पश्चिम बंगाल के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कड़ा रुख अपना लिया है। मंगलवार को गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल सरकार से कहा है कि वह राजीव कुमार के खिलाफ इंडियन सर्विस रुल्स के तहत कार्रवाई करे। केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल की रिपोर्ट मिलने के बाद यह कदम उठाया है।
हालांकि अब इस मामले में एक रोचक मोड़ आ गया है। अगर यह बात साबित होती है कि ममता बनर्जी का धरना स्थल सीएम का कैंप ऑफ़िस भी था और वहां से फाइलें साइन की जा रही थी तो ऐसी स्थिति में पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार आसानी से अनुशासनात्मक कार्रवाई से बच सकते हैं। पुलिस कमिश्नर अपने जवाब में कह सकते हैं कि वे अपनी ड्यूटी पर थे। यूपी के पूर्व डीजीपी एसी बनर्जी कहते हैं, अभी इस बात की पक्की जानकारी किसी के पास नहीं है कि पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार किस हैसियत से सीएम ममता बनर्जी के मंच पर मौजूद थे।
क्या वह मंच मुख्यमंत्री कार्यालय में तबदील कर दिया गया था, यह ख़ुद में एक बड़ा सवाल है। धरना स्थल के उसी मंच से सरकारी फाइलें साइन की जा रही थी।मुख्यमंत्री के सहयोगियों का भी यही दावा है कि सीएम ममता बनर्जी रुटीन का कामकाज मंच से ही निपटाती रही हैं। उन्होंने बतौर सीएम पुलिस कर्मियों को धरना स्थल पर ही सम्मानित भी किया है।विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि राज्यपाल ने जो रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी है, उसमें यह जिक्र किया गया है कि पुलिस आयुक्त राजीव कुमार निजी हैसियत से ममता बैनर्जी के मंच पर बैठे थे। इसी आधार पर गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल सरकार को राजीव कुमार के खिलाफ ऑल इंडिया सर्विस रूल्स 1968 एआईएस (डीएंडए) रूल्स 1969 के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की बात कही है।मंत्रालय के अफ़सरों का कहना है कि उक्त रूल्स की धारा 3, 5 और 7 के तहत ही पुलिस आयुक्त को सर्विस नियमों के उल्लंघन का आरोपी माना जा रहा है।
इनमें कहा गया है कोई अधिकारी राजनीतिक पक्षाकार की भावना से किसी पार्टी के मंच या धरना प्रदर्शन में शामिल नहीं हो सकता। एसी बैनर्जी के मुताबिक, वैसे भी इस मामले में कार्रवाई करने का अधिकार पश्चिम बंगाल सरकार के पास है। केंद्रीय गृह मंत्रालय केवल कार्रवाई की सिफ़ारिश कर सकता है। जब चारों तरफ से यह बात कही जा रही है कि ममता बैनर्जी सीबीआई जांच से राजीव कुमार को बचा रही हैं तो वे अब कह सकती हैं कि पुलिस आयुक्त अपनी डयूटी कर रहे थे। मंच पर सीएम दफ़्तर लगा था। इस हिसाब से वहां पुलिस आयुक्त आते हैं तो वह गलत नहीं माना जाएगा। यह भी कहा जा सकता है कि वहां पर तो अनेक आईएएस और आईपीएस अधिकारी थे।सब अपनी ड्यूटी कर रहे थे।
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