केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने वर्चुअल माध्यम से मणिपुर में जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय की आधारशिला रखी; कहा – आजादी की लड़ाई में जनजातीय समुदाय के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज मणिपुर के तामेंगलोंग जिले के लुआंगकाओ गांव में रानी गाइदिन्ल्यू जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय की स्थापना की आधारशिला रखी।
आज इम्फाल के सिटी कन्वेंशन सेंटर में आयोजित शिलान्यास के इस कार्यक्रम में मणिपुर के मुख्यमंत्री श्री नोंगथोम्बम बीरेन सिंह और केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा सहित कई गणमान्य व्यक्ति शामिल थे।
इस संग्रहालय का निर्माण भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा स्वीकृत 15 करोड़ रुपये की लागत से किया जाना है।
शिलान्यास के बाद वीसी लिंक के माध्यम से जनसभा को संबोधित करते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इस संग्रहालय की स्थापना से न केवल देश के स्वतंत्रता सेनानियों की भावना को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने में मदद मिलेगी बल्कि उनमें देशभक्ति की भावना भी पैदा होगी। यह संग्रहालय देश के युवाओं को स्वतंत्रता संग्राम की भावना को साकार करने के अलावा राष्ट्र के लिए अपनी सेवा समर्पित करने के लिए भी प्रेरित करेगा। उन्होंने कहा कि देश को अंग्रेजों से आजादी मिले 75 वर्ष हो चुके हैं और इस देश में 25 साल बाद अपनी आजादी की 100वीं वर्षगांठ मनाते हुए दुनिया की एक महाशक्ति बनने का एक मजबूत हौसला है।
उन्होंने कहा, “देश के स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हुए हमें जनजातीय समुदाय के उन स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्षों को नहीं भूलना चाहिए जिन्होंने औपनिवेशिक शासन के खिलाफ लड़ाइयां लडीं।”
जनजातीय समुदाय के स्वतंत्रता सेनानियों को याद करने की जरूरत पर बल देते हुए, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आजादी का अमृत महोत्सव के एक हिस्से के रूप में 15 नवंबर को एक सप्ताह तक चलने वाले जनजातीय गौरव दिवस के उत्सव की शुरुआत की थी। श्री शाह ने कहा कि देश के जनजातीय समुदाय के स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि के तौर पर हर साल 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने रानी गाइदिन्ल्यू, जिनका अपने लोगों को अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त करने का संघर्ष काफी कम उम्र से शुरू हुआ था, के जीवन और बलिदानों को भी याद किया। मणिपुर और पूर्वोत्तर क्षेत्र के अन्य स्वतंत्रता सेनानियों का उल्लेख करते हुए, केन्द्रीय गृह मंत्री ने लोगों को अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह की तीसरी सबसे ऊंची द्वीपीय चोटी माउंट हैरियट, जहां मणिपुर के महाराजा कुलचंद्र सिंह एवं 22 अन्य स्वतंत्रता सेनानियों को आंग्ल-मणिपुर युद्ध (1891) के बाद कैद किया गया था, का नाम बदलने के केंद्र सरकार के निर्णय की भी याद दिलाई।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में उनका हमेशा डटकर मुकाबला करने वाले मणिपुर के स्वतंत्रता सेनानियों के साहस और हौसले के सम्मान में यह फैसला लिया।
इस मौके पर दिए गए अपने भाषण में केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि देश के स्वतंत्रता संग्राम की चर्चा करते हुए जनजातीय समुदाय के स्वतंत्रता सेनानियों को कोई नहीं भूल सकता। केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री, जोकि इस समय इंफाल में हैं, ने आशा व्यक्त की कि राज्य के लोगों के सहयोग से इस जनजातीय संग्रहालय का निर्माण लक्षित अवधि के भीतर पूरा हो जाएगा।
श्री मुंडा ने मणिपुर और पूर्वोत्तर क्षेत्र के अन्य राज्यों, जिनपर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार विशेष ध्यान दे रही है, के समग्र विकास में अपने मंत्रालय के पूर्ण समर्थन और सहयोग का आश्वासन भी दिया।
मणिपुर के मुख्यमंत्री श्री एन. बीरेन सिंह ने उम्मीद जताई कि यह संग्रहालय मणिपुर के जनजातीय समुदाय के गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मान प्रदान करेगा और उनकी याद दिलाएगा। उन्होंने कहा कि यह संग्रहालय स्वतंत्रता संग्राम और मातृभूमि के लिए बलिदान की उनकी विरासत को भी सुनिश्चित करेगा।
मुख्यमंत्री ने राज्य के स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने के उद्देश्य से अंडमान में माउंट हैरियट का नाम बदलकर माउंट मणिपुर करने के लिए केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की सराहना की। श्री सिंह ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में मणिपुर के महत्व को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
भारत का पहला तिरंगा झंडा पहली बार मणिपुर की धरती पर उस समय लहराया था, जब आजाद हिन्द फौज (आईएनए) ने इस झंडे को वर्तमान बिष्णुपुर जिले के मोइरंग में फहराया था।
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