वरुण और अनुष्का गांव के भोले-भाले मौजी और ममता की भूमिका में है, जो अपना नाम बनाने का सपना देख रहे हैं. अनुष्का एक एम्ब्रोइडर की भूमिका में है, जबकि वरुण एक दर्जी की भूमिका निभा रहे है. यह फिल्म भारत के जड से जुडी है, इसलिए इसे यथासंभव और वास्तविक लोकेशन पर शूट किया जाना था. इसे देखते हुए वरुण और अनुष्का ने खुद को अपने निर्देशक शरत कटारिया के हाथों में सौंप दिया, जिनकी पिछले फिल्म दम लगा के हइशा एक ब्लॉकबस्टर थीं. एक विशेष दृश्य में शरत चाहते थे कि दोनों सुपरस्टार सार्वजनिक बस की छत पर बैठ कर यात्रा करें! लेकिन क्यों!
वरूण बताते है,”हमने भीड़ भरी चलती हुई बस की छत पर बैठ कर लगभग दो दिनों तक शूट किया. छोटे शहरों में लोग बसों के छत पर बैठते हैं क्योंकि बसे हमेशा भरी रहती है और बस सेवा की संख्या अक्सर शहरों के जितनी नहीं होती है. इसलिए, उन्हें छत पर बैठ कर यात्रा करनी होती है. बस का ये दृश्य भारत के छोटे शहरों में रहने वाले लोगों के दैनिक संघर्षों को बताता है. यह उनके दृढ़ संकल्प और साहस को दिखाता है. यह फिल्म के सबसे यादगार दृश्यों में से एक है.”
अनुष्का कहती है, “शरत हर चीज को शानदार तरीके से विस्तारिर स्वरूप में देखते हैं. उनकी नजर असाधारण है. संघर्ष के दृश्य, भारत के छोटे शहरों में रहने वाले लोगों में आत्मविश्वास की भावना, ये सब शरत के दिमाग की उपज है. वह ग्रामीण भारत को पूर्णता और प्रामाणिकता के साथ रोजमर्रा की जिंदगी को दिखाते हुए पेश करना चाहते थे. वह चाहते है कि दर्शक भारत के ऐसे क्षेत्र के लोगों की साहस को समझे. वह चाहते है कि दर्शक मौजी और ममता में विश्वास करे. बस वाले सीन में यह दिखता है कि कैसे ये दोनों पात्र एक-दूसरे के समर्थन और प्यार देते है और उन्हें यकीन है कि वे एक दिन अपने सपने को सच कर दिखाएंगे.”
यह फिल्म आत्मनिर्भरता के माध्यम से प्यार और सम्मान खोजने को ले कर है. फिल्म में वरुण और अनुष्का की जोडी है. अनुष्का फिल्म में एक एम्ब्रोइडर की भूमिका में है. दोनों चैंपियन अभिनेता पहली बार साथ आ रहे हैं और निश्चित रूप से 2018 की बहुप्रतीक्षित ऑन स्क्रीन जोडी है. यशराज फिल्म्स की एंटरटेनर सुई धागा – मेड इन इंडिया इस साल गांधी जयंती से पहले 28 सितंबर को रिलीज होने जा रही है. सुई धागा के जरिए ब्लॉकबस्टर दम लगा के हइशा के बाद राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्माता-निर्देशक मनीष शर्मा और शरत कटारिया का कॉम्बो एक बार फिर साथ हैं. यह फिल्म अंतर्निहित उद्यमी भावना को सलाम है, जो हमारे स्थानीय कारीगरों व युवाओं के पास ह
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