एक साल तक बनी रहेगी दुरी , 86 फीसदी लोग धार्मिक स्थल नहीं जाएंगे : सर्वे

जीवन में क्या बदला..81% महामारी विशेषज्ञों का 3 महीने से लेकर 1 साल तक गले मिलने-हाथ मिलाने से इनकार, 500 से ज्यादा ने अपने रोजमर्रा के 20 कामों पर रखी निजी राय

 

न्यूज़ डेस्क : प्राय: हमारी जिज्ञासा रहती है कि हमें बीमारियों से बचाने वाले डॉक्टर या विशेषज्ञ खुद अपना और अपने परिवार का ख्याल कैसे रखते हैं। कोरोना महामारी में भी दुनिया के लोग लंबे अरसे से विशेषज्ञों का नजरिया जानने में लगे हैं। इसे देखते हुए हाल ही में एक सर्वे में 511 महामारी विशेषज्ञ ने से कोरोना के साये में रोजमर्रा की गतिविधियों पर उनकी राय जानी गई। उन्हें यह गतिविधियां शुरू करने के लिए चार समय अवधियों (इसी मौसम में 3 से 12 माह 1 साल से ज्यादा और कभी नहीं) का विकल्प दिया गया था। ज्यादातर अगले 3 माह से लेकर 1 साल से भी ज्यादा वक्त तक दोस्तों के साथ पिकनिक पार्टी, ऑफिस, रेस्त्रां जाने, हवाई यात्रा करने, खेलकूद, धार्मिक कार्यक्रमों, संगीत, समारोह, शादी और अंतिम संस्कार में शरीक होने से साफ इनकार किया है। अधिकतर विशेषज्ञों ने लंबे समय तक मास्क पहनने और गले मिलने व हाथ मिलाने से बचने की बात कही। कुछ ने तो इस आदत से हमेशा के लिए ही तौबा कर ली है।

 

92% प्रतिशत ने कहा नियमित पहनेंगे मास्क

96% अभी खेलकूद कान्सर्ट से रहेंगे दूर

42% एक साल से भी ज्यादा वक्त तक दूर से ही करेंगे अभिवादन

56% सैर पर जाने, 60% डॉक्टर से मिलने, 41% सैलून जाने को अभी से तैयार

86% धार्मिक स्थलों का नहीं करेंगे रुख

वैक्सीन आने तक सभी बाहरी कामों से रहेंगे दूर

इनके लिए एक साल से भी ज्यादा समय तक इंतजार

 

कोरोना रूपी रावण – फोटो : पीटीआई

96% फिलहाल खेलकूद और कॉन्सर्ट से दूर रहेंगे

इनमें 64 फीसदी एक साल से भी ज्यादा समय तक कहीं भी शरीर नहीं होंगे

92% नियमित मास्क पहने नाज नहीं छोड़ेंगे

इनमें से 52 फीसदी बोले कि वह 1 साल से भी ज्यादा वक्त तक मास्क पहनते रहेंगे

86% फिलहाल धार्मिक स्थलों का रुख नहीं करेंगे

43 फीसदी एक साल से भी ज्यादा समय तक पूजा प्रार्थना करने नहीं जाएंगे

81% गले लगाने और हाथ मिलाने से लंबे समय तक दूर रहेंगे 

इनमें 42% एक साल से भी ज्यादा वक्त तक दूर से ही अभिवादन करेंगे

6% ने तो हमेशा के लिए ही तौबा कर ली है

84% अनजान के साथ बाहर नहीं जाएंगे, सिर्फ 14 फीसदी ने ही इसके लिए हां की है

70 फीसदी से अधिक मृतक अन्य बीमारियों से भी पीड़ित थे

 

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