न्यूज़ डेस्क : केंद्र सरकार ने पहले लॉकडाउन से लेकर अब तक 253.33 लाख टन अनाज विभिन्न राज्यों तक पहुंचाने का दावा किया है। केंद्र का दावा है कि गरीबों को अन्न पहुंचाने की योजना बेहद कारगर साबित हुई है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि पीडीएस सिस्टम की नाकामी के चलते यह योजना अपेक्षित संख्या में लाभ नहीं दे पाई है।
यहां तक कि जिन आठ करोड़ श्रमिकों को प्रति माह पांच किलो अन्न और एक किलो चना देने की योजना बनाई गई थी, उसके तहत भी अभी तक अधिकतम 2.5 करोड़ मजदूरों तक ही सहायता पहुंचाई जा सकी है। ज्यादातर राज्य श्रमिकों की पहचान करने तक में नाकाम साबित हुए हैं।
अब तक इतना अनाज पहुंचाया
केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने बुधवार को ट्वीट कर जानकारी दी कि फूड कारपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) ने अब तक 8007 रेल रैक के जरिए 224.19 लाख टन अनाज विभिन्न राज्यों तक पहुंचाया है। इसके अलावा 1.79 लाख ट्रकों से 28.66 लाख टन अनाज और 18 पानी की जहाजों के जरिए 48,240 टन अनाज देश के कोने-कोने तक पहुंचाया है। इसका लाभ सभी राज्यों के राशनकार्ड लाभार्थियों को मिला है।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना 2.0 के अंतर्गत अभी तक 82.18 लाख मीट्रिक टन अनाज का उठाव हो चुका है। केंद्र सरकार का दावा है कि जुलाई माह में 69.80 करोड़ लाभार्थियों को 34.90 लाख टन अनाज वितरित किया गया है, अगस्त महीने में अब तक 40.72 करोड़ लाभार्थियों तक 20.36 लाख टन अनाज पहुंचाया जा चुका है।
योजना के तहत सभी गरीब परिवारों को पांच किलो अनाज और एक किलो चना देना तय किया गया था। सरकार का दावा है कि वह तेजी से ‘एक राष्ट्र–एक राशन कार्ड’ की तरफ बढ़ रही है। सरकार का लक्ष्य है कि 31 मार्च 2021 तक सबको इस योजना से जोड़ दिया जाएगा।
नहीं मिल रहा लाभ
किसी भी राज्य में श्रमिकों के पंजीकरण का कोई सिस्टम नहीं बन पाया है। इसका सबसे बड़ा दुष्परिणाम योजनाओं का लाभ गरीब मजदूरों तक पहुंचाने के मामले में सामने आया है। श्रमिकों के मामले में सबसे ज्यादा भागीदारी रखने वाले राज्यों यूपी, बिहार, मध्यप्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में भी मजदूरों को इस योजना से कोई विशेष लाभ नहीं मिल पाया है।
दावा किया गया है कि झारखंड अपने श्रमिकों को लाभ देने के मामले में काफी आगे रहा है, लेकिन यहां भी सभी श्रमिकों को अनाज योजना का पूरा लाभ नहीं दिया जा सका है। यही कारण है कि अब गरीब एक बार फिर शहरों की ओर लौटने लगे हैं।
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