क्या, इस बार 15 अगस्त पर लाल किला नहीं कश्मीर मे झंडा फहराएंगे मोदी ?

न्यूज़ डेस्क : गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म करने का प्रस्ताव पेश कर कश्मीर को लेकर चल रही सभी अटकलों पर विराम लगा दिया है। पेश प्रस्ताव के तहत जम्मू-कश्मीर और लद्दाख क्षेत्र को अलग-अलग केन्द्र शासित प्रदेश बनाया जाना है। संसद से प्रस्ताव पास हो जाने के बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने के साथ ही यह कानून बन जायेगा। अटकलें इस बात की भी लगाई जा रही हैं कि अचानक कुछ अलग करने के लिए पहचाने जाने वाले पीएम नरेंद्र मोदी इस बार 15 अगस्त को कश्मीर में तिरंगा फहरा सकते हैं।

 

इसी बीच बीजेपी की जम्मू-कश्मीर इकाई ने पूरे राज्य में 15 अगस्त को तिरंगा फहराने का कार्यक्रम बनाया है। इसके तहत जम्मू-कश्मीर के हर पंचायत, जिला मुख्यालयों और सभी सरकारी इमारतों पर 15 अगस्त को तिरंगा फहराया जायेगा और वंदे मातरम गीत गाया जायेगा। इसमें कश्मीर का वह लाल चौक भी शामिल होगा जहां तिरंगा फहराने को लेकर कई बार हिंसक वारदातें हो चुकी हैं। 

चर्चा के मुताबिक अब जम्मू-कश्मीर भी अन्य केंद्र शासित प्रदेशों की भांति केंद्र सरकार के अधीन होगा। विधानसभा चुनाव होंगे, लेकिन इसके बाद भी वे केंद्र द्वारा नियुक्त उपराज्यपाल की सहमति के बिना महत्वपूर्ण निर्णय नहीं ले सकेंगे। कश्मीर घाटी में मौजूदा हलचल को आगामी विधानसभा चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है। चर्चा है कि जम्मू-कश्मीर में वर्ष के अंत में चुनाव कराए जा सकते हैं। इसी बीच भाजपा जम्मू-कश्मीर में भी सदस्यता अभियान को तेजी से आगे बढ़ा रही है। पार्टी महासचिव अरुण सिंह ने कहा है कि राज्य में सदस्यता अभियान तेजी से चल रहा है। जम्मू के अलग-अलग भागों से लेकर घाटी तक में लोगों ने भाजपा की सदस्यता ली है। पार्टी ने उपाध्यक्ष अविनाश राय खन्ना को राज्य में चुनावी जिम्मेदारी सौंपकर अपनी तैयारी को तेज करने का भी संकेत दिया था।

इसी वर्ष कश्मीर घाटी में पहली बार विश्व हिन्दू परिषद ने भी अपनी वार्षिक बैठक आयोजित की थी। इस बैठक में कश्मीर सहित पूरे राज्य में हिंदुत्व और हिन्दुओं के विषयों पर सक्रियता तेज करने का संकेत दिया गया था। बैठक में अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा व्यवस्थाओं को लेकर भी चर्चा की गई थी। इन सब बातों से संकेत मिलता है कि सरकार ने सोची समझी रणनीति के तहत काफी समय पहले ही कश्मीर मिशन को अपने प्रमुख एजेंडे में शामिल कर लिया था जिसे अब अंजाम दिए जाने की तरफ बढ़ा जा रहा है। 

रविवार को केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल, गृहसचिव राजीव गौबा और कश्मीर से जुड़े शीर्ष अधिकारियों के साथ लंबी बैठक हुई। और आज सुबह यूनियन कैबिनेट की महत्वपूर्ण बैठक भी आयोजित की गई। इस बैठक को भी कश्मीर में कुछ नया होने से जोड़कर देखा जा रहा है। इसी बीच विपक्ष के कुछ शीर्ष नेताओं गुलाम नबी आज़ाद और आनंद शर्मा ने राज्यसभा स्थगित करने का प्रस्ताव दिया था। 

भाजपा हमेशा से जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाती रही है। इसके संस्थापक श्यामाप्रसाद मुखर्जी कश्मीर के मुद्दे पर ही वैचारिक मतभेद के कारण जवाहर लाल नेहरु से अलग हो गये थे। इसके बाद उन्होंने आरएसएस की मदद से भारतीय जनसंघ की स्थापना की थी जो बाद में भारतीय जनता पार्टी में तब्दील हो गई। इस प्रकार कश्मीर की मौजूदा संवैधानिक स्थिति का विरोध भाजपा के मूल में है और अब पूरी ताकत के साथ सत्ता में आने के बाद  वह इसमें परिवर्तन करना चाहती है।

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