युवाओं को सेवा भाव के लिए प्रेरित करना अत्यंत आवश्यक : उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने कहा, स्कूल विद्यार्थियों के लिए सामुदायिक सेवा अनिवार्य बनाएं
साझा करना और देखभाल करना भारत की सदियों पुरानी संस्कृति का मूल है और इसका व्यापक प्रचार किया जाना चाहिए : उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने घृणापूर्ण भाषणों और अनुचित लेखनों की निंदा की
विकास के लाभ समाज के सर्वाधिक साधनहीन वर्गों तक पहुंचने चाहिए : उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने केरल के प्रतिष्ठित आध्यात्मिक और सामाजिक नेता संत चावरा को श्रद्धांजलि दी
संत चावरा ने समाज में साम्प्रदायिक सद्भाव और सहिष्णुता हासिल करने में अतुलनीय योगदान दिया : उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने कोच्चि में संत चावरा की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया
उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडु ने कहा है कि युवाओं को कम आयु से ही सेवा भाव के लिए प्रेरित करना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने स्कूलों से स्थिति सामान्य होने पर विद्यार्थियों के लिए सामुदायिक सेवा को अनिवार्य बनाने का आग्रह किया।
आज कोट्टयम में मन्नानम में संत चावरा की 150वीं वर्षगांठ पर आयोजित समारोह में उपराष्ट्रपति ने कहा कि महामारी के खत्म होने पर सरकारी और निजी क्षेत्र के स्कूलों के विद्यार्थियों के लिए कम से कम दो से तीन सप्ताह की सामुदायिक सेवा को अनिवार्य बनाना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा कि इससे दूसरों के साथ काम करने में साझा करने और देखभाल करने की मनोवृत्ति विकसित होगी।
घृणापूर्ण भाषणों और लेखनों को संस्कृति, विरासत, परम्पराओं, संवैधानिक अधिकार और लोकाचार का विरोधी बताते हुए श्री नायडु ने कहा कि प्रत्येक भारतीय के रक्त में धर्मनिरपेक्षता है और पूरे विश्व में अपनी संस्कृति और विरासत के लिए देश का सम्मान किया जाता है। इस संदर्भ में उपराष्ट्रपति ने भारतीय मूल्य प्रणाली को मजबूत बनाने का आह्वान किया।
युवाओं से भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों को अपनाने, संरक्षित तथा प्रोत्साहित करने का आग्रह करते हुए उन्होंने दूसरों के साथ साझा करने और एक दूसरे की देखभाल करने के भारत के दर्शन के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि दूसरों के लिए जीने से व्यक्ति को न केवल संतोष मिलता है, बल्कि व्यक्ति के नेक कार्यों के लिए लोग उसे लंबे समय तक याद रखते हैं।
श्री नायडु ने युवाओं को योग तथा किसी भी तरह के शारीरिक अभ्यास करके शारीरिक दृष्टि से फीट रहने की सलाह दी। उन्होंने युवाओं को प्रकृति से प्यार करने और प्रकृति के बीच रहने की भी सलाह दी। उन्होंने युवाओं से प्रकृति और संस्कृति को संरक्षित रखने को कहा।
संत चावरा को श्रद्धांजलि देते हुए उन्होंने कहा कि केरल के इस प्रतिष्ठित आध्यात्मिक और सामाजिक नेता को लोग अपने जीवनकाल का संत मानते थे और संत चावरा सभी दृष्टि से एक सच्चे स्वप्नदर्शी थे। उन्होंने कहा कि 19वीं शताब्दी में संत चावरा केरल के आध्यात्मिक, शैक्षिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक सुधारक के रूप में सामने आये और लोगों के सामाजिक पुनर्जागरण में अतुलनीय योगदान दिया। उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज प्रत्येक समुदाय में संत चावरा की आवश्यकता है। एक ऐसे व्यक्तित्व की आवश्यकता है जो सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से सभी वर्गों को जोड़ने और देश को आगे ले जाने की दूरदृष्टि रखता हो ।
उपराष्ट्रपति ने दूरदर्शी चिंतक और सुधारक पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय के दर्शन के अनुरूप सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था के साधनहीन व्यक्ति तक विकास के लाभ पहुंचाने पर बल दिया।
इस अवसर पर विदेश राज्य मंत्री, श्री वी. मुरलीधरन, केरल सरकार के सहकारिता और पंजीकरण मंत्री श्री वी.एन. वसावन, केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और विधान सभा सदस्य, श्री ओमन चांडी, संसद सदस्य श्री थॉमस चाझिकदान, प्रायर जनरल, कार्मेलाइट्स ऑफ मैरी इमैकुलेट, श्रद्धेय फादर थॉमस चथमपरम्पिल और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
उपराष्ट्रपति के संदेश का मूल पाठ पढ़ने के लिए कृपया अंग्रेजी की विज्ञप्ति देखें :
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