केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने वाराणसी में तीन दिवसीय उत्सव “काशी उत्सव”का शुभारंभ किया

काशी उत्सव काशी की महान विभूतियों के सम्मान में है: श्रीमती मीनाक्षी लेखी

प्रमुख बातें

  1. उत्सव के प्रत्येक दिन के लिए एक विषय समर्पित किया गया है और ये हैं: ‘काशी के हस्ताक्षर’; ‘कबीर, रैदास की बानी और निर्गुण काशी’ तथा’कविता और कहानी- काशी की जुबानी’

  2. डॉ. कुमार विश्वास ने उत्सव के पहले दिन ‘मैं काशी हूं’ पर प्रस्तुति दी

केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने काशी की ऐतिहासिक विरासत और संस्कृति का जश्न मनाने के लिए 16 नवंबर 2021 को वाराणसी में तीन दिवसीय उत्सव ‘काशी उत्सव’ का शुभारंभ किया। इस कार्यक्रम का आयोजन विशेष रूप से गोस्वामी तुलसीदास, संत कबीर, संत रैदास, भारतेंदु हरिश्चंद्र, मुंशी प्रेमचंद और जयशंकर प्रसाद जैसी महान विभूतियों की याद में किया गया है। उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य मंत्री श्री नीलकंठ तिवारी; संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार में अपर सचिव श्री रोहित कुमार सिंह सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

 

प्रगतिशील भारत के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में भारत सरकार की पहल ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तत्वावधान में उत्तर प्रदेश सरकार और वाराणसी प्रशासन के सहयोग से संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से आयोजित कार्यक्रम की मेजबानी आईजीएनसीए कर रहा है।

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इस अवसर पर बोलते हुए केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री, श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने कहा कि काशी शहर में यह जो उत्सव मनाया जा रहा है, वह अविस्मरणीय है। काशी का जीवन लोक संगीत, वेद, विज्ञान और ज्ञान से परिपूर्ण है। काशी में तीन दिवसीय उत्सव का उद्देश्य लोगों को क्षेत्र की समृद्ध विरासत से अवगत कराना है। श्रीमती लेखी ने कहा कि देश के गौरवशाली इतिहास को सबके सामने रखना हर नागरिक का कर्तव्य है। उन्होंने कहा, ‘‘यह उत्सव काशी की महान विभूतियों के सम्मान में है। काशी को इस उत्सव के लिए इसकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और शानदार इतिहास तथा अद्भुत सुंदरता के कारण चुना गया है।’’

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डॉ. कुमार विश्वास ने महोत्सव के पहले दिन ‘मैं काशी हूं’ पर प्रस्तुति दी, जबकि सांसद श्री मनोज तिवारी अंतिम दिन ‘तुलसी की काशी’ पर संगीतमय प्रस्तुति देंगे। उत्सव के दौरान सुश्री कलापिनी कोमकली, श्री भुवनेश कोमकली, पद्मश्री श्री भारती बंधु, सुश्री मैथिली ठाकुर जैसे कलाकार कई भक्ति संगीत प्रस्तुत करेंगे।

उत्सव के प्रत्येक दिन के लिए एक विषय समर्पित किया गया है और ये हैं: ‘काशी के हस्ताक्षर’; ‘कबीर, रैदास की बानी और निर्गुण काशी’ तथा’कविता और कहानी- काशी की जुबानी’। पहला दिन प्रख्यात साहित्यकारों, भारतेंदु हरिश्चंद्र और श्री जयशंकर प्रसाद पर केंद्रित रहा। दूसरे दिन महान कवि संत रैदास और संत कबीरदास पर प्रकाश डाला जाएगा और अंतिम दिन गोस्वामी तुलसीदास और मुंशी प्रेमचंद पर केंद्रित होगा।

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इस कार्यक्रम में पैनल चर्चाओं, प्रदर्शनियों, फिल्म स्क्रीनिंग, संगीत, नाटक और नृत्य प्रदर्शनों के माध्यम से काशी की इन महान हस्तियों को याद किया जाएगा। कार्यक्रम में नामी कलाकार प्रस्तुति देंगे।

रानी लक्ष्मी बाई पर आधारित एक नाटक, ‘खूब लड़ी मर्दानी’, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा, जिसे 18 नवंबर, 2021 को एनएसडी की सुश्री भारती शर्मा द्वारा निर्देशित किया गया है। वाराणसी पर आईजीएनसीए की फिल्मों को भी उत्सव में शामिल किया गया है। ये हैं: श्री वीरेंद्र मिश्र द्वारा निर्देशित ‘बनारस एक सांस्कृतिक प्रयोगशाला’; श्री पंकुज पराशर द्वारा निर्देशित ‘मेरी नज़र में काशी’; श्री पंकुज पराशर द्वारा निर्देशित ‘मनभावन काशी’; श्री दीपक चतुर्वेदी द्वारा निर्देशित ‘काशी पवित्र भुगोल’; श्री सत्यप्रकाश उपाध्याय द्वारा निर्देशित ‘मेड इन बनारस’; सुश्री राधिका चंद्रशेखर द्वारा निर्देशित ‘काशी गंगा विश्वेश्वरै’; सुश्री राधिका चंद्रशेखर द्वारा निर्देशित ‘मुक्तिधाम’; श्री अर्जुन पांडे द्वारा निर्देशित ‘काशी की ऐतिहसिकता’; श्री अर्जुन पांडे द्वारा निर्देशित ‘काशी की हस्तियां’ शामिल हैं।

महोत्सव में छह साहित्यिक हस्तियों की रचनाओं पर आधारित पुस्तकों की प्रदर्शनी लगाई जाएगी। उत्सव के विषय आईजीएनसीए और साहित्य अकादमी, नई दिल्ली द्वारा तैयार किए गए हैं।

अधिक से अधिक जनभागीदारी सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय कलाकारों, हस्तियों और सांस्कृतिक विद्वानों को भी वीडियो के माध्यम से या व्यक्तिगत रूप से उत्सव में भाग लेने और अपने विचार प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया जाएगा। कार्यक्रम में 150 कलाकार भाग ले रहे हैं।

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) इस उत्सव को भारत के लोगों को समर्पित करना चाहता है, क्योंकि भारत देश के विकास में प्रत्येक भारतीय की भूमिका महत्वपूर्ण है, चाहे वह सांस्कृतिक, आर्थिक, सामाजिक किसी भी रूप में हो। काशी उत्सव के माध्यम से, आईजीएनसीए न केवल राष्ट्र के गौरवशाली अतीत को प्रदर्शित कर रहा है, बल्कि यह जागरूकता भी पैदा कर रहा है कि भारत और भारतीयों में आत्मनिर्भर राष्ट्र बनने की अत्यधिक क्षमता है।

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