2009 से पहले पीएचडी करने वाले भी बन सकेंगे असिस्टेंट प्रोफेसर
नई दिल्ली । विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने पीएचडी रेगुलेशन-2009 में एक महत्वपूर्ण संशोधन किया है। इससे 2009 से पहले पीएचडी करने वाले भी असिस्टेंट प्रोफेसर और दूसरे शैक्षणिक पद के लिए योग्य हो जाएंगे। लेकिन इसके लिए 2009 से पहले पीएचडी करने वालों को अपने पीएचडी थीसिस के आधार पर दो रिसर्च पेपर पत्रिका में प्रकाशित करवाने होंगे, जिसमें एक पेपर प्रतिष्ठित पत्रिका में छपी होनी चाहिए। इसी तरह पीएचडी धारकों को अपने पीएचडी कार्य के आधार पर ही कम से कम दो कॉन्फ्रेंस या सेमिनार में प्रस्तुतीकरण देनी होगी। यदि वे ऐसा करते हैं तो विवि उन्हें एक सपोर्टिंग सर्टिफिकेट जारी करेगा, जिसके आधार पर वे नेट/एसएलईटी/एसईटी नहीं रहने पर भी असिस्टेंट प्रोफेसर या समकक्ष पद के लिए पात्र हो जाएंगे। यह रेगुलेशन 11 जुलाई 2016 को भारत के गजट में प्रकाशित हो चुका है।
इस संशोधन से देश के हजारों पीएचडी धारकों को फायदा होगा। लेकिन इसके लिए सभी विवि को जल्द से जल्द इस संशोधन को लागू करना होगा।
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सर्टिफिकेट के लिए ये बिंदु भी जरुरी-
-पीएचडी रेगुलर मोड में किया गया हो
-पीएचडी थीसिस का मूल्यांकन दो बाहरी परीक्षकों ने किया हो
-अभ्यर्थी का ओपन पीएचडी वायवा हुआ हो
-यूजीसी पीएचडी रेगुलेशन-2009 से पहले भी ये तीनों बिंदु फॉलो किए जाते थे।
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