X बनाम भारत सरकार: ‘ग़ैरक़ानूनी सेंसरशिप’ पर विवाद गहराया

X के अनुसार, भारत सरकार द्वारा कुछ ट्वीट्स और अकाउंट्स को ब्लॉक करने के निर्देश ‘मनमाने’ और ‘अलोकतांत्रिक’ हैं। कंपनी का कहना है कि ये प्रतिबंध आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 69(A) का दुरुपयोग करते हैं, जो सरकारी एजेंसियों को इंटरनेट कंटेंट पर नियंत्रण की शक्ति देता है।

X ने अदालत में दायर याचिका में कहा है कि,
“हम भारत की संप्रभुता और क़ानून का सम्मान करते हैं, लेकिन इस तरह की कार्रवाई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है और इसे लोकतंत्र के हित में अदालत में चुनौती देना ज़रूरी है।”

सरकार ने X के आरोपों को ख़ारिज करते हुए कहा कि सेंसरशिप का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा, सांप्रदायिक सौहार्द और सामाजिक स्थिरता बनाए रखना है। सरकार के अनुसार, जिन अकाउंट्स और पोस्ट को हटाने के निर्देश दिए गए हैं, वे भ्रामक, भड़काऊ या राष्ट्र-विरोधी सामग्री से संबंधित थे।

सूचना और प्रसारण मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा,
“हम केवल उन्हीं अकाउंट्स और पोस्ट पर कार्रवाई करते हैं जो भारत की सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था या सामाजिक सौहार्द को प्रभावित कर सकते हैं। किसी भी लोकतांत्रिक देश में सोशल मीडिया कंपनियों को भी ज़िम्मेदारी से काम करना चाहिए।”

यह पहला मौका नहीं है जब X और भारत सरकार के बीच टकराव हुआ हो।
2021: केंद्र सरकार और X के बीच नए आईटी नियमों को लेकर विवाद हुआ था।
2022: सरकार ने कुछ पत्रकारों और एक्टिविस्ट्स के अकाउंट्स को ब्लॉक करने का निर्देश दिया, जिसे X ने ‘अतिरेक’ बताया था।
2023: सरकार ने कथित तौर पर ‘फेक न्यूज’ फैलाने वाले सैकड़ों अकाउंट्स हटाने का आदेश दिया था।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला भारत में इंटरनेट स्वतंत्रता और सरकार की नियामक शक्तियों के संतुलन को परिभाषित कर सकता है।
यदि अदालत X के पक्ष में फैसला देती है, तो सरकार को सोशल मीडिया सेंसरशिप पर अपने नियमों में बदलाव करने पड़ सकते हैं।
अगर सरकार जीतती है, तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को भारत के आईटी कानूनों का सख्ती से पालन करना होगा।

आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 69(A) सरकार को किसी भी वेबसाइट, ऐप या अकाउंट को ब्लॉक करने का अधिकार देती है, यदि वह देश की संप्रभुता, अखंडता, रक्षा, सुरक्षा या सार्वजनिक व्यवस्था को प्रभावित करता है। हालांकि, आलोचकों का कहना है कि इसका उपयोग असहमति की आवाज़ को दबाने के लिए भी किया जा सकता है।

X बनाम भारत सरकार का यह विवाद डिजिटल स्वतंत्रता और सरकारी नियंत्रण के बीच संतुलन को लेकर बड़ा सवाल खड़ा करता है। अदालत का फैसला भारत में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की भूमिका और उनके अधिकारों को नए सिरे से परिभाषित कर सकता है। अब सबकी नजरें इस कानूनी लड़ाई पर हैं, जिसका असर भविष्य में डिजिटल सेंसरशिप नीतियों पर भी पड़ सकता है।

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