न्यूज़ डेस्क : जापान में सात दिनों में कोरोना संक्रमण के औसतन 1,000 से भी कम मामले सामने आ रहे थे। मार्च महीने के इस डेटा को देख विशेषज्ञों को भी यह भरोसा होने लगा कि जापान ने पिछले एक साल में तीसरी बार महामारी पर काबू पा लिया है। कोरोना संक्रमण की दर में लगातार आती गिरावट को देखते हुए जापान ने जुलाई में ओलंपिक की मेजबानी के लिए कमर कस ली। लेकिन, अप्रैल के मध्य से चीजें बदलने लगी। जापान में कोरोना की चौथी लहर ने दस्तक दी। जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के अनुसार, 8 मई को, जापान में जनवरी के बाद पहली बार कोरोना संक्रमण के मामले 7,000 से ऊपर आए थे। वर्तमान में, देश का सात दिन का औसत 4,449 है।
कई जगह आपातकाल की घोषणा
जापान में कोविड -19 मामलों को इस दर से बढ़ता हुआ देख प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा ने देश के नौ प्रान्तों में आपातकाल की घोषणा कर। इसमें टोक्यो के साथ वह स्थान भी शामिल है जहां जुलाई माह में ओलंपिक के खेलों का आयोजन होना है। जापान में चौथी लहर के दौरान प्रतिदिन 4000 से भी ज्यादा कोरोना संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं, कई शहरों में चिकित्सा व्यवस्था बदहाल होती जा रही है।
मरीजों की संख्या में विस्फोटक वृद्धि देखी है – डॉक्टर्स
जापान के तीसरे सबसे बड़े शहर ओसाका के अस्पतालों में सभी बेड़ भर चुके हैं। देश भर में लगभग 35000 लोग (अस्पतालों में भर्ती मरीजों की संख्या से दोगुने) वर्तमान में इस बीमारी से पीड़ित हैं। इलाज मिलने से पहले कई लोग गंभीर रूप से बीमार हो जाते हैं और कभी-कभी मर भी जाते हैं। ओसाका के डॉक्टर्स ने मीडिया को बताया कि उन्होंने मरीजों की संख्या में विस्फोटक वृद्धि देखी। ओसाका में किंडाई विश्वविद्यालय अस्पताल के निदेशक युजी तोहदा ने समाचार एजेंसी से कहते हैं कि अगर हम सीधे शब्दों में कहें तो यह चिकित्सा प्रणाली का पतन है।
चौथी लहर ने जापान को इतनी बुरी तरह क्यों प्रभावित किया है?
जापान का वैक्सीन की दर बहुत धीमी रही है। बता दें कि अन्य विकसित देशों की तुलना में जापान में बहुत बाद, फरवरी माह में टीकाकरण की शुरुआत हुई थी। साथ ही सरकार ने टोक्यो और ओसाका में इसी हफ्ते से बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान शुरू किया है। जिसकी वजह से केवल 2.4 प्रतिशत आबादी को ही पूरी तरह से टीका लगा है।
ओलंपिक खेलों की शुरुआत तक सरकार का लक्ष्य केवल 65 से अधिक उम्र वाले लोगों को ही पूरी तरह से टीका लगाने का है। वर्तमान में, अधिकारी प्रतिदिन टोक्यो में 5,000 और ओसाका में 2,500 लोगों को ही टीका लगाने की योजना बना रहे हैं। जबकि जून और जुलाई में यह क्षमता दोगुनी हो जाएगी। अब तक, जापान के लगभग 4.7% बुजुर्गों (65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों) को ही टीके की कम से कम एक खुराक प्राप्त हुई है।
ओलंपिक स्थगित होंगे या रद्द, क्या है सरकार की योजना?
ओलंपिक खेलों को कोरोना महामारी की वजह से पहले ही साल के लिए स्थगित किया जा चुका है। इसी वजह से दुनिया भर से कड़ी आलोचना के बावजूद टोक्यो ओलंपिक को इस साल आयोजित किया जा रहा है। जापान में महामारी के साये में खेलों को आयोजित करने का विरोध भी बढ़ गया है। वायरल हुए एक ट्वीट में, सॉफ्टबैंक के सीईओ मासायोशी सोन ने कहा था कि 80 फीसदी से अधिक लोग चाहते हैं कि ओलंपिक को स्थगित या रद्द कर दिया जाए। फिर किसके द्वारा और किस अधिकार से इसे आयोजित किया जा रहा है?
चिकित्सा संगठन ने लिखा ओपन लेटर
चिकित्सा संगठन, जो लगभग 6,000 प्राथमिक देखभाल डॉक्टरों का प्रतिनिधित्व करता है, उसने सोमवार को अपनी वेबसाइट पर पीएम योशिहिदे सुगा को एक खुला पत्र पोस्ट किया है। जिसमें कहा गया था कि हम अधिकारियों से अनुरोध करते हैं कि टोक्यो को रद्द करने की व्यवस्था की जाए।
यूएस-सीडीसी ने जारी की चेतावनी
यूनाइटेड स्टेट्स सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ने कहा है कि यात्रियों को जापान की सभी यात्रा से बचना चाहिए। जापान की वर्तमान स्थिति में बेहद खराब है। यदि कोई टीके की दोनों खुराक लेकर भी जापान की यात्रा करता है तो उसे कोरोना के नए वेरिएंट से संक्रमित होने से खतरा है।
इन कारणों से पूर्व में रद्द हो चुका है ओलंपिक खेल
ओलंपिक, अभी तक केवल तीन बार 1916, 1940 और 1944 में रद्द किया गया है। दूसरे विश्व युद्ध के कारण इसे रद्द किया गया था। यही वजह है कि बढ़ती आलोचना और विरोध के बावजूद, अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के उपाध्यक्ष जॉन कोट्स ने वादा किया है कि कोविड-19 प्रतिबंधों के तहत खेल का आयोजन किया जाएगा।
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