130 करोड़ लोग जब साथ जुड़ते हैं तो ये संग ही संगीत बन जाता है : पीएम मोदी

न्यूज़ डेस्क : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने SPICMACAY कार्यक्रम के उद्घाटन सामारोह में देश को संबोधित करते हुए कहा कि 130 करोड़ भारतीयों ने कोरोना वायरस के खिलाफ अपनी लड़ाई की शुरुआत बर्तन और ताली बजाते हुए पूरे जोश के साथ की। जब 130 करोड़ लोग एक संग जुड़ते हैं तो ये संग ही संगीत बन जाता है। उन्होंने कहा मुझे तीन साल पहले भी स्पिक मैके के अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन को संबोधित करने का मौका मिला था। तब भी मैंने वीडियो लिंक के माध्यम से संवाद किया था। आज भी संयोग है कि आप सब मुझसे वीडियो लिंक के माध्यम से ही जुड़े हैं।

 

 

स्पिक मैके के इस साल के कार्यक्रम की थीम, पूरी दुनिया में कोरोना वायरस बीमारी के कारण जो तनाव है, लोगों में जो डर और दुविधा है, उसे संगीत और कला के माध्यम से कैसे दूर किया जाए, रखी गई है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, हमारे गायकों, गीतकारों और कलाकारों ने देश का मनोबल बढ़ाने के लिए, जागरूक करने के लिए, इस लड़ाई में जोश फूंकने के लिए एक रचनात्मक अभियान खड़ा कर दिया है। बीते दिनों ऐसे कितने ही संगीतमय प्रयोग हमने देखे और सुने हैं।
उन्होंने कहा, ‘आपको याद होगा, कोरोना वायरस के खिलाफ इस अभियान की शुरुआत 130 करोड़ भारतवासियों ने ताली-थाली बजाकर, शंख-घंटी बजाकर खुद की थी, पूरे देश को एक ऊर्जा से भर दिया था। ऐसे में जब 130 करोड़ लोग एक भावना से साथ आते हैं, एक संग जुड़ते हैं, तो ये संग ही संगीत बन जाता है। जिस तरह संगीत में एक सामंजस्य की जरूरत होती है, एक अनुशासन की जरूरत होती है, उसी तरह के सामंजस्य, संयम और अनुशासन से ही देश का प्रत्येक नागरिक आज इस महामारी से लड़ रहा है।

 

 

प्रधानमंत्री ने कहा, कोई भी आपदा पड़ी हो, विपदा-विपत्ति रही हो, हर स्थिति में उत्सवों ने मानव सभ्यता को कठिन परिस्थितियों से बाहर निकलने में मदद की है। हमारे देश में तो हर मौसम के लिए, हर ऋतु के लिए अलग-अलग उत्सव, अलग अलग गीत, संगीत और लोकगीत रहे हैं। संगीत या योग के माध्यम से जब हम अपनी आत्मशक्ति तक पहुंचते हैं तो ये नाद ब्रह्मनाद हो जाता है। यही कारण है कि संगीत और योग दोनों में ही अध्यात्म और मोटीवेशन की शक्ति होती है, दोनों ही ऊर्जा के अपार स्रोत होते हैं।

 

 

प्रधानमंत्री ने एक श्लोक का उदाहरण देते हुए कहा कि हमारे शास्त्रों में तो कहा गया है… न नादेन बिना गीतं, न नादेन बिना स्वरः। न नादेन बिना ज्ञानम् न नादेन बिना शिवः॥ अर्थात, नाद के बिना गीत संगीत और स्वर सिद्ध नहीं होते, और नादयोग के बिना ज्ञान और शिवत्व की प्राप्ति नहीं होती। शिवत्व का मतलब है आत्म कल्याण। शिवत्व का मतलब है मानवता का कल्याण। शिवत्व का मतलब है मानवता की सेवा। इसलिए, हमारे यहां संगीत केवल अपने सुख का ही नहीं, बल्कि साधना और सेवा का भी माध्यम रहा है, संगीत की साधना, तपस्या का रूप रही है।
आज हमारा हर एक देशवासी अपने-अपने तरीके से, अपनी-अपनी क्षमता के मुताबिक सेवा के अभियान में लगा है। जिससे जो बन पड़ रहा है वो गरीबों की मदद के लिए, देश के लिए कर रहा है। संगीत और कला के माध्यम से आप भी सेवा की इस भावना को ही आगे बढ़ा रहे हैं। मुझे विश्वास है कि स्पिक मैके का ये डिजिटल कार्यक्रम भी देश के इस अभियान को एक नई दिशा देने का काम करेगा। ये डिजिटल कन्वेंशन, प्राचीन कला-संगीत का टेक्नोलॉजी के साथ ये तालमेल, ये सम्मिलन आज समय की मांग भी है।

 

 

उन्होंने कहा, राज्यों और भाषाओं की सीमाओं से ऊपर उठकर आज संगीत ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के आदर्श को भी पहले से ज्यादा सशक्त कर रहा है। आप देखिए, आज बंगाल में बैठा व्यक्ति इंटरनेट पर पंजाबी गाने सीख रहा है, पंजाब का युवा दक्षिण भारतीय संगीत सीख रहा है। लोग जो सीख रहे हैं उससे 130 करोड़ देशवासियों को जोड़ भी रहे हैं। लोग सोशल मीडिया पर अपनी रचनात्मकता के माध्यम से नये-नये संदेश भी पहुंचा रहे हैं, कोरोना के खिलाफ देश के अभियान को आगे बढ़ा रहे हैं।

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