिष्कृत चावल वितरित करने का निर्णय

किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम के तहत कार्यान्वयन और निगरानी तंत्र को मजबूत करने के लिए इस अधिनियम में संशोधन

हिंदू दत्तक और भरण-पोषण अधिनियम, 1956 के तहत बच्चों को विदेश में स्थानांतरित करने के इच्छुक व्यक्तियों के लिए गोद लिए गए बच्चों हेतु दत्तक ग्रहण प्रक्रिया का सरलीकरण

भारत के पंजीकृत प्रवासी नागरिकों को गोद लेने के मामले में अनिवासी भारतीयों के साथ समानता प्रदान की गई
महिलाओं और बच्चों के विकास, देखभाल और संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने विभिन्न योजनाओं, कानून, प्रक्रियाओं के सरलीकरण, जागरूकता फैलाने और सीखने की सुविधा प्रदान करने, पोषण, महिलाओं और बच्चों को उनकी पूर्ण क्षमता तक आगे बढ़ने, उन्हें मजबूत करने और विकसित करने में सक्षम बनाने के लिए संस्थागत और विधायी मदद तक पहुंच की सुविधा के तहत कई पहलों के माध्यम से विभिन्न उपाय किए हैं। वर्ष 2021 के दौरान महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की प्रमुख पहलें/उपलब्धियां इस प्रकार हैं:

महिलाओं की शादी की उम्र: महिलाओं की शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने के लिए बाल विवाह निषेध (संशोधन) अधिनियम, 2021 विधेयक 21.12.2021 को लोकसभा में पेश किया गया है।

बेटी बचाओ बेटी पढाओ: यह योजना पूरे भारत में लागू की जा रही है और देश भर में 640 जिलों (जनगणना 2011 के अनुसार) को इसमें शामिल किया जा रहा है। 640 जिलों में से 405 जिलों को बहु-क्षेत्रीय हस्तक्षेप के साथ-साथ डीएम/डीसी के प्रत्यक्ष पर्यवेक्षण में मीडिया एडवोकेसी के तहत शामिल किया गया है और सभी 640 जिलों को एडवोकेसी और मीडिया अभियान के माध्यम से शामिल किया गया है। इस योजना ने बालिकाओं के महत्व के प्रति राष्ट्र की मानसिकता को बदलने की दिशा में सामूहिक चेतना को जगाया है। यह राष्ट्रीय स्तर पर जन्म के समय लिंग अनुपात (एसआरबी) में 19 अंकों के सुधार में परिलक्षित होता है। 2014-15 में लिंगानुपात 918 था जो 2020-21 में बढ़कर 937 (स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का एचएमआईएस) हो गया है।

पोषण ट्रैकर: महिलाओं और बच्चों की पोषण स्थिति में सुधार को बढ़ावा देने के लिए एक पारदर्शी और सक्षम वातावरण बनाया जा रहा है जिससे स्वास्थ्य, तंदुरूस्ती और प्रतिरक्षा का पोषण हो सकेगा। पूरक पोषण की वास्तविक समय निगरानी सुनिश्चित करने और सेवाओं के त्वरित पर्यवेक्षण और प्रबंधन पर जानकारी प्रदान करने के लिए नवीनतम प्रौद्योगिकी पर आधारित पोषण ट्रैकर एप्लिकेशन बनाया गया है। 24.12.2021 तक, 12.27 लाख आंगनवाड़ी लगभग 9.85 करोड़ लाभार्थियों को शामिल करते हुए पोषण ट्रैकर पर डेटा अपलोड कर रही हैं।

प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई): इस योजना में गर्भावस्था और स्तनपान कराने के दौरान डीबीटी मोड में गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं (पीडब्लू एंड एलएम) के बैंक/डाकघर खाते में सीधे तीन किस्तों में 5,000/- रुपये की नकद प्रोत्साहन राशि प्रदान करने की परिकल्पना की गई है। यह वेतन मुआवजे और स्वास्थ्य चाहने वाले व्यवहार को बढ़ावा देने के माध्यम से महिला सशक्तिकरण का एक उपाय है। 24.12.2021 तक, 2.17 करोड़ लाभार्थी इस योजना के तहत कुल 9,457/- करोड़ रुपये के भुगतान से लाभान्वित हुए हैं।

