केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से इंडियन चैंबर ऑफ़ कॉमर्स के वार्षिक सत्र और एजीएम को संबोधित किया
संबोधन का विषय था ‘भारत@75 – एमपॉवरिंग नॉर्थ-ईस्ट इंडिया’
वर्ष 2014 में जब श्री नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बने तब सबसे बड़ी बात थी कि उन्होंने पूर्वोत्तर भारत पर अपना विज़न साझा किया था
प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि किसी भी देश का जब तक सर्वसमावेशी, सर्वसपर्शी और संतुलित विकास ना हो, तब तक वह देश आगे नहीं बढ़ सकता
प्रधानमंत्री मोदी जी ने कहा था कि हमारी सरकार आने पर हम पूर्वी भारत के विकास पर फ़ोकस करेंगे और इसे शेष भारत के विकास के समकक्ष लाकर देश के विकास में योगदान देने वाला बनाएंगे
श्री नरेन्द्र मोदी जी ने आज़ादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत 75 से 100 साल तक के 25 सालों को आज़ादी का अमृत काल कहा है और इन 25 सालों में भारत दुनिया में हर क्षेत्र में सर्वप्रथम हो इस दृष्टि से हमें आगे बढ़ना है
प्रधानमंत्री जी ने हमारे सामने पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य रखा है और पूर्वोत्तर के विकास के बिना यह संभव नहीं हो सकता
पूर्वोत्तर हमारे देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण क्षेत्र है और जब तक इसे शेष भारत के साथ हर दृष्टि से जोड़ा नहीं जाएगा, एकात्मता का भाव पैदा नहीं होगा और वहां भी बाक़ी भारत जितना विकास, शांति और समृद्धि नहीं होती तब तक पूर्वोत्तर का विकास संभव नहीं है
वर्ष 2014 में नरेन्द्र मोदी सरकार आने के बाद से हमने पूर्वोत्तर के विकास को चरणबद्ध तरीक़े से आगे बढ़ाया है
पूर्वोत्तर भारत एक विषम क्षेत्र भी है और इसी का उपयोग करते हुए कुछ लोगों ने पूर्वोत्तर को बहुत मुश्किल क्षेत्र बना दिया था, 2014 से पहले भारत के बाक़ी हिस्से और पूर्वोत्तर के बीच बहुत बड़ी मन की खाई बनाने का काम किया गया
2014 में मोदी जी की सरकार बनने के बाद प्रधानमंत्री जी ने सबसे पहला काम मन की खाई को पाटने का किया और पूर्वोत्तर पर फ़ोकस किया
पिछले 7 सालों में प्रधानमंत्री जी अनेकों बार पूर्वोत्तर गए हैं और वहाँ रात्रि निवास किया, अब धीरे धीरे पूर्वोत्तर का भारत के साथ मन का जुड़ाव हो गया है
एक समय था, जब पूर्वोत्तर में आये दिन आन्दोलन, विवाद चलते थे, प्रधानमंत्री जी ने एक नेरेटिव सेट किया है कि विकास के लिए आंदोलन या विवाद की नहीं बल्कि सहयोग और परिश्रम की जरूरत है
पहले वहां हिंसा, उग्रवाद, विवाद, बाढ़, भ्रष्टाचार और मादक पदार्थ जैसी समस्याएं रहती थीं, लेकिन आज कनेक्टिविटी, विकास, पर्यटन, रोज़ग़ार, बिजली और जंगल को बढ़ाने के साथ-साथ बाढ़ समाप्त करने के लिए पूर्वोत्तर चर्चा में रहता है
किसी भी क्षेत्र में अगर औद्योगिक निवेश करना है तो वहां शांति स्थापित करना, विवादों को समाप्त करना, राजनीतिक स्थिरता और आर्थिक विकास के लिए एक अच्छा माहौल बनाना बहुत ज़रूरी है और पिछले 7 साल में नरेन्द्र मोदी सरकार ने इस प्रकार का माहौल बनाने का काम किया है
पूर्वोत्तर के विकास के लिए तीन E- Empathy, Empowerment और Enabler में समाहित किया है और इन तीन ई के साथ हम आगे बढ़ना चाहते हैं
