न्यूज़ डेस्क : चौतरफा विरोध के बाद आखिरकार ची़नी कंपनी वीवो को इंडियन प्रीमियर लीग के टाइटल स्पॉन्सरशिप से हाथ धोना पड़ा। मीडियो रिपोर्ट्स की माने तो चीनी मोबाईल कंपनी अब आईपीएल को स्पॉन्सर नहीं करेगी।
19 सितंबर से यूएई में खेले जाने वाले इस टूर्नामेंट के लिए बीसीसीआई अब नया प्रयोजक तलाशेगा। आईपीएल का वीवो के साथ पांच साल का करार 2022 में खत्म होना है। कॉन्ट्रैक्ट के तहत बोर्ड को हर साल 440 करोड़ रुपए मिलते थे।
राष्ट्रवादी संगठनों ने जताया था विरोध
राष्ट्रीय स्वयं सेवक (आरएसएस) से संबद्ध स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) ने तो देश के नागरिकों से IPL के बहिष्कार की अपील तक कर डाली थी। एसजेएम के सह–संयोजक अश्वनी महाजन ने एक बयान में कहा था कि भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) और आईपीएल की संचालन समिति ने चीनी सैनिकों के साथ झड़प में शहीद हुए भारतीय सैनिकों का अनादर किया है।
महाजन ने कहा, ‘जब देश अर्थव्यवस्था को चीनी प्रभुत्व से मुक्त बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है, सरकार चीन को हमारे बाजारों से दूर रखने के लिए सभी प्रयास कर रही है, ऐसे में आईपीएल यह फैसला देश की जनभावना के खिलाफ है।‘
गवर्निंग काउंसिल में लिया गया था फैसला
आईपीएल संचालन समिति ने बीते रविवार यानी 2 अगस्त को टूर्नामेंट के प्रमुख प्रायोजकों के रूप में चीनी कंपनियों के साथ बने रहने का फैसला किया था। चीनी मोबाइल फोन निर्माता कंपनी वीवो इस टी-20 लीग की ‘टाइटल’ प्रायोजक है।
वीवो ने पांच साल के इस करार के लिए बीसीसीआई को 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया था। बोर्ड के इस फैसले से सोशल मीडिया पर भी काफी रोष देखने को मिला था। लोग बीसीसीआई को जमकर ट्रोल कर रहे थे।
पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई भिड़ंत के बाद से ही कई लोगों ने चीनी सामानों का बहिष्कार करने की बात कही थी। वहीं, बीसीसीआई ने भी करार की समीक्षा का वादा किया था।
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