पाठ्य-पुस्तकों या पढ़ाई की फीस वहन करने में सक्षम न होने के कारण कोई भी छात्र या छात्रा पीछे न छूट जायेः उपराष्ट्रति
सफलता की सीढ़ियां चढ़ने वाले हर भारतीय का यह कर्तव्य है कि वह समाज और देश का ऋण चुकायेः उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने राजस्थान यूथ एसोसियेशन के हीरक जयंती समारोह का उद्घाटन किया
उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज सभी छात्रों के लिये बेहतर शिक्षा में समान अवसरों का आह्वान किया। श्री नायडू ने इस बात पर जोर दिया कि पाठ्य-पुस्तकों या पढ़ाई की फीस वहन करने में सक्षम न होने के कारण कोई भी छात्र या छात्रा पीछे न छूट जाये। उन्होंने कहा, “हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि शिक्षा को सबके लिये समान रूप से सुगम बनाने में आने वाली अड़चनों को दूर करें।”
राजस्थान यूथ एसोसियेशन के हीरक जयंती समारोह का उद्घाटन पर बोलते हुये श्री नायडू ने कहा कि बदलाव लाने में शिक्षा सबसे शक्तिशाली माध्यम है, जिससे देश की विकास गति में तेजी आ सकती है।
श्री नायडू ने उल्लेख किया कि भारत की जनसांख्यकीय बढ़त और यहां उच्च प्रतिभाशाली युवाओं की मौजूदगी को देखते हुये विश्व का नेतृत्व करने की देश में अपार क्षमता है। उन्होंने कहा कि यह समय की मांग है कि हम बेहतर शिक्षा प्रदान करने और डिजिटल-आधारित तथा ज्ञान-आधारित 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुरूप शिक्षित श्रम-शक्ति के विशाल स्रोत को उच्च कुशलता प्राप्त श्रम-शक्ति में बदल दें। उन्होंने कहा, “अपनी क्षमता का पूरा उपयोग करते हुये, हमारे युवाओं की प्रतिभा और उनकी रचनात्मक ऊर्जा भारत को सबसे मजबूत देशों की पंक्ति में ला खड़ा करेगी।”
भारतीय संस्कृति के महान मूल्यों का स्मरण करते हुये श्री नायडू ने कहा, “सफलता की सीढ़ियां चढ़ने वाले हर भारतीय का यह कर्तव्य है कि वह समाज और देश का ऋण चुकाये।” उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण की दिशा में काम करने की केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हर नागरिक को आगे बढ़कर सक्रिय भागीदारी करनी चाहिये तथा अपने साथी देशवासियों के कल्याण के लिये अपना योगदान देना चाहिये।
सबके प्रति उदारता बरतने का उल्लेख करते हुये श्री नायडू ने सभी लोगों से आग्रह कि वे सबके साथ उदार हों और जरूरतमंदों की सहायता करें। उन्होंने कहा, “जब हम सफलता की तरफ तेजी से कदम बढ़ा रहे हैं, तो ऐसे समय में हमें अपने भाइयों और बहनों को पीछे नहीं छोड़ना चाहिये। हमें हर संभव तरीके से उन्हें शक्तिसम्पन्न बनाना चाहिये।” भारत के गौरवशाली अतीत का स्मरण करते हुये उन्होंने सबका आह्वान किया कि सब राष्ट्र को फिर से महान बनायें।
लोगों से अपनी मातृभाषा का सम्मान करने का आग्रह करते हुये उपराष्ट्रपति ने कहा कि घर में माता-पिता को अपने बच्चों के साथ मातृभाषा में बात करनी चाहिये। विदेश जाने के आकांक्षी युवाओं को सलाह देते हुये उन्होंने कहा कि उन्हें ‘सीखने, कमाने’ के बाद देश की सेवा करने के लिये लौटना चाहिये। उन्होंने जोर देते हुये कहा, “आप लोगों को समाज की सेवा करने के लिये अपनी मातृभूमि लौट आना चाहिये तथा अपना समय अपने माता-पिता व दादा-दादी, नाना-नानी के साथ गुजारना चाहिये।”
चेन्नई में बसे राजस्थान समुदाय के सबसे पुराने संगठन राजस्थान यूथ एसोसियेशन की उपराष्ट्रपति ने प्रशंसा की कि संघ ने जरूरतमंद कॉलेज छात्रों को निशुल्क पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध करा कर शिक्षा में महती योगदान किया है। संघ यह कार्य ‘आरवाईए बुक बैंक प्रॉजेक्ट’ के तहत करता है। श्री नायडू ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि राजस्थान यूथ एसोसियेशन अन्य क्षेत्रों के साथ-साथ स्वास्थ्य सुविधा और खाद्य सुरक्षा के क्षेत्रों में भी काम कर रहा है। उन्होंने कहा, “एक समुदाय के रूप में हम सबको ‘शेयर एंड केयर’ के अपने प्राचीन दर्शन का अनुसरण करना चाहिये और राजस्थान यूथ एसोसियेशन इसका उत्तम आदर्श है।”
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत जैसे विशाल देश में हर काम सरकारों पर ही नहीं छोड़ा जा सकता। उन्होंने समाज सेवी संगठनों और दानवीरों से आग्रह किया कि वे स्वास्थ्य तथा शिक्षा के क्षेत्रों में सरकारी प्रयासों में हाथ बंटायें। उन्होंने कहा, “समाज सेवा से आपको आनन्द मिलता है और दरिद्र की सेवा नारायण की सेवा है।”
इस अवसर पर तमिलनाडु के हिन्दू रिलीजस एंड चैरिटेबल एंडाउमेंट्स मंत्री श्री पीके शेखर बाबू, राजस्थान यूथ एसोसियेशन के अध्यक्ष श्री दिनेश मेहता, राजस्थान यूथ एसोसियेशन के सचिव श्री आशीष जैन, आईआईटी मद्रास के निदेशक श्री वे. कामकोटि और अन्य विशिष्टजन उपस्थित थे।
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