पूर्वोत्तर ने बहुत सहा है, मोदी सरकार की पूर्वोत्तर नीति का उद्देश्य पूरी संवेदना के साथ युवाओ की आकाँक्षाओं को समझकर शांति स्थापित करना और राजनितिक स्थिरता से यहां की सरकारों को एम्पावर कर आम जनता को संबल देना है, पिछ्ले 7 साल से हमने यही किया है
हमने सबसे पहले यहां राजनीतिक स्थिरता स्थापित की है, पूर्वोत्तर के सारे विवादों को समाप्त करने के लिए बहुत बड़ी पहल की है, यहां की बोलियों, भाषाओं, नृत्य, संगीत, खानपान और विविधताओं को एक ताक़त बनाया है
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार ने एक महत्त्वपूर्ण नीतिगत निर्णय करते हुए सीमा परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण को सुविधाजनक बनाने के लिए गृह मंत्रालय को “उपयुक्त सरकार” घोषित किया गया है
पूर्वोत्तर के इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने में भी इन 7 साल में आमूलचूल परिवर्तन हुआ है और 2024 से पहले पूर्वोत्तर की सभी राजधानियां एयरपोर्ट से जुड़ जाएंगी
पूर्वोत्तर के चहुंमुखी विकास के लिए 2014 से 2021 तक 2 लाख 65 हज़ार 513 करोड़ रुपए सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च किया, 2021-22 में पूर्वोत्तर का बजट 63,000 करोड़ रुपए किया है और मोदी सरकार ने सात वर्ष में बजट दोगुना करने का काम किया
बाढ़ पूर्वोत्तर की एक प्रमुख समस्या है, बाढ़ नियंत्रण के लिए यहां की विषम भौगोलिक स्थिति का उपयोग करते हुए इसरो के माध्यम से कई कुदरती तालाब बनाए जाएंगे और बाढ़ का पानी इन तालाबों की ओर डाइवर्ट किया जाएगा
प्रधानमंत्री जी ने जो विकास की कल्पना की है उसको पूरा करना हम सबका दायित्व है और आजादी के अमृत महोत्सव में हम सबको ये संकल्प करना है कि हम पूर्वोत्तर के विकास में योगदान देंगे
पूर्वोत्तर में पूँजी लगाने के लिए जिस वातावरण की जरूरत है 7 साल में हम वह बना चुके हैं, मैं ICC और उसके सदस्यों से अपील करता हूँ कि आप नॉर्थ ईस्ट को अलग दृष्टि से देखिए, वहां आए बदलाव को जानिए और निवेश करिए
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से इंडियन चैंबर ऑफ़ कॉमर्स (ICC) के वार्षिक सत्र और एजीएम को संबोधित किया। इस संबोधन का विषय था – भारत@75 – एमपॉवरिंग नॉर्थ-ईस्ट इंडिया।
इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री अमित शाह ने कहा कि वर्ष 2014 में जब गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बने तब उन्होंने भारत के विकास के साथ-साथ पूर्वोत्तर के विकास के लिए अपना विज़न साझा किया था। प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि किसी भी देश का जब तक सर्वसमावेशी, सर्वसपर्शी और संतुलित विकास ना हो, तब तक वह देश आगे नहीं बढ़ सकता। श्री शाह ने कहा कि आज़ादी के बाद पश्चिमी और दक्षिणी भारत में विकास ज़्यादा हुआ लेकिन अगर 70 सालों की पृष्ठभूमि में देखें तो लगता था कि पूर्वी भारत कहीं ना कहीं पिछड़ गया है। प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि हमारी सरकार आने पर हम पूर्वी भारत के विकास पर फ़ोकस करेंगे और इसे शेष भारत के विकास के समकक्ष लाकर देश के विकास में योगदान देने वाला बनाएंगे और मुझे ये बताते हुए आनंद हो रहा है कि पिछले 7 साल में पूर्वी क्षेत्र में परिवर्तन की बयार देखी जा सकती है। उन्होने कहा कि जब हम पूर्वी भारत के विकास की बात करते हैं तो पूर्वोत्तर के विकास के बिना इसकी कल्पना ही नहीं की जा सकती।