तटीय और महासागरीय स्रोतों से प्राप्त समुद्री खनिज भारत के भविष्य की अर्थव्यवस्था के लिए अहम होंगे: केंद्रीय मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह
डॉ जितेंद्र सिंह ने भुवनेश्वर में सीएसआईआर-आईएमएमटी में नए भवन स्थित सुविधाओं का उद्घाटन किया
आईएमएमटी उद्योगों के सतत विकास में उनकी समस्याओं का समाधान करने के लिए खनिजों और सामग्री प्रौद्योगिकी में राष्ट्रीय महत्व की अनुसंधान व विकास प्रयोगशाला है: डॉ. जितेंद्र सिंह
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत समुद्री वैज्ञानिक अनुसंधान में एक अग्रणी देश के रूप में उभरा है: डॉ जितेंद्र सिंह
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि तटीय और समुद्री स्रोतों से समुद्री खनिज भारत के भविष्य की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण होंगे। साथ ही, उन्होंने कहा, निकल और कोबाल्ट जैसी धातुएं जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने के लिए आवश्यक अक्षय ऊर्जाकी प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाती हैं।
वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के तहत आने वाले भुवनेश्वर स्थित खनिज और सामग्री प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएमएमटी) में नये भवन में सुविधाओं का उद्घाटन करते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने वैज्ञानिकों और छात्रों को बताया कि आईएमएमटी उद्योग की समस्याओं के समाधान और उनके सतत विकास का समाधान करने के लिए सीएसआईआर के तत्वावधान में खनिज और सामग्री प्रौद्योगिकी की राष्ट्रीय महत्व की अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला है।
श्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत समुद्री वैज्ञानिक अनुसंधान में एक अग्रणी देश के रूप में उभरा है और अब देश के भविष्य की ऊर्जा और धातु की मांगों को पूरा करने के लिए संसाधनों से भरे समुद्र तल की खोज में सक्रिय रूप से संलग्न है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वारा शुरू किया गया ’डीप ओशन मिशन’ ने अब ’ब्लू इकोनॉमी’ को समृद्ध करने के लिए विभिन्न संसाधनों का एक और क्षेत्र को इंगित करता है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत की ब्लू इकोनमी को विकसित करने और इसके समुद्री संसाधनों का दोहन करने की दिशा में हो रही प्रगति को तेज करने के लिए आईआईएमटी और चेन्नई स्थित राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईओटी) के बीच घनिष्ठ समन्वय और सहयोग के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि समुद्र की गहराई में कुछ खनिज संसाधनों के प्रभावी खनन और गैस हाइड्रेट संसाधनों के दोहन के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकियों के विकास की कोशिशें जारी हैं।
बता दें कि इस वर्ष अक्टूबर में मंत्री ने समुद्र की 1000 से 5500 मीटर की गहराई में स्थित निर्जीव संसाधनों जैसे पॉलीमेटेलिक मैंगनीज नोड्यूल, गैस हाइड्रेट्स, हाइड्रो-थर्मल सल्फाइड और कोबाल्ट क्रस्ट्स की खोज के लिए चेन्नई में भारत का पहला मानवयुक्त महासागर मिशन समुद्रयान लांच किया था।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले सात वर्षों में, सीएसआईआर-आईएमएमटी में अनुसंधान एवं किवास यानी आरएंडडी में मुख्य जोर सार्वजनिक-निजी-भागीदारी (पीपीपी) के जरिये प्राकृतिक संसाधनों के वाणिज्यिक दोहन के लिए उन्नत और शून्य अपशिष्ट प्रक्रिया जानकारी और परामर्श सेवाएं प्रदान करके वैश्वीकरण की चुनौतियों का सामना करने के लिए भारतीय उद्योगों को सशक्त बनाना है।
