न्यूज़ डेस्क : अल्सर का नाम तो सभी ने सुना है, लेकिन कम ही लोग इसके लक्षणों और बचाव से जुड़ी जरूरी बातों के बारे में जानते हैं। यह एक प्रकार का घाव या छाला है जो पेट, आहार नली, आंतों के अंदरूनी हिस्से समेत शरीर के विभिन्न हिस्सों पर हो सकता है। अल्सर शरीर के जिस हिस्से पर हुआ है, उसके आधार पर इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे पेट में होने वाले अल्सर को गैस्ट्रिक अल्सर कहा जाता है। वहीं छोटी आंत के छालों को ‘डुओडिनल अल्सर’ कहा जाता है। डॉ. उमर अफरोज के अनुसार, अल्सर या छाला आसानी से सही नहीं होता है और सही होने के बाद दोबारा भी हो सकता है। इसलिए इसके इलाज में पूरी सावधानी बरतनी चाहिए। अल्सर आंख या त्वचा पर भी हो सकता है।
अल्सर के कारण :डॉ. उमर अफरोज बताते हैं, ‘अल्सर के कई कारण होते हैं जिनमें सबसे अहम है शरीर में पोषक तत्वों की कमी। इसके अलावा दवाओं के साइड इफेक्ट से भी अल्सर होता है। इसके अन्य कारणों में शामिल हैं – तनाव, डायबिटीज, लंबे समय तक बेड पर रहना।’ अल्सर की शुरुआत दर्द, खुजली और सूजन से होती है। इसके अलावा बुखार, अपच और वजन कम होना भी अल्सर के शुरुआती लक्षण हैं।
अल्सर के लक्षण :अल्सर के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि यह कहां हुआ है। जैसे जननांग अल्सर का सबसे बड़ा लक्षण जननांगों के आसपास खुजली होना है। यदि छूने से दर्द होता है तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। आंखों में होने वाली खुजली भी अल्सर का संकेत देती है। गंभीर होने से आंखों से लगातार पानी निकलता है, चुभन और जलन बनी रहती है। मुंह में होने वाले छाले बहुत दर्दनाक होते हैं। इनके कारण सूजन भी आ सकती है। चबाने या ब्रश करते समय लगातार दर्द बना रहे तो डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए। एक डायबीटिक फुट अल्सर भी होता है। इसमें त्वचा का रंग बिगड़ जाता है, जो धीरे-धीरे घाव की शक्ल ले लेता है। साथ ही छाले से द्रव निकलता है। डायबिटीज के मरीजों के लिए यह बहुत खतरनाक हो सकता है, क्योंकि उनके घाव आसानी से नहीं भरते हैं।
अल्सर से बचाव के तरीके : अल्सर के अधिकांश कारण खान-पान की आदतों से जुड़े हैं। ज्यादा शराब पीने से पेट में अल्सर हो सकता है। इसलिए शराब और धूम्रपान से दूर रहें। यदि नियमित रूप से कोई दवा ले रहे हैं तो खाली पेट न खाएं। दर्दनिवारक दवाओं के सेवन से बचें। जो लोग पर्याप्त मात्रा में पानी पीते हैं, उनमें अल्सर की आशंका कम होती है। संतुलित भोजन करें। ज्यादा मसालेदार खाने से बचें। शरीर की स्वच्छता बनाए रखें। वजन कंट्रोल करें। यदि किसी तरह की आशंका है तो तत्काल डॉक्टर से इलाज करवाएं।
अल्सर का इलाज : अल्सर का इलाज इस पर निर्भर करता है कि वह कहां हुआ है। अंदरूनी अल्सर के लिए आमतौर पर एंटीबायोटिक दवाओं का डोज दिया जाता है। बाहरी अल्सर का इलाज क्रीम से किया जा सकता है। कुछ गंभीर मामलों में सर्जरी से इलाज किया जाता है।
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