एसडीजी के समर्थन में काम करते हुए वसुधा ऑर्गेनिक किसानों के लिए अधिक कमाई और कम खर्च सुनिश्चित करता है

वर्तमान और भविष्य में लोगों, और धरती की शांति और समृद्धि के लिए साझा ब्लूप्रिंट प्रदान करने के उद्देश्य से 2015 में सभी संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों द्वारा सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) को अपनाया गया था। सतत विकास लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय विकास संबंधित लक्ष्यों का समूह हैं, जिनको 2015 से 2030 तक हासिल करने की परिकल्पना की गई है। लेकिन यथार्थ की जमीन पर देखें तो 2030 तक सभी लक्ष्यों का पूरा होना संभव नहीं दिखता, इसलिए सरकारों और संस्थाओं ने प्राथमिकता के आधार पर लक्ष्यों को पूरा करने का संकल्प लिया है। वसुधा ऑर्गेनिक भी सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) का समर्थन करता है। वसुधा ऑर्गेनिक निम्नलिखित लक्ष्यों को प्राप्त करने की अपनी सोच पर ध्यान केंद्रित करने की रणनीति अपनाता हैरू गरीबी निषेध, भूख की समाप्ति, अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, जलीय जीवन, भूमि पर जीवन, शांति, न्याय, मजबूत संस्थाएं और लक्ष्यों के लिए साझेदारी। इन लक्ष्यों को गरीबी खत्म करने वाले, धरती की रक्षा करने वाले और सबके लिए शांति और समृद्धि सुनिश्चित करने वाले वैश्विक लक्ष्यों के रूप में भी जाना जाता है। वसुधा आर्गेनिक, निरंतर विकास हेतु वैश्विक साझेदारी को पुनर्जीवित करने के लिए, अपने विभिन्न पहलों में फेयर ट्रेड, पीस इंडिया, टेक्सटाइल एक्सचेंज, एसएसी, कॉटन कनेक्ट, सीएंडए फाउंडेशन, बीसीआई, आदि सस्टेनेबल आर्गेनाइजेशन के साथ सहयोग करते हुए काम करता है।

 

एक वक्त था जब किसान कृषि से सम्बंधित सामग्री के लिए पूरी तरह से बाजार पर निर्भर थे, लेकिन भारत की अग्रणी परिधान निर्माता प्रतिभा सिंटेक्स लिमिटेड की एक पहल, वसुधा ऑर्गेनिक ने किसानों की जिन्दगी और आजीविका में बदलाव लाने का प्रयास किया है। वसुधा के प्रयासों से, आज किसानों को कृषि सम्बंधित जैविक सामग्री का उत्पादन करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। इस प्रयास से किसानों के जीवन पर काफी असर पड़ा है, क्योंकि इससे खेती की लागत में 40 प्रतिशत की कमी आई है, और बाजार पर निर्भरता भी काफी कम हो गई है। न्यायोचित, शांतिपूर्ण और समावेशी समाज को बढ़ावा देने का समर्थन करते हुए, वसुधा सहकारी समितियों, लोकतंत्र और साझा मूल्यों की स्थापना के लिए सहयोगी के तौर काम करने को भी प्रोत्साहित करती है।

पिछले कुछ दशकों के दौरान, रासायनिक खेती ने दुनिया भर की खेती पर कब्जा कर लिया था। रासायनिक खेती ने न केवल घातक रसायनों के सीधे संपर्क में आने वाले किसानों के लिए स्वास्थ्य सम्बंधी गंभीर खतरे पैदा किये, बल्कि उपभोक्ताओं के लिए घातक साबित हुई। खेती में उर्वरकों और कीटनाशकों के अनियंत्रित प्रयोग से न केवल सभी हितधारकों का स्वास्थ्य गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है, बल्कि पूरा पारिस्थिति की तंत्र भी गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो चुका है। जो तत्व सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं, वे प्रकृति के सबसे महत्वपूर्ण तत्व हैं जैसे मिट्टी, पानी और वायु। मिट्टी का स्वास्थ्य विलुप्त होने के स्तर तक चला गया है। रासायनिक प्रदूषण के कारण भूजल को गंभीर रूप से दूषित हो गया है और वायु गुणवत्ता खराब हो गई है। इस परिस्थिति को देखते हुए वसुधा ने प्राकृतिक पर्यावरण संतुलन को बहाल करने के लिए पहल की है।

 

