मुंबई। इश्क़ में डूबा आशिक़ हो या सिस्टम के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद करने वाला बाग़ी, इस गीतकार के गीतों ने सबको पनाह दी है। अल्फ़ाज़ की ऐसी आवारगी कि सुनते ही दिल बेकाबू हो जाए और जज़्बात की ऐसी रवानगी कि बार-बार सुनने को दिल करे। अगर आप राज कपूर के गीतों के ज़रिए मोहब्बत की बरसात में भीगे हैं, तो आपको शैलेंद्र के बारे में जानना ज़रूरी है। हिंदी सिनेमा की इन दोनों शख़्सियत के बारे में बात करने का सबसे सही मौक़ा आज ही, क्योंकि 14 दिसंबर को हिंदी सिनेमा के शो-मैन राज कपूर का जन्म दिवस होता है, तो महान गीतकार शैलेंद्र की पुण्य तिथि।
शैलेंद्र और राज कपूर की मुलाक़ात का क़िस्सा भी बड़ा दिलचस्प है। बात 40 के दशक की है। राज कपूर ने शैलेंद्र को एक मुशायरे में सुना। इस मुशायरे में शैलेंद्र ने ‘जलता है पंजाब’ कविता सुनायी। राज साहब को ये कविता बेहद पसंद आयी। उस वक़्त वो ‘आग’ का निर्माण कर रहे थे। हुनर के पारखी राज साहब ने शैलेंद्र की इस कविता को ‘आग’ के लिए ख़रीदना चाहा, मगर लेफ़्ट विचारधारा के जन कवि-गीतकार शैलेंद्र भारतीय सिनेमा को लेकर थोड़ा संकोची थे, लिहाज़ा राज कपूर का प्रस्ताव उन्होंने ठुकरा दिया। मगर, कहते हैं ना कि वक़्त बड़े-बड़े फ़ैसलों को बदलवा देता है। शैलेंद्र के साथ भी कुछ ऐसा हुआ कि आख़िरकार उन्हें सिनेमा के लिए ही लिखना पड़ा।
कुछ वक़्त बाद शैलेंद्र की धर्मपत्नी गर्भवती हुईं और उन्हें रुपयों की ज़रूरत महसूस हुई। कोई और रास्ता ना देख शैलेंद्र को राज कपूर याद आये। वो उनके पास गये और मदद की गुज़ारिश की। शैलेंद्र के हुनर पर पहले ही फ़िदा राज साहब ने देर नहीं की। निर्माणाधीन फ़िल्म ‘बरसात’ के दो गाने लिखे जाने बाक़ी थे। राज साहब ने शैलेंद्र को इन दो गानों के लिए साइन कर लिया और इसके बदले उन्हें 500 रुपए अदा किये। ये दो गाने थे- ‘पतली कमर’ और ‘बरसात’ में। इसके बाद शैलेंद्र और राज कपूर ने संगीतकार जोड़ी शंकर-जयकिशन के साथ मिलकर हिंदी सिनेमा को कई हिट गाने दिये।
Comments are closed.