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आज़ादी के अमृत महोत्सव के दो हिस्से हैं। पहला हिस्सा है कि जिन जाने-अनजाने शहीदों ने हमें आज़ादी दिलाने के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया, उन्हें याद करके नई पीढ़ी को उनसे जोड़ा जाए। दूसरे हिस्से के अंतर्गत 75 से 100 साल तक भारत को कहां से कहां पहुंचाना है, इसका हम संकल्प लें। प्रधानमंत्री जी ने इन 25 सालों को आज़ादी का अमृत काल कहा है और इन 25 सालों में भारत दुनिया में हर क्षेत्र में सर्वप्रथम हो, इस दृष्टि से आगे बढ़ना है। आर्थिक विकास के क्षेत्र में प्रधानमंत्री जी ने हमारे सामने पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य रखा है और पूर्वोत्तर के विकास के बिना यह संभव नहीं हो सकता।
श्री अमित शाह ने कहा कि पूर्वोत्तर हमारे देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण क्षेत्र है और जब तक इसे शेष भारत के साथ हर दृष्टि से जोड़ा नहीं जाता, यानी वहां की और शेष भारत की जनता के बीच सामंजस्य पैदा नहीं होता, एकात्मता का भाव पैदा नहीं होता, बाक़ी के भारत और वहां के विकास की दर समान हो, और बाक़ी भारत जितनी शांति और समृद्धि वहां भी हो, तब तक पूर्वोत्तर का विकास संभव नहीं है। वर्ष 2014 में नरेन्द्र मोदी सरकार आने के बाद से हमने पूर्वोत्तर के विकास को चरणबद्ध तरीक़े से आगे बढ़ाया है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर भारत के कुल भूभाग का लगभग 8 प्रतिशत क्षेत्र है, लगभग 3.8 प्रतिशत आबादी और लगभग 5 हज़ार किलोमीटर लंबी अंतर्राष्ट्रीय सीमा पांच देशों के साथ जुड़ी है। विश्व के 18 बायो डायवर्सिटी हॉटस्पॉट में से एक भारत का पूर्वोत्तर है। देश के वन क्षेत्र का 25 प्रतिशत पूर्वोत्तर में है और घने जंगल का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा पूर्वोत्तर में है और एक तरह से हम कह सकते हैं कि पूर्वोत्तर भारत का फ़ेफड़ा है। श्री शाह ने कहा कि पूर्वोत्तर विषम क्षेत्र भी है और यहां 270 से ज़्यादा सामाजिक ग्रुप हैं और 185 से ज़्यादा बोलियां बोली जाती हैं। लेकिन इसी की उपयोग करते हुए कुछ लोगों ने पूर्वोत्तर को बहुत मुश्किल क्षेत्र बना दिया था। 2014 से पहले भारत के बाक़ी हिस्से और पूर्वोत्तर के बीच बहुत बड़ी मन की खाई बनाने का काम किया गया। केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि वर्ष 2014 में मोदी जी की सरकार बनने के बाद प्रधानमंत्री जी ने सबसे पहला काम मन की इस खाई को पाटने का किया और पूर्वोत्तर पर फ़ोकस किया, हर 15 दिनों में वहां एक केन्द्रीय मंत्री को भेजना शुरू किया। सात सालों में आज तक प्रधानमंत्री जी स्वयं कई बार पूर्वोत्तर गए हैं और उन्होंने पूर्वोत्तर में रात्रि निवास किया है और अब धीरे धीरे पूर्वोत्तर का भारत के