न्यूज़ डेस्क : पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ सीनेट में महाभियोग प्रस्ताव गिर जाने के बाद उनकी रिपब्लिकन पार्टी की अगली दिशा के बारे में अनुमान लगाए जा रहे हैं। विश्लेषकों ने कहा है कि रिपब्लिकन पार्टी जिस रणनीति पर चल रही है, उसका संकेत यह है कि अब वह श्वेत श्रमिक वर्ग और ब्लैक और हिस्पैनिक (स्पेनिश भाषी) समुदायों की प्रतिनिधि पार्टी बनने की कोशिश करेगी।
ट्रंप ने लिया था श्रमिक वर्ग का सहारा
ट्रंप ने 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में हैरतअंगेज ढंग से अमेरिका के श्रमिक वर्ग का भारी समर्थन हासिल किया था। यह रिपब्लिकन पार्टी की आम छवि के खिलाफ था। रिपब्लिकन पार्टी को मोटे तौर पर बड़े पूंजीपतियों, धनी-मानी तबकों और समाज के कंजरवेटिव वर्ग की पार्टी माना जाता है, लेकिन ट्रंप की खूबी यह रही कि उन्होंने देश में अपनी बिगड़ती आर्थिक स्थिति से नाराज मजदूर वर्ग को अपने पक्ष में कर लिया। 2020 के चुनाव में भी रिपब्लिकन पार्टी के लिए इस तबके के समर्थन में ज्यादा सेंध नहीं लगी। बल्कि इस बार आश्चर्यजनक रूप से पार्टी के लिए ब्लैक, हिस्पैनिक और महिलाओं के समर्थन में बढ़ोतरी हुई।
कार्पोरेट वर्ग से संबंध हो रहे कमजोर
विश्लेषकों का कहना है कि अगर इस समर्थन को पुख्ता करने की कोशिश करते हुए रिपब्लिकन पार्टी आगे बढ़ी तो कॉरपोरेट अमेरिका से उसके संबंध कमजोर पड़ सकते हैं। वैसा यह होने के संकेत 2020 के चुनाव में भी मिले। पिछले चुनाव में कॉरपोरेट घरानों ने ट्रंप से ज्यादा चंदा डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडन को दिया।
क्या कहती है वेबसाइट एक्सियोस डॉटकॉम की रिपोर्ट
वेबसाइट एक्सियोस डॉटकॉम की एक रिपोर्ट के मुताबिक रिपब्लिकन पार्टी के बड़े नेताओं ने उससे कहा कि अब पार्टी का भविष्य श्रमजीवी मजदूर और अल्पसंख्यक मतदाता ही हैं, जो देश में बढ़ती गैर-बराबरी से नाराज हैं। इन नेताओं के मुताबिक ट्रंप ने इस हकीकत को समझा। इसीलिए उन्होंने मुक्त व्यापार समझौतों के खिलाफ मुहिम चलाई, जिस कारण अमेरिकी उद्योगों का पलायन हुआ था।
ट्रंप ने इन तबकों को गोलबंद किया, लेकिन उन्होंने नीतियां धनी तबकों के हित में ही बनाईं, जिससे गैर-बराबरी और बढ़ी है, लेकिन ट्रंप की खूबी यह है कि नस्लीय और सामाजिक पूर्वाग्रहों के आधार पर भावनाएं भड़का कर उन्होंने अपने सियासी आधार को मजबूत बनाए रखा।
ट्रंप समर्थकों को कार्पोरेट सेक्टर का चंदा नहीं
छह जनवरी की घटना के बाद अमेरिका के कॉरपोरेट सेक्टर के रुख में बड़ा बदलाव आया है। कई बड़ी कंपनियों ने ट्रंप समर्थक नेताओं को चंदा ना देने का एलान किया है। जानकारों के मुताबिक इससे भी रिपब्लिकन पार्टी के सामने ये मजबूरी पैदा हो गई है कि वह धनी लोगों के लिए टैक्स में कटौती जैसे मुद्दों से हटकर दूसरे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करे।
यूगोव के सर्वे में रोजगार स्थिरता पर जोर
हाल में आए यूगोव एजेंसी के सर्वे से जाहिर हुआ कि पिछले चुनाव में जिन लोगों ने रिपब्लिकन पार्टी को वोट दिए, उनमें ज्यादातर के लिए टैक्स में कटौती अहम मुद्दा नहीं है। बल्कि उनका ज्यादा जोर रोजगार की स्थिरता पर है। इस सर्वे में 2020 में रिपब्लिकन पार्टी को वोट देने वाले लोगों में 42 प्रतिशत ने अपनी पहचान वर्किंग क्लास (श्रमिक वर्ग) के रूप में की। 42 फीसदी अन्य मतदाताओं ने अपनी पहचान धार्मिक ईसाई के रूप में की। ऐसे में रिपब्लिकन पार्टी के लिए खुद को श्रमिक वर्ग और कंजरवेटिव सोच वाले लोगों की प्रतिनिधि के रूप में पेश करना एक कारगर रणनीति हो सकती है।
अमेरिकी समाज में हो रहा पुनर्ध्रुवीकरण
रिपब्लिकन पार्टी में सीनेटर मार्को रुबियो और हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव के सदस्य केविन मैकार्थी पार्टी की इस नई दिशा के सबसे बड़े पैरोकार बन कर उभरे हैं। मैकार्थी ने बीते हफ्ते एक इंटरव्यू में कहा कि अब अमेरिकी श्रमिकों पर पार्टी का सबसे ज्यादा ध्यान होगा। साथ ही पार्टी आव्रजन और समाजवाद के खिलाफ मुहिम चलाएगी। रुबियो ने कुछ समय पहले कहा था कि अमेरिकी समाज में पुनर्ध्रुवीकरण हो रहा है। इसके बीच रिपब्लिकन पार्टी मजदूर समर्थक पार्टी के रूप में खुद को पेश कर इसका फायदा उठा सकती है।
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