न्यूज़ डेस्क : कोविड-19 संक्रमण के हालात बेकाबू होने की तरफ बढ़ रहे हैं। इसने केंद्र सरकार की बेचैनी बढ़ा दी है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्ष वर्धन ने मंगलवार शाम को 11 राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ चर्चा में कहा कि मामलों में कोरोना संक्रमण के मामले अचानक बढ़ने के पीछे शादियां, स्थानीय निकाय चुनाव, किसानों का विरोध समेत कई वजह जिम्मेदार हो सकती हैं। वहीं आठ अप्रैल को प्रधानमंत्री मोदी देश के मुख्यमंत्रियों के साथ इस बाबत चर्चा करने वाले हैं, लेकिन इससे पहले रणनीतिकार कोविड की इस लहर को काबू में करने की तरकीब खोजने में जुट गए हैं। नीति आयोग के सदस्य और कोविड-19 टास्क फोर्स के चेयरमैन डा. वीके पॉल की व्यस्तता काफी बढ़ी हुई है। यही स्थिति केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के गलियारों की भी है।
संक्रमण से ठीक होने की दर 92.38 फीसदी
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्ष वर्धन ने मंगलवार शाम को महाराष्ट्र, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश समेत करीब 11 राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों से चर्चा की। बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि कोरोना के मामले बढ़ने के बावजूद हमारे देश में संक्रमण से ठीक होने की दर 92.38 फीसदी है। वहीं देश में मृत्यु दर 1.30 फीसदी है। उन्होनें आगे कहा कि सर्वाधिक प्रभावित राज्यों में छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमितों की दर 20 फीसदी है, जबकि यह आठ फीसदी की तेजी से बढ़ रहा है। छत्तीसगढ़ में मामलों में दस गुना से ज्यादा की वृद्धि हुई है। वहीं जिनोम सिक्वेंसिंग से पता चला है कि पंजाब में 80 फीसदी संक्रमित लोगों में यूके का वैरिएंट मिला है।
उन्होंने आगे कहा कि हमारे संज्ञान में आया है कि कोरोना के मामलों में अचानक हुई तेज बढ़ोतरी के पिछले दिनों हुईं भव्य शादियां, स्थानीय निकाय चुनाव, किसानों का आंदोलन जैसी कई वजह हो सकती हैं। इस बीच केंद्र सरकार ने कोविड पर नियंत्रण और रोकथाम उपायों के लिए महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और पंजाब में 50 उच्च स्तरीय स्वास्थ्य टीमों को रवाना किया है। महाराष्ट्र के 30 जिलों, छत्तीसगढ़ के 11 और पंजाब के नौ जिलों में इन केंद्रीय टीमों की तैनाती होगी।
वैक्सीन की तीसरी बूस्टर डोज लगने की शुरू हो सकती है प्रक्रिया
केन्द्र सरकार के रणनीतिकार कोविड-19 वैक्सीन की बूस्टर डोज की अनुमति देने पर विचार कर रहे हैं। वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति दिए जाने की सूचना है और एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक कोविड को काबू में करने के लिए आने वाले समय में वैक्सीन का तीसरा (बूस्टर) डोज भी लोगों को लगाया जा सकता है। हालांकि अभी देश में कोविड की वैक्सीन 130 करोड़ लोगों की जनसंख्या को देखते हुए बहुत कम लोगों को ही लग पाई है। टीकाकरण अभियान से जुड़े लोगों को मानना है कि यही रफ्तार बनी रही तो अगले कुछ साल तक टीकाकरण अभियान चल सकता है।
आठ अप्रैल को राज्यों को अधिकार दे सकते हैं प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री मोदी के साथ राज्यों के मुख्यमंत्रियों की प्रस्तावित बैठक में केन्द्र राज्यों को कोविड-19 का संक्रमण रोकने के लिए जरूरी कदम उठाने के लिए अधिक अधिकार दे सकता है। इसमें राज्यों को लॉकडाउन या सेमी लॉकडाउन, रात्रि कर्फ्यू, सीमाएं सील करने, कंटेनमेंट और बफर जोन आदि तय करने का अधिकार राज्यों को दिया जा सकता है।
केन्द्र चाहता है कि राज्य थोड़ा सख्ती दिखाएं और कोविड-19 को काबू में करने के लिए संवेदनशीलता बढ़ाएं। कोविड-19 के परीक्षण में तेजी दिखाएं। जहां जरूरी हो वहां आरटीपीसीआर या अन्य परीक्षणों को तेज करें। ताकि यथाशीघ्र संक्रमण को काबू में किया जा सके। केन्द्र सरकार के रणनीतिकारों का भी मानना है कि लोगों में लापरवाही बहुत बढ़ गई है। यह केवल संक्रमण के खिलाफ जागरुकता अभियान चलाने भर से काबू में आने वाली नहीं है। रणनीतिकारों ने एक सबक भी लिया है। पिछली बार केन्द्र सरकार ने सभी अधिकार अपने हाथ में लेकर कोविड-19 संक्रमण को काबू में करने का प्रयास किया था, लेकिन इससे खाते में काफी बदनामी आई। इसलिए केन्द्र सरकार अब सहयोग, समन्वय, संसाधन उपलब्ध कराने, सलाह, प्रबंधन और निगरानी तक ही खुद को सीमित रखने के पक्ष में है।
मास्क और साफ-सफाई वैक्सीन की ही तरह कारगर है
कोविड-19 टास्क फोर्स से जुड़े नीति आयोग के सदस्य डा. वीके पाल का कहना है कि मास्क लगाना, नियमित अंतराल पर नियम से हाथ धोना, दो गज की दूरी बनाए रखना सबसे कारगर उपाय है। यह वैक्सीन की तरह ही कारगर है। इसलिए लोगों को इस पर विशेष ध्यान देना चाहिए। कोविड-19 से जुड़े एक अन्य अधिकारी का कहना है कि कोविड के वैरिएंट आ रहे हैं। इस समय ब्रिटेन, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका समेत तमाम देशों के वैरिएंट देश में मिल रहे हैं। इसलिए लोगों को सावधानी पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
एक संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी का कहना है कि देश के अधिकांश लोगों की आर्थिक, सामाजिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। इसलिए लोगों को अपने जीवन-यापन के संघर्ष को देखते हुए कोविड-19 से अब डर नहीं लग रहा है। सूत्र का कहना है कि लोग न डरें यह अच्छी बात है, लेकिन लोग लापरवाही से भी बचें। सतर्क और संवेदनशील बनें।
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