साथ मन का जुड़ाव हो गया है। एक ज़माना था जब वहां हिंसा, उग्रवाद, विवाद, बाढ़, भ्रष्टाचार और मादक पदार्थ जैसी समस्याएं रहती थीं। मणिपुर का नाम केवल बंद, ब्लॉकेड और हड़तालों के लिए ही लिया जाता था। असम का नाम आतंकवाद और जातीय समूहों के झगड़ों के लिए ही लिया जाता था। लेकिन आज कनेक्टिविटी, विकास, पर्यटन, रोज़ग़ार, बिजली और जंगल को बढ़ाने के साथ-साथ बाढ़ को समाप्त करने के लिए पूर्वोत्तर चर्चा में रहता है। किसी भी क्षेत्र में अगर औद्योगिक निवेश करना है तो वहां शांति होना, वहां के विवादों को समाप्त करना, राजनीतिक स्थिरता का माहौल बनाना और आर्थिक विकास के लिए एक अच्छा माहौल बनाना बहुत ज़रूरी है। इस प्रकार का माहौल बनाने का काम पिछले 7 साल में नरेन्द्र मोदी सरकार ने किया है। आज पूर्वोत्तर देश के विकास का एक बहुत बड़ा कंट्रीब्यूटर बनने को तैयार है। श्री अमित शाह ने कहा कि पूर्वोत्तर में जो कनेक्टिविटी की समस्या थी उसे बांग्लादेश के साथ लैंड बॉर्डर समझौता करके दूर किया जा रहा है। पूर्वोत्तर बांग्लादेश के बंदरगाहों से दो साल में जुड़ जाएगा और पूर्वोत्तर में उद्योग लगाने और दुनियाभर में जाने का एक बहुत बड़ा रास्ता खुल जाएगा।
श्री अमित शाह ने कहा कि हमने पूर्वोत्तर के विकास के लिए तीन E- Empathy, Empowerment और Enabler में समाहित किया है और इन तीन ई के साथ हम आगे बढ़ना चाहते हैं। केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर ने बहुत सहा है और मोदी सरकार की पूर्वोत्तर नीति का उद्देश्य एम्पथी से पूरी संवेदना के साथ युवाओ की आकाँक्षाओं को समझकर शांति स्थापित करना और राजनितिक स्थिरता से यहां की सरकारों को एम्पावर करना है। सरकार का काम इनेबलर का होता है, आम जनता को संबल देने का है और पिछ्ले 7 साल से हमने यही किया है। उन्होने कहा कि पिछले 7 वर्षों में हमने पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए चार प्रमुख उद्देश्य चिन्हीत किये थे। पहला, यहाँ पोलिटिकल स्टेबिलिटी स्थापित कर अस्थिरता को समाप्त करना, दूसरा उत्तरपूर्व के सारे विवादों को समाप्त कर इसे शांतिपूर्ण क्षेत्र बनाना , तीसरा यहां की बोलियां, भाषाएं, नृत्य, संगीत, खान-पान, संस्कृति को संभालकर-संजोकर रखना और भारत सहित पुरी दुनिया में इसके लिए आकर्षण पैदा करना और चौथा महत्वपूर्ण पूर्वोत्तर को एक विकसित क्षेत्र बनाकर इसके आज़ादी-पूर्व के जीडीपी में योगदान के स्तर पर वापस लाने का प्रयास करना। श्री शाह ने कहा कि मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही ख़ुशी है कि हम इसी दिशा में सफलता से आगे बढ़ रहे हैं।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री जी की लोकप्रियता और संगठनात्मक प्रयासों के लकारण पूर्वोत्तर में अस्थिरता अब इतिहास बन चुकी है, पोलिटिकल स्टेबिलिटी के बाद अब पूर्वोत्तर शांति की और अग्रसर है। पिछले सात वर्षों में पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी के नेतृत्व में NEDA यानी नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस की सरकारों का गठन करने में सफल हुए है। आज यहां सभी सरकारें पूर्ण बहुमत के साथ स्थिरता के साथ काम कर रही हैं, चुनाव भी शांतिपूर्ण तरीके से हो रहे हैं। पूर्वोत्तर के लोगों ने मोदी जी को स्वीकारा है और 24 में से 19 सीटें हमें दी हैं। 