यह देखा गया है कि सारे लक्ष्य आपस में जुड़े हुए हैं। कोई भी सिर्फ एक लक्ष्य प्राप्त करने पर ध्यापन केंद्रित नहीं रख सकता है। इन सभी लक्ष्यों को एक साथ हासिल किया जाना चाहिए। इसलिए, अन्य लक्ष्यों को हासिल करने के लिए, वसुधा ऑर्गेनिक की पहल के केन्द्र में समग्र विकास भी है। फेयर ट्रेड और अन्य कंपनियों के सहयोग से, वसुधा ऑर्गेनिक करही गांव में किसानों के 500 बच्चों के लिए वसुधा विद्या विहार स्कूल चलाता है। यह फ्रेंड्स ऑफ ट्राइबल सोसाइटी के 50 स्कूलों को समर्थन भी देती है। वसुधा का लक्ष्य 2020 तक करही में एक कॉलेज शुरू करना है। सबका कल्याण सुनिश्चित करने के लिए, विभिन्न स्थानों पर स्वास्थ्य जागरूकता और स्वास्थ सम्बंधी जांच शिविर आयोजित किए जाते हैं। अपने विभिन्न स्वास्थ्य कार्यक्रमों के माध्यम से, वसुधा ऑर्गेनिक ने पिछले तीन वर्षों में, नेत्र स्वास्थ्य , दंत स्वास्थ्य, पल्स् पोलियो आदि के लिए विभिन्न चेक-अप शिविर और मधुमेह, स्त्री रोग, कोलेस्ट्रॉल आदि के लिए जागरूकता शिविर आयोजित किए हैं, जिनसे कई समुदाय लाभान्वित हुए हैं।

जलीय जीवन, भूमि के ऊपर के जीवन जितना ही महत्वपूर्ण है। जहरीले और जल्दी नष्ट न होने वाले रसायनों को खत्म करके, जैविक कपास का उत्पादन स्थानीय रूप से उपयोग किए जाने वाले स्वच्छ और स्वस्थ पानी के लिए, जो अंततः महासागरों में जाकर मिल जाता है, एक सक्रिय योगदानकर्ता का काम करता है। इसका न केवल सकारात्मक आर्थिक प्रभाव होता है, बल्कि यह जैव विविधता, पानी और अन्य संसाधनों के कुशल उपयोग को भी बढ़ाता है। वसुधा ऑर्गेनिक टिकाऊ वन प्रबंधन प्रथाओं को भी प्रोत्साहित करता है।

 

वसुधा ऑर्गेनिक के प्रमुख उद्देश्यों में से एक जैविक खेती को बढ़ावा देना है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसान की आय अधिक हो, कृषि रसायन जैसे इनपुट पर खर्च कम हो, और साथ ही कमोडिटी बाजार पर निर्भरता भी कम हो जिससे उनकी लागत कम करने में मदद मिले। 2020 तक, वसुधा ऑर्गेनिक किसान की वर्तमान स्तर की आय को दोगुनी करने की इच्छा रखता है। मालवा क्षेत्र के एक किसान सरदार मथु ने बताया कि ष्किसान बाजार से कृषि इनपुट खरीदते थे, लेकिन अपने खेतों में जैविक इनपुट बनाने के बाद, लागत काफी कम हो गई है। किसान इस पैसे को अपने परिवार की भलाई के लिए खर्च कर सकते हैं।ष् जैविक कपास उत्पादन के मामले में, परस्पर निर्भरता को सम्मान देते हुए वैश्विक साझेदारी और सहयोग के प्रति वसुधा आर्गेनिक की दृढ़ प्रतिबद्धता बुनियादी रूप से महत्वपूर्ण है।
वसुधा ऑर्गेनिक मध्यप्रदेश और राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में सबको पौष्टिक भोजन उपलब्ध् कराने के लिए ऑर्गेनिक फार्मिंग यानी जैविक खेती को प्रोत्साहन देता है। जैविक कपास खाद्य फसलों के साथ चक्रानुक्रम यानी रोटेशन में उगाया जाता है, जिससे उच्च पोषण वाले भोजन की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित होती है। टिकाऊ कपास का उत्पादन करने के लिए 160,000 एकड़ से अधिक की भूमि पर 35,000 किसानों को शामिल करते हुए, वसुधा टीम दोनों मौसमों में कारगर, अभिनव बहु-फसल प्रणाली विकसित करने के लिए किसानों के साथ मिलकर काम कर रही है। इन किसानों में प्रति एकड़ आय में पर्याप्त वृद्धि करने की क्षमता है।

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