एजेंसी : जम्मू-कश्मीर के पुलवामा ज़िले में सीआरपीएफ़ के एक काफ़िले पर हमले में 46 जवानों के मारे जाने के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या भारत अपनी आंतरिक और बाहरी सुरक्षा को लेकर ख़ुद को लाचार पाता है? क्या भारत के पास कोई विकल्प है या ऐसे हमले भविष्य में भी झेलने होंगे?
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में विदेश सचिव रहे कंवल सिब्बल को लगता है कि पाकिस्तान को लेकर भारत को जो सख़्त क़दम उठाने चाहिए वो नहीं कर पा रहा है lसिब्बल मानते हैं कि भारत के पास बहुत विकल्प नहीं हैं, लेकिन कुछ ऐसी रणनीति है जो मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकती है l
सिब्बल कहते हैं, ”भारत के पास एक बहुत ही असरदार विकल्प है और वो है सिंधु जल संधि को तोड़ना. मुझे समझ में नहीं आता कि इस संधि को सरकार क्यों नहीं तोड़ रही है. इस संधि को तत्काल निलंबित करना चाहिए. ऐसा होते ही पाकिस्तान सीधा हो जाएगा. जैसे कहा जाता है कि पाकिस्तानी आतंकवाद का भारत के पास कोई जवाब नहीं है वैसे ही पाकिस्तान के पास सिंधु जल संधि तोड़ने का कोई जवाब नहीं है.”
सिब्बल कहते हैं ट्रंप ने सत्ता में आने के बाद कई संधियां तोड़ी हैं. अमरीका ने ऐसा अपने ख़ास दोस्त जापान और कनाडा के साथ भी किया lअगर अमरीका ऐसा कर सकता है तो भारत को संधि तोड़ने में क्या दिक़्क़त है? अमरीका जलवायु संधि से निकल गया, ईरान से परमाणु समझौते को रद्द कर दिया lसिब्बल को ये बात समझ में नहीं आती कि सिंधु जल संधि को भारत क्यों जारी रखे हुए हैl
सिब्बल मानते हैं कि इस संधि को तोड़ने से भारत पर कोई असर नहीं होगा. वो कहते हैं कि एक बार भारत अगर इस संधि को तोड़ देता है तो पाकिस्तान को अहसास हो जाएगा.
भारत विदेश सेवा के वरिष्ठ अधिकारी विवेक काटजू भी मानते हैं कि भारत को अब हर विकल्पों पर विचार करना चाहिए.
कंवल सिब्बल कहते हैं, ”भारत के लिए डिप्लोमैटिक विकल्प ही काफ़ी साबित नहीं होंगे. हालांकि इसका भी सहारा लेना होगा. अब ठोस क़दम उठाने की बारी आ गई है. अब कश्मीर में कुछ सफ़ाया करना होगा. अब तक कुछ ठोस हो नहीं पाया है.” ”कुछ दिन पहले ही पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने कश्मीर के अलगाववादी नेता मीरवाइज़ उमर फ़ारूक़ से बात की थी. भारत ने इसका विरोध भी किया पर कुछ नहीं हुआ. पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने फिर गिलानी को फ़ोन किया. ये जो अलगाववादी हैं यानी जो ग्राउंड पर आतंकी गतिविधियों का समर्थन करते उन्हें काफ़ी स्पेस दी जा रही है. कश्मीर की पार्टियों के जो प्रवक्ता हैं वो टीवी पर इतनी राष्ट्रविरोधी बातें करते हैं कि सुनकर बहुत बुरा लगता है.”
Comments are closed.