498 विधायक में 350 विधायक नेडा के हैं और दिल्ली को जहां पहले पराया समझा जाता था अब दिल्ली को बड़ा भाई मान कर विकास के लिए उसकी सहायता लेने में कोई झिझक अब नहीं है। राजनीतिक स्थिरता लाने में प्रधानमंत्री जी के विजन को जमीन पर उतारा गया है और इसका बहुत बड़ा फायदा पूर्वोत्तर के विकास में होगा।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर में शांति की स्थापना के लिए भी 2014 और 2019 के बाद हमने बहुत बड़ा काम किया है। पहली टर्म में बांग्लादेश के साथ लैंड बाउंड्री एग्रीमेंट करके पूर्वोत्तर की सबसे बड़ी कमी थी कि पूर्व में कैसे जाएं, इसे दूर किया है। उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार ने एक महत्त्वपूर्ण नीतिगत निर्णय करते हुए सीमा परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण को सुविधाजनक बनाने के लिए गृह मंत्रालय को “उपयुक्त सरकार” घोषित किया गया है। उन्होने कहा कि एक समय था, जब पूर्वोत्तर में आये दिन आन्दोलन, विवाद चलते थे, प्रधानमंत्री जी ने एक नेरेटिव सेट किया है कि विकास के लिए आंदोलन या विवाद की नहीं बल्कि सहयोग और परिश्रम की जरूरत है। केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि मणिपुर के ब्लॉकेड को समाप्त कर दिया गया है, NLFT के साथ समझौता हुआ है और उन लोगों ने हथियार डाल दिए हैं। ब्रू शरणार्थियों की 40 साल से चली आ रही समस्या पर भी समझौता हो गया है और अब उनका पुनर्वास हो रहा है। बोडो और कार्बी आंगलोंग शांति समझौतों के बाद ढेर सारे उग्रवादियों ने हथियार डाले हैं। वर्ष 2007 से 2014 तक हिंसा की घटनाओं में लगभग 385 नागरिक प्रति वर्ष मारे गए थे और अब 2019 से लेकर 2021 तक औसतन दो नागरिकों की मौत हुई है। उन्होने कहा कि दो नागरिकों की मौत होना भी बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है और हम इसे शून्य करना चाहते हैं । इन दो वर्षों में लगभग 3922 उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया है और 4000 हथियार पुलिस के सामने जमा किए हैं। श्री अमित शाह ने कहा कि राज्य सरकारों और केंद्र सरकार ने उनके विकास और पुनर्वास के लिए 12 हजार करोड़ रूपए दिए हैं।
श्री अमित शाह ने कहा कि पूर्वोत्तर के इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने में भी इन सात साल में आमूलचूल परिवर्तन हुआ है और 2024 से पहले पूर्वोत्तर की सभी राजधानियां एयरपोर्ट से जुड़ जाएंगी। पूर्वोत्तर के 8 में से 7 राज्य रेल से जुड़े हुए होंगे। कई राष्ट्रीय राजमार्ग बनाने का काम किया है। नेशनल हाईवे की 32 सड़कों का निर्माण 12000 करोड़ रूपए से किया है। पूर्वोत्तर के चहुंमुखी विकास के लिए 2014 से 2021 तक 2 लाख 65 हज़ार 513 करोड़ रुपए सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च किया। 