कोविड-19 के कारण संकट में पड़े बच्चों के लिए पीएम केयर्स फंड – पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन स्कीम के लिए एक वेब पोर्टल 15.07.2021 को लॉन्च किया गया है जिसका नाम पीएमकेयर्सफॉरचिल्ड्रन.इन (pmcaresforchildren.in) है। इसमें उन लाभार्थी बच्चों का पंजीकरण और उनकी पहचान की जा रही है जिन्होंने 11.03.2020 से शुरू कोविड महामारी के दौरान अपने दोनों माता-पिता, कानूनी अभिभावक या दत्तक माता-पिता या जीवित माता-पिता को खो दिया है। इस पोर्टल पर ऐसे बच्चों के विवरण को अद्यतन करने के लिए संबंधित मंत्रालयों/विभागों और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ कई बार वेब बैठकों का आयोजन किया गया। पोर्टल के अनुसार 24.12.2021 तक पंजीकृत कुल 6098 आवेदन हैं, जिनमें से 3481 आवेदन जिलाधिकारियों द्वारा स्वीकृत किए गए हैं और योजना के तहत 3275 लाभार्थियों के डाकघर खाते खोल दिए गए हैं। योजना दिशानिर्देश यहां उपलब्ध हैं: https://wcd.nic.in/acts/pm-cares-child-scheme-guidelines

वन स्टॉप सेंटर: हिंसा से प्रभावित और सहायता की जरूरत वाली महिलाओं के लिए 704 वन स्टॉप सेंटर या 34 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में सखी केंद्रों के माध्यम से एक ही जगह कई एकीकृत सेवाएं प्रदान की जा रही हैं, जिसमें पुलिस की सुविधा, चिकित्सा और कानूनी सहायता एवं परामर्श और मनोवैज्ञानिक-सामाजिक परामर्श शामिल हैं। इसके साथ ही टोल-फ्री महिला हेल्पलाइन (181) के माध्यम से आपातकालीन/गैर-आपातकालीन सहायता प्रदान की जाती है। 24.12.2021 तक, 54 लाख से अधिक महिलाओं को सहायता प्रदान की गई है।

निर्भया कोष: अधिकारियों की अधिकार प्राप्त समिति (ईसी) की एक बैठक 26.03.2021 को आयोजित की गई थी जिसमें पूर्व में स्वीकृत परियोजनाओं / योजनाओं के कार्यान्वयन की स्थिति की समीक्षा के अलावा, अधिकारियों की अधिकार प्राप्त समिति ने महिलाओं को विभिन्न पहलुओं पर सुरक्षा के लिए उठाए जाने वाले 16 पहलों को ‘सैद्धांतिक’ मंजूरी दी थी जिसमें ड्यूटी करने वालों का प्रशिक्षण, चालक, मानसिक स्वास्थ्य, खतरनाक जगहों को प्रकाशित करना, पीड़ित को समय पर मुआवजा प्रदान करना, पुलिस सहायता बूथ, नाबालिग लड़कियों को राहत और आश्रय सहायता आदि शामिल हैं। इसके अलावा, अधिकार प्राप्त समिति ने बिहार सरकार, पंजाब सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार की महिला सुरक्षा पर 3 परियोजनाएं/योजनाएं का मूल्यांकन किया। इसके अलावा, चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान, 114.89 करोड़ रुपये के दो प्रस्तावों अर्थात (1) विदेश में भारत मिशन के तहत वन स्टॉप सेंटर (ओएससी) खोलने का प्रस्ताव- 40.79 करोड़ रुपये) और (2) बलात्कार/सामूहिक बलात्कार से बची जीवित और गर्भवती हुई नाबालिग लड़की को न्याय दिलाने और महत्वपूर्ण देखभाल एवं सहायता के लिए योजनाएं- 74.10 करोड़ रुपये, का 28.04.2021 को मूल्यांकन किया गया और 30.09.2021 को चार और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में डीएनए विश्लेषण के प्रस्ताव के लिए 17.31 करोड़ रुपये का मूल्यांकन किया गया था।