उन्होंने कहा कि इस तरह के अनुबंध और उद्योग को प्रदान किए गए प्रौद्योगिकी संबंधी हस्तक्षेप ने सीएसआईआर-आईएमएमटी को कई खनिजों और निष्कर्षण धातु विज्ञान आधारित उद्योगों के लिए पहली पसंद बना दिया है। उन्होंने कहा कि यह अधिक मूल्यवर्धन के लिए उन्नत सामग्री के प्रसंस्करण में एक मुकाम स्थापित कर रहा है और महत्वपूर्ण कच्चे माल की संसाधन उपयोग दक्षता पर काम कर रहा है।
सीएसआईआर-आईएमएमटी और वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर), भारत सरकार के संयुक्त प्रयास से सीएसआईआर-आईएमएमटी में कॉमन रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट हब (सीआरटीडीएच) की स्थापना की गई है, ताकि परामर्शदाता उद्यमियों/स्टार्टअप्स को तकनीकी समाधान प्रदान किया जा सके। साथ ही, स्टार्टअप्स को इन्क्यूबेशन की सुविधा प्रदान की जाए। इसका प्राथमिक उद्देश्य एमएसएमई में नवाचारों को बढ़ावा देना और उन्हें नई सामग्री और रासायनिक प्रक्रियाओं के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास या ज्ञान-आधारित सहायता प्रदान करना है।
इसके तिहरे लक्ष्य है:
- एमएसएमई और स्टार्ट-अप को अनुसंधान एवं विकास और ज्ञान आधारित सहायता प्रदान करना
- नवाचारों को बढ़ावा देने के लिए एमएसएमई को परामर्श, संपोषण, सहयोग या मार्ग दर्शन करना
- आईपीआर सहायता, प्रयोगशाला सुविधाएं, गुणवत्ता आश्वासन के लिए परीक्षण और विश्लेषण सहायता, मौजूदा उत्पादन प्रक्रियाओं की लेखा परीक्षा आदि जैसी सक्षम सेवाएं प्रदान करना
सीआरटीडीएच कार्यक्रम के तहत इस समय नई सामग्री, कोटिंग्स, कृषि-अपशिष्ट से धन (पोटैशियम-समृद्ध उर्वरक) और इलेक्ट्रॉनिक कचरे से धन (कीमती धातुओं की रिकवरी) के विकास आदि पर केंद्रित मेटलर्जिकल/एग्रो/ बॉयलर/ इलेक्ट्रॉनिक/ खनिज-एमएसएमई/स्टार्ट-अप के साथ कई सहयोगी परियोजनाएं चल रही हैं। इसने अपनी स्थापना के बाद से लगभग 14 एमएसएमई को कृषि और धातुकर्म/खनिज उद्योगों को 4 से अधिक प्रौद्योगिकी समाधान और कोविड के खिलाफ लड़ने से जुड़ी 10 जानकारी जैसे सैनिटाइजर, तरल साबुन, कीटाणुशोधन किट आदि प्रदान की गई हैं।
ट्रांसमिशन इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप (टीईएम):
ट्रांसमिशन इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप (टीईएम) लक्षण बताने वाला महत्वपूर्ण उपकरण है जिसे नवीनतम विकास के साथ संस्थान की अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों को बढ़ाने के लिए एक उन्नत लक्षण वर्णन सुविधा बनाने के लिए खरीदा गया है।
सीएसआईआर-आईएमएमटी की टीईएम सुविधा उन्नत तकनीक होने के कारण नैनोस्केल पर सामग्री संरचनाओं, चरणबद्ध संरचना और बनावट आदि का मूल्यांकन करने में सक्षम है। लोरेंत्ज लेंस का उपयोग करके यह चुंबकीय नैनापार्टिकल्स को चिह्नित कर सकता है और एक साथ सतह और 3 डी में विस्तृत जानकारी हासिल कर सकता है।
यह सुविधा वैज्ञानिकों, शोधार्थियों और शैक्षिक संस्थानों के संकायों के साथ-साथ सामग्री विकास में संलग्न उद्योगों के लिए आधुनिक अनुसंधान के लिए अवसरों में नई संभावनाओं के द्वार खोलेगी और ज्ञान सृजन, मानव संसाधन विकास, ईसीएफ सृजन, प्रकाशन/पेटेंट में सक्षम बनाएगी।
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