14वें वित्त आयोग की तुलना में 15वें वित्त आयोग ने पूर्वोत्तर के खर्च में 251 प्रतिशत की बढ़ोतरी की। पूर्वोत्तर का इंफ्रास्ट्रक्चर, शांति, राजनीतिक स्थिरता एक ऐसा माहौल बनाती है जिस पर आप निवेश कर सकें और भरोसा कर सकें। वर्ष 2021-22 में पूर्वोत्तर का बजट 63,000 करोड़ रुपए किया है और सात वर्ष में इस बजट को दोगुना करने का काम मोदी सरकार ने किया है। उन्होंने कहा कि बहुत सारे एम्स (AIIMS), आईआईटी (IIT), आईआईएम(IIM) जैसे संस्थान खोले गए हैं जिससे यहां के बच्चे एक अच्छी कार्यशक्ति के रूप में उपलब्ध हों।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि यहां आईटी क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं और आईटी कनेक्टिविटी के लिए भी हमने काफ़ी काम किया है। पूरे विश्व के पर्यटकों को यहां आकर्षित करने का कुदरती सौंदर्य पूर्वोत्तर में है। ऑर्गेनिक फूड के लिए भी तीन राज्य संपूर्ण ऑर्गेनिक राज्य घोषित कर दिए गए हैं और बाकी राज्यों में भी ऑर्गेनिक कृषि को बढ़ावा दिया जा रहा है। पूरे विश्व में ऑर्गेनिक फूड की मांग और बाजार बढ़ रहा है और इसके लिए भी नॉर्थईस्ट बहुत बड़ा स्पॉट बन सकता है। उन्होंने कहा कि नॉर्थ ईस्ट में खेल क्षेत्र में भी बहुत संभावनाएं हैं। बाढ़ पूर्वोत्तर की एक प्रमुख समस्या है, बाढ़ नियंत्रण के लिए यहां की विषम भौगोलिक स्थिति का उपयोग करते हुए इसरो के माध्यम से कई कुदरती तालाब बनाए जाएंगे और बाढ़ का पानी इन तालाबों की ओर डाइवर्ट किया जाएगा।
श्री अमित शाह ने कहा कि यहां बांस और कागज के उद्योग के लिए अपार संभावनाएं हैं। भारत के कुल बांस उत्पादन का लगभग 60% हिस्सा पूर्वोत्तर में है और अब नरेंद्र मोदी सरकार ने बांस को खेती का स्टेटस दिया है। एक-दो साल में बांग्लादेश के साथ रेल से और सड़क से भी उत्तर पूर्व का क्षेत्र जुड़ जाएगा और उसके बाद पूर्व में जाने की ढेर सारी संभावनाएं बनेंगी। पूर्व के अलग-अलग राज्यों की निवेश नीतियां काफ़ी आकर्षक हैं। सबसे बड़ी बात है कि वहां शांति स्थापित हो चुकी है, राजनीतिक स्थिरता आ चुकी है और पढ़ाई लिखाई के लिए भी कई संस्थान बने हैं जो बच्चों को प्रशिक्षित मानव संसाधन के रूप में तैयार करेंगे।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री जी का एक स्वपन है – आत्मनिर्भर भारत का। हम आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में हैं और जो लोग भी यहां से आजादी के 100 साल मनाने तक होंगे, हमें उनके लिए रास्ता तैयार करना है। देश का संपूर्ण विकास करना है तो देश के हर क्षेत्र का बराबर विकास होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर में पूँजी लगाने के लिए जिस प्रकार का वातावरण बनाने की जरूरत है वह 7 साल में अब हम बना चुके हैं। उन्होने ICC और उसके सदस्यों से अपील करते हुए कहा कि आप नॉर्थ ईस्ट को अलग दृष्टि से देखिए, वहां आए बदलाव को जानिए और निवेश करिए। अब समय आ गया है नॉर्थ ईस्ट में निवेश करने, इसे सशक्त करने, देश के साथ जोड़ने और यहां के विकास को बढ़ावा देने का समय आ गया है। प्रधानमंत्री जी ने जो विकास की कल्पना की है उसको पूरा करना हम सबका दायित्व है और आजादी के अमृत महोत्सव में ये संकल्प सबको करना है कि पूर्वोत्तर के विकास में हम योगदान देंगे।
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