केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “स्टार्ट-अप्स इंडिया”में “बैंगनी क्रांति”जम्मू और कश्मीर का योगदान है”, 2016 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस पहल की शुरुआत की थी

देश आज पहला राष्ट्रीय स्टार्ट-अप दिवस मना रहा है

जम्मू-कश्मीर में कृषिगत स्टार्ट-अप के लिए अरोमा/लैवेंडर की खेती एक लोकप्रिय विकल्प बन गई है: डॉ. जितेंद्र सिंह

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज यहां कहा कि “स्टार्ट-अप इंडिया”में “बैंगनी क्रांति”जम्मू-कश्मीर का योगदान है। उन्होंने बताया कि इस पहल की शुरुआत 2016 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की थी और आज हम पहला राष्ट्रीय स्टार्ट-अप दिवस मना रहे हैं।

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के जरिए अरोमा मिशन की शुरुआत की थी, जिसने भारत में प्रसिद्ध “बैंगनी क्रांति”को जन्म दिया है। इस बारे में मंत्री ने बताया कि सीएसआईआर ने कई जिलों में खेती के लिए जम्मू स्थित अपनी प्रयोगशाला- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन (आईआईआईएम) के जरिए उच्च मूल्‍य की जरूरी तेल वाली लैवेंडर फसल की शुरुआत की थी। शुरुआत में डोडा, किश्तवाड़, राजौरी और इसके बाद अन्य जिलों, जिनमें रामबान और पुलवामा आदि शामिल हैं, इसे शुरू किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि थोड़े ही समय में अरोमा/लैवेंडर की खेती कृषिगत स्टार्ट-अप के लिए कृषि में एक लोकप्रिय विकल्प बन गई है।

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने एक तथ्य, जिसके बारे अधिकांश लोगों को जानकारी नहीं है, उसे साझा किया। उन्होंने बताया कि डोडा जिले के सुदूर गांव खिलानी के रहने वाले भारत भूषण नाम के एक युवा सफलता की अनुकरणीय कहानी बन चुके हैं। भूषण ने सीएसआईआर-आईआईआईएम के सहयोग से लगभग 0.1 हेक्टेयर भूमि में लैवेंडर की खेती शुरू की। इसके बाद जैसे-जैसे लाभ होना शुरू हुआ, उन्होंने अपने घर के आस-पास मक्के के खेत के एक बड़े क्षेत्र को भी लैवेंडर के बगान में बदल दिया। मंत्री ने आगे बताया कि आज उन्होंने 20 लोगों को काम पर रखा है, जो उनके लैवेंडर के खेतों और पौधशाला (नर्सरी) में काम कर रहे हैं। वहीं, उनके जिले के लगभग 500 किसानों ने भी मक्के को छोड़कर बारहमासी फूल वाले लैवेंडर पौधे की खेती शुरू करके भारत भूषण का अनुसरण किया है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, दुर्भाग्यपूर्ण है कि स्थानीय मीडिया में यह कभी नहीं बताया गया कि आईआईआईएम, जम्मू अरोमा और लैवेंडर की खेती में संलग्न स्टार्ट-अप्स को उनकी उपज बेचने में सहायता कर रही है। मुंबई स्थित अजमल बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड, अदिति इंटरनेशनल और नवनैत्री गमिका जैसी प्रमुख कंपनियां इसकी प्राथमिक खरीदार हैं।

आजादी का अमृत महोत्सव के अवसर पर डॉ. जितेंद्र सिंह ने घोषणा की कि सीएसआईआर ने अरोमा मिशन का पहला चरण पूरा होने के बाद इसका दूसरा चरण शुरू किया है। आईआईएम के अतिरिक्त अब सीएसआईआर-आईएचबीटी, सीएसआईआर-सीआईएमएपी, सीएसआईआर-एनबीआरआई और सीएसआईआर-एनईआईएसटी भी अरोमा मिशन में हिस्सा ले रही हैं।

अरोमा मिशन पूरे देश से स्टार्ट-अप्स और कृषकों को आकर्षित कर रहा है। इसके पहले चरण के दौरान सीएसआईआर ने 6000 हेक्टेयर भूमि पर खेती में सहायता की। इस मिशन को देश के 46 आकांक्षी जिलों में संचालित किया गया। इसके तहत 44,000 से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया गया और किसानों को कई करोड़ रुपये की आय की प्राप्ति हुई है। वहीं, अरोमा मिशन के दूसरे चरण में पूरे देश के 75,000 से अधिक कृषक परिवारों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से 45,000 से अधिक कुशल मानव संसाधनों को इसमें शामिल करने का प्रस्ताव है।

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