चाइल्डलाइन का विस्तार: चाइल्डलाइन 1098 एक राष्ट्रव्यापी पहल है जो सहायता की आवश्यकता वाले बच्चों को बचाने और उनकी सहायता करने के लिए दिन में 24 घंटे, वर्ष में 365 दिन, मुफ्त, आपातकालीन फोन सेवा प्रदान करती है। इस वर्ष, चाइल्डलाइन ने बस स्टैंडों पर भी चाइल्डलाइन सेवा शुरू की है और वर्तमान में यह रेलवे स्टेशनों पर अपनी उपस्थिति के अलावा 9 बस स्टैंडों पर उपलब्ध है।

आईसीडीएस के तहत पूरक पोषाहार कार्यक्रमः प्रधानमंत्री की 15 अगस्त, 2021 को लाल किले से की गई घोषणा को ध्यान में रखते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने महिलाओं और बच्चों में कुपोषण की समस्या से निपटने के लिए पूरक पोषण कार्यक्रम के तहत राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को 100 प्रतिशत परिष्कृत चावल वितरित करने का निर्णय लिया है।

किशोर न्याय संशोधन अधिनियम: सरकार ने 9 अगस्त, 2021 को किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2021 को किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के तहत कार्यान्वयन और निगरानी तंत्र को मजबूत करने के लिए अधिसूचित किया है। इसके अलावा, जेजे संशोधन अधिनियम, 2021 अपर जिला मजिस्ट्रेट सहित जिला मजिस्ट्रेट को जेजे अधिनियम, 2015 के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार एजेंसियों के कार्यों का प्रभावी ढंग से समन्वय और निगरानी करने और अधिनियम के प्रावधानों के तहत गोद लेने के मामलों का फैसला करने का अधिकार देता है। नए संशोधन में बाल कल्याण समिति के सदस्यों की नियुक्ति के लिए पात्रता शर्तें भी जारी की गई हैं।

दत्तक ग्रहण प्रक्रिया का सरलीकरण:

किशोर न्याय अधिनियम 2015 को 9.8.2021 को सरकारी अधिसूचना के माध्यम से संशोधित किया गया है और संशोधनों की सबसे महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक के तहत अपर जिला मजिस्ट्रेट सहित जिला मजिस्ट्रेट को मामलों का त्वरित निपटान सुनिश्चित करने और जवाबदेही बढ़ाने के लिए जेजे अधिनियम की धारा 61 के अंतर्गत गोद लेने के आदेश जारी करने के लिए अधिकृत करना शामिल है। गोद लेने के मामले में जिला मजिस्ट्रेट को शिकायत निवारण प्राधिकारी और मंडल आयुक्त को अपीलीय प्राधिकारी के रूप में कार्य करना होता है। अधिनियम के तहत जिलाधिकारियों को इसके सुचारू कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के साथ-साथ संकट की स्थिति में बच्चों के पक्ष में समन्वित प्रयासों को सुनिश्चित करने के लिए और अधिक अधिकार दिए गए हैं।
17 सितंबर 2021 को, सरकार ने देश के बाहर रहने वाले हिंदू भावी दत्तक माता-पिता या दत्तक माता-पिता द्वारा गोद लेने से संबंधित प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए “विदेश में एक बच्चे को स्थानांतरित करने की इच्छा रखने वाले व्यक्तियों द्वारा हिंदू दत्तक और भरण-पोषण अधिनियम, 1956 के तहत गोद लिए गए बच्चों के लिए प्रक्रिया” को अधिसूचित किया है। सीएआरए को गोद लेने के ऐसे मामलों में जिला मजिस्ट्रेट द्वारा सत्यापन और प्राप्तकर्ता देश से आवश्यक अनुमति के आधार पर एनओसी जारी करने का अधिकार दिया गया है।
दिनांक 4.3.2021 के नोटिस के अनुसार, भारत के पंजीकृत प्रवासी नागरिकों को गोद लेने के मामले में प्रवासी भारतीयों के साथ समानता प्रदान की गई है।
पोषण पखवाड़ा (16-31 मार्च, 2021): पोषण पखवाड़ा 16-31 मार्च, 2021 तक आयोजित किया गया था। इन 16 दिनों के समारोहों के दौरान लक्षित लाभार्थियों और हितधारकों को जागरूक करने के लिए जनता तक और दूरस्थ स्थानों तक पहुँच बनाने के लिए, पोषण पखवाड़ा निम्नलिखित विषयों पर केन्द्रित रहा।

