वित्त आयोग ने हाल में एक नियम जारी कर सभी राज्यों को अवगत कराया है, जिसके तहत राज्यों को केंद्र सरकार से जो टैक्स में मिलने वाली हिस्सेदारी के पैमाने बनाए गए हैं , उनमें बदलाव कर दिया है । अब जो राज्य इन पैमानों पर खड़े उतरेंगे उन्हें टैक्स में अधिक हिस्सेदारी मिलेगी और जो इन पैमानों पर खरे नहीं उतरेंगे उन्हें टैक्स में हिस्सेदारी कम मिलेगी । ऐसे तो यह पैमाना उत्कृष्ट और अच्छा है परंतु कोरोना की मार झेल रहे राज्यों के लिए यह पैमाना बहुत दुखदाई होने वाला है । वित्त आयोग ने जिन चार क्षेत्रों को इनमें प्रमुखता से शामिल किया है वह है जनसंख्या नियंत्रण, शिक्षा, पर्यावरण और स्वास्थ्य । इन चार क्षेत्रों में जिन राज्यों की स्थिति सबसे बेहतर होगी उन्हें ज्यादा टैक्स में हिस्सा मिलेगा और इनमें जिनकी स्थिति अच्छी नहीं रहेगी उन्हें कम टैक्स रेवेन्यू मिलेगा ।
इस निर्णय के बाद इंडिया रेटिंग के द्वारा हाल ही में कराए गए एक सर्वे के अनुसार देश के सभी राज्यों की टैक्स कटौती जो केंद्र के द्वारा उनको मिलती है उसमें 24 से 118% की कमी आएगी और जो सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले राज्य हैं वह है – आंध्र प्रदेश, आसाम, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, केरला, ओडिशा, कर्नाटक और तमिलनाडु इन सभी राज्यों की लगभग 80 से 100% तक टैक्स हिस्सेदार कम हो जाएगी और इन राज्यों की स्थिति बहुत बुरी हो जायेगी । वैसे ही केंद्र सरकार ने राज्यों को पिछले वर्ष तीन लाख करोड़ कम टैक्स रिवेन्यू दिया है कारण कोरोना है और इस साल भी लगभग इतने ही टैक्स कटौती केंद्र सरकार करेगी जो राज्यों को कम मिलेगा । उसके बाद यह नया नियम उनके लिए और सिरदर्द बनने वाला है । इसके बाद राज्यों को वैसे भी 2023 के बाद जीएसटी अपनाने के बाद जो क्षतिपूर्ति केंद्र सरकार की तरफ से मिलती थी वह 2023 तक ही मान्य है, यानी 5 साल के लिए क्षतिपूर्ति मिलनी थी वह 2023 के बाद नहीं मिलेगी और केंद्र सरकार का इसको आगे बढ़ाने का अभी तक कोई निर्णय नहीं आया है । इस तरह ऐसे भी राज्यों की स्थिति 2023 के बाद खराब होने वाली थी, उसके बाद इस नए पैमाने ने उन्हें और जकड़ दिया है ।
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अब स्थिति यह है कि यह नया नियम आपके जीवन और आपके जीवन शैली पर भी प्रभाव डालेंगे । आप अगर अच्छे राज्य में हैं तो आपका जीवन और अच्छा होगा और आप बिहार जैसे राज्यों में हैं तो आपका जीवन और खराब होने वाला है । साथ ही केंद्र सरकार ने राज्यों को दिए जाने वाले अनुदानों के लिए भी एक नई गाइडलाइन बनाई है इसके तहत जो राज्य शिक्षा पर , बिजली पर और खेती पर अच्छा काम करेंगे जिनका परफॉरमेंस इन तीनों में अच्छा रहेगा उनको अनुदान अधिक मिलेगा और जिनका इन तीनों क्षेत्रों में काम अच्छा नहीं रहेगा उनको अनुदान कम मिलेगा । अतः केंद्र सरकार की योजनाएं वित्त आयोग की योजनाएं और जीएसटी क्षतिपूर्ति यह तीनों अगर देखा जाए तो केंद्र सरकार राज्यों के ऊपर केंद्र सरकार से राज्यों को मिलने वाली अनुदान राशि टैक्स हिस्सादरी और सहायता सब में कटौती करने वाली है ।
जिससे राज्यों की स्थिति और खराब होने वाली है और इसका सीधा प्रभाव जनता पर पड़ेगा । इसलिए केंद्र सरकार को वर्तमान महामारी के दौर में सोच विचार कर निर्णय लेना चाहिए कि क्या अभी सारे के सारे फैसले लेने जरूरी है या उचित है ।
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