जब अमिताभ बच्चन को 1975 के आपातकाल के दौरान ‘ब्लू-पेंसलिंग’ के लिए मैगज़ीनों ने किया था बैन: ‘उनका नाम एक कॉमा से बदल दिया गया था’

1975 का आपातकाल भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील समय था, जिसमें राजनीतिक कारणों से प्रेस की स्वतंत्रता पर कड़ी निगरानी रखी गई। इस दौर में कई फिल्मी हस्तियों और पत्रकारों को सरकार की नीतियों के कारण बड़े दबाव का सामना करना पड़ा था। एक दिलचस्प घटना यह भी थी जब बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन को ‘ब्लू पेंसिलिंग’ के लिए मैगज़ीनों द्वारा बैन किया गया था। इस घटना को लेकर एक अजीब सा तर्क सामने आया था, जिसमें कहा गया था कि उन पर आरोप था कि उन्होंने मैगज़ीन के लेखों में सरकारी दबाव को झेलने के लिए ‘ब्लू पेंसिल’ (सेंसर) का इस्तेमाल किया था।

1975 का आपातकाल और मीडिया की स्थिति

1975 में इंदिरा गांधी के शासन के दौरान, देश में आपातकाल लागू किया गया था, जिससे मीडिया की स्वतंत्रता पर भारी प्रतिबंध लगाए गए थे। इस दौरान प्रेस को सरकार के खिलाफ किसी भी तरह की आलोचना करने से मना किया गया था। आपातकाल के दौरान, कई मीडिया संस्थानों और लेखकों को सेंसरशिप का सामना करना पड़ा, और हर किसी को यह डर था कि सरकार की नीतियों पर आलोचना करने का मतलब जेल की सजा हो सकती है।

इस संकटपूर्ण समय में बॉलीवुड के सितारे भी सरकार के दबाव में थे। फिल्मों की कहानियाँ, गाने, और लेखन तक में सेंसरशिप लागू हो गई थी। लेकिन अमिताभ बच्चन, जो उस समय बॉलीवुड के सबसे बड़े स्टार थे, उनसे जुड़ी एक घटना ने सभी का ध्यान आकर्षित किया।

अमिताभ बच्चन और ‘ब्लू पेंसलिंग’

‘ब्लू पेंसलिंग’ एक पुरानी प्रक्रिया थी, जिसमें लेखकों या पत्रकारों द्वारा लिखे गए लेखों या स्टोरीज़ को सेंसर करने के लिए ‘ब्लू पेंसिल’ का इस्तेमाल किया जाता था। इसका मतलब था कि लेखों में कुछ हिस्से काट दिए जाते थे, जो सरकार के खिलाफ या आपातकाल के दौरान संवेदनशील माने जाते थे।

अमिताभ बच्चन, जो उस समय के सबसे बड़े सितारे थे, पर आरोप था कि उन्होंने कुछ मैगज़ीनों के लिए लेखों में इस ‘ब्लू पेंसल’ का इस्तेमाल किया था। इन मैगज़ीनों में बच्चों के लिए और फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ी स्टोरीज़ प्रकाशित होती थीं। जब यह आरोप सामने आया, तो इन मैगज़ीनों ने अमिताभ बच्चन के नाम को पूरी तरह से हटा दिया था और उनके स्थान पर एक साधारण कॉमा (,) का प्रयोग किया था। इस घटना ने बॉलीवुड और मीडिया जगत में हलचल मचा दी थी और यह एक विवाद का कारण बन गया था।

अमिताभ का उस समय का नजरिया

अमिताभ बच्चन ने बाद में इस घटना पर चुप्पी साधी थी और कभी भी खुले तौर पर इस मुद्दे पर ज्यादा बात नहीं की। हालांकि, उन्होंने यह स्वीकार किया था कि आपातकाल के दौरान कलाकारों और फिल्म इंडस्ट्री के लिए यह एक कठिन समय था, क्योंकि हर किसी को किसी न किसी रूप में सरकारी दबाव का सामना करना पड़ता था।

आपातकाल और फिल्म इंडस्ट्री पर उसका असर

आपातकाल के दौरान, भारतीय फिल्म इंडस्ट्री भी सेंसरशिप से जूझ रही थी। फिल्में और गाने सरकार की नीतियों के खिलाफ नहीं हो सकते थे, और फिल्मी सितारों को इस बात का डर था कि अगर उन्होंने सरकार की नीतियों की आलोचना की, तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते थे। उस समय की फिल्मों और लेखों में सेंसरशिप का असर साफ दिखाई देता था, और अमिताभ बच्चन पर लगे आरोप इस बात का प्रतीक थे कि किस तरह के दबाव में कलाकारों को काम करना पड़ता था।

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