खाद्य वानिकी के माध्यम से पोषण संबंधी चुनौतियों का समाधान
पोषण पंचायत
स्वास्थ्य के लिए आयुष
खाद्य और पोषण वानिकी और वृक्षारोपणः इंडिया@75
मूल प्रकृति की ओर- स्वास्थ्य के लिए योग
पोषण वाटिका
पोषण के पांच सूत्र
स्वास्थ्य के लिए पारंपरिक व्यंजन – मेरी रसोई मेरा औषधालय
पोषण संबंधी सहायता के लिए आयुष एप्लीकेशनः इंडिया@75
आयुष मंत्रालय द्वारा समर्थित वृक्षारोपण अभियान के माध्यम से, पोषण पखवाड़ा, 2021 के दौरान 6 राज्यों, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और मिजोरम के 21 जिलों में औषधीय और पोषण समृद्ध पौधों के 1.10 लाख पौधे लगाए गए हैं। मार्च, 2021 में आंगनबाड़ी केन्द्रों/सामुदायिक भूमि एवं लाभार्थियों के परिसरों में लगभग 10.92 लाख नये किचन गार्डन स्थापित किये गये हैं। जमीनी स्तर पर सूक्ष्म पोषक तत्वों और विटामिन स्रोतों की उपलब्धता और पहुंच सुनिश्चित करने के लिए और किचन गार्डन को बढ़ावा देने के लिए भारतीय डाक के माध्यम से राष्ट्रीय बीज निगम लिमिटेड के द्वारा चयनित गणमान्य व्यक्तियों और आंगनवाड़ी केंद्रों को लगभग 10.50 लाख सब्जी किट वितरित की गईं हैं।

राष्ट्रीय पोषण माह (सितंबर 2021): चौथा राष्ट्रीय पोषण माह सितंबर 2021 में मनाया गया था ताकि चार प्रमुख विषयों जैसे ‘पोषण वाटिका’ पर पौधरोपण गतिविधि, पोषण के लिए योग और आयुष, उच्च भार वाले जिलों में आंगनवाड़ी लाभार्थियों को पोषण किट वितरण और एसएएम बच्चों की पहचान पर ध्यान केंद्रित करते हुए सुपोषित भारत के सामान्य लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु सामूहिक रूप से कार्य करने के लिए भारत भर के समुदायों को एक साथ लाया जा सके। महिलाओं और बच्चों के पोषण से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने के लिए मंत्रालय द्वारा 30-31 अगस्त, 2021 को केवडिया, गुजरात में दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया था।

पोषण माह के दौरान, “कुपोषण के उन्मूलन में पोषण वाटिका का महत्व”, “चावल के सुदृढ़ीकरण”, “बाजरा और खाद्य सुरक्षा- पोषण संबंधी परिप्रेक्ष्य”, “पहले 1000 दिनों का महत्व, प्रारंभिक बचपन देखभाल और विकास (ईसीसीडी) और कुपोषण की रोकथाम एवं प्रबंधन” भागीदारी वाले मंत्रालयों के सहयोग से वेबिनार आयोजित किए गए थे। प्राकृतिक भोजन के महत्व, एसएएम और एमएएम बच्चों की पहचान के बारे में सामान्य जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न शिविरों का आयोजन किया गया। अन्य गतिविधियों में योग पर जन आंदोलन, सही पोषण और स्वस्थ संतुलित आहार के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए पोषण रैलियां, एनीमिया जागरूकता सह जांच शिविर आदि शामिल हैं।

2021 में पोषण माह को सभी हितधारकों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली और पोशन माह-2021 के दौरान राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा 20.3 करोड़ गतिविधियों का संचालन किया गया।

‘आजादी का अमृत महोत्सव’: बच्चों के विचार, अधिकार और पोषण: भारत का आज़ादी के 75 वर्ष को यादगार अवसर बनाने के लिए, मंत्रालय द्वारा 14 से 21 नवम्बर, 2021 को आजादी का अमृत महोत्सव ‘बच्चों के विचार, अधिकार और पोषण’ विषय के साथ बाल सप्ताह मनाया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य बाल अधिकारों के बारे में जागरूकता पैदा करना और इस दिशा में व्यापक स्तर पर समुदाय की सामूहिक विचार प्रक्रिया को प्रोत्साहित करना था, मुख्य रूप से बाल देखभाल संस्थानों (सीसीआई) और विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसियों में पहुँच गतिविधियों के माध्यम से राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने 21 नवंबर, 2021 को बाल संरक्षण के मुद्दों के निवारक पहलुओं पर जोर देने के साथ बाल अधिकारों पर विभिन्न हितधारकों के साथ एक राष्ट्रीय कार्यक्रम का आयोजन किया।

सप्ताह के दौरान, मंत्रालय ने दत्तक माता-पिता और भावी दत्तक माता-पिता के लिए बैठकों के साथ-साथ संवेदीकरण कार्यक्रम/ वेबिनार आयोजित किए। एनआईपीसीसीडी द्वारा बाल अधिकारों पर एक वेबिनार भी आयोजित किया गया था जिसमें कानून और न्याय मंत्रालय, बाल अधिकार केंद्र, एनसीईआरटी, यूनिसेफ के वरिष्ठ अधिकारियों और बच्चों के लिए विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले 1600 हितधारकों ने भागीदारी की। चाइल्ड केयर संस्थानों में बच्चों के लिए ‘विजन फॉर इंडिया फॉर नेक्स्ट 25 इयर्स’ विषय पर भाषण प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं। बच्चों ने राष्ट्रीय संग्रहालय का भी दौरा किया। इन कार्यक्रमों का आयोजन देश के सभी राज्यों के सीसीआई में किया गया था।

इसके अलावा, स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव के एक भाग के रूप में संविधान दिवस के अवसर पर 26.11.2021 को संयुक्त राष्ट्र सभा में एक कार्यक्रम ‘संग्राम से संविधान तक’ मनाया गया। इस आयोजन ने महिलाओं को भारत की स्वतंत्रता और लोकतंत्र में प्रेरक शक्ति के रूप में मनाया।

क्षय रोग के खिलाफ महिलाओं की जीत पर राष्ट्रीय सम्मेलन

क्षय रोग दुनिया भर में एक सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बना हुआ है, जो अकेले भारत में हर वर्ष लगभग 26 लाख व्यक्तियों के जीवन को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। सामाजिक मोर्चे पर, क्षय रोग से प्रभावित लोगों और उनके परिवारों द्वारा सामाजिक कलंक और भेदभाव का सामना किया जाता है। सामाजिक बाधाएं क्षय रोग से प्रभावित महिलाओं को स्वतंत्र रूप से त्वरित और निरंतर देखभाल तक पहुंच से रोकती हैं। भेदभाव रूप य सोच देखभाल करने वालों के रूप में उनकी भूमिका को प्रभावित करता है और पोषण, स्वास्थ्य और कल्याण की प्राथमिकता में भी बाधा पहुँचाता है।

इस चिंता को स्वीकार करते हुए, महिला और बाल विकास मंत्रालय ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ 16 दिसंबर, 2021 को नई दिल्ली में क्षय रोग पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। माननीय उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडु राष्ट्रीय सम्मेलन में मुख्य अतिथि थे, जिसमें संसद सदस्यों, मंत्रालय और राज्य के प्रतिनिधियों, क्षय रोग चैंपियन, विकास भागीदारों, शिक्षाविदों, विशेषज्ञों और मीडिया सहित एक हजार से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। पहली बार 150 से अधिक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता भी दर्शकों में शामिल हुईं।

सम्मेलन ने विभिन्न नीतिगत हस्तक्षेपों पर चर्चा करते हुए उन्हें रेखांकित किया गया कि गुप्त रूप से हो रहे क्षय रोग के सक्रिय क्षय रोग तक पहुँचने की स्थिति से उत्पन्न कारक के साथ-साथ कुपोषण भी एक महत्वपूर्ण और तय जोखिम कारक है। सम्मेलन में यह भी उल्लेख किया गया कि क्षय रोग के कलंक से लड़ना और यह निर्धारित करना कि महिलाएं सक्रिय रूप से पर्याप्त पोषण सहायता के साथ क्षय रोग देखभाल के लिए आगे बढ़े और इसका पूर्ण उपचार करें ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि 2025 तक क्षय रोग को समाप्त करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में पूरे समाज की भागीदारी भी हो।

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