केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने राष्ट्रीय पोलियो टीकाकरण अभियान-2022 की शुरुआत की

5 साल से कम उम्र के हर एक बच्चे को पोलियो की दवा जरूर पिलाई जानी चाहिए: डॉ. मनसुख मांडविया

“स्वस्थ बच्चों का अर्थ है- स्वस्थ समुदाय और एक स्वस्थ राष्ट्र”

“जैसा कि माननीय प्रधानमंत्री ने परिकल्पना की थी, सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के तहत सभी टीके हमारे देश के हर एक बच्चे तक पहुंचने चाहिए”

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने आज स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में पांच साल से कम उम्र के बच्चों को पोलियो की दवा पिलाकर 2022 के लिए राष्ट्रीय पोलियो टीकाकरण अभियान की शुरुआत की।

इस अवसर परडॉ. मनसुख मांडविया ने कहा, “पोलियो के खिलाफ भारत की रणनीतिक लड़ाई टीके से बचाव योग्य रोगों के संबंध में भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति की सफलता की एक कहानी है। हमें लगातार सचेत रहने और यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि 5 साल से कम उम्र के हर एक बच्चे को पोलियो की दवा पिलाई जाए।”

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स्वास्थ्य मंत्री ने आगे कहा,”हमारे माननीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम बच्चों को पहले से कहीं अधिक रोगों से बचाने पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहा है और हाल के दिनों में न्यूमोकोकल कॉन्जुगेट टीका (पीसीवी), रोटावायरस टीका और मीजल्स (खसरा)-रूबेला टीका (एमआर) जैसे कई नए टीकों को सामने लाने का काम किया है।” डॉ. मांडविया ने आगे कहा, “हमारे बच्चों को अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करने के लिएभारत सरकार ने अपने नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में इंजेक्टेबल इनएक्टिवेटेड पोलियो टीके को भी शामिल किया है। जब हम अपने बच्चों को अधिक से अधिक रोगों से बचाने का प्रयास कर रहे हैं, यह महत्वपूर्ण है कि इस कार्यक्रम के तहत सभी टीके हमारे देश के हर एक बच्चे तक पहुंचें।”

राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस मनाने के महत्व पर जोर देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, “हमारे बच्चों के सेहतमंद होने पर ही स्वस्थ भारत का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। मिशन इंद्रधनुष या पोलियो टीकाकरण अभियान का उद्देश्य हमारे बच्चों को ऐसे घातक रोगों से बचाना है। चूंकि हमारे पड़ोसी देश अभी भी पोलियो मुक्त नहीं हुए हैं, इसे देखते हुए हमें सतर्क रहना चाहिए और टीकाकरण कार्यक्रम को जारी रखना चाहिए।”डॉ. मांडविया ने आगे बताया, “आने वाले महीनों में 5 साल से कम उम्र के 15 करोड़ से अधिक बच्चों का टीकाकरण किया जाएगा। कोई भी बच्चा छूटने न पाए, इसके लिए मजबूत सूक्ष्म नियोजन के जरिए घर-घर जाकर टीकाकरण अभियान चलाया जाएगा। मैं इस टीकाकरण कार्यक्रम को हमारे माननीय प्रधानमंत्री की परिकल्पित एक लोक भागीदारी आंदोलन बनाने के लिए सभी स्वास्थ्यकर्मियों, डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ, रोटरी क्लब और एनजीओ जैसे हितधारकों को बधाई देता हूं। मैं सभी परिवारों से अपने बच्चों का टीकाकरण कराने के लिए आगे आने का अनुरोध करता हूं।”

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम की उपलब्धियों और इसे कार्यान्वित करने की दिशा में आगे बढ़ने की राह को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “हालांकि भारत पोलियो मुक्त है, इसके बावजूद यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम सतर्क रहें। टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए सभी राज्यों में पारगमन (ट्रांजिट) टीमों को तैनात किया गया है।सीमाओं पर लगातार पल्स पोलियो कार्यक्रम को संचालित किया जा रहा है, क्योंकि हमारे पड़ोसी देशों से अभी भी पोलियो के मामले सामने आ रहे हैं।”

 

राष्ट्रीय पोलियो टीकाकरण अभियान और राष्ट्रीय पोलियो टीकाकरण अभियान 2022 (एनआईडी) के बारे में विवरण:

राष्ट्रीय पोलियो टीकाकरण अभियान-2022 (एनआईडी) रविवार यानी27 फरवरी 2022 को पूरे देश में आयोजित किया जाएगा। वाइल्ड पोलियो वायरस के खिलाफ जनसंख्या प्रतिरक्षा और पोलियो मुक्त स्थिति को बनाए रखने के लिए भारत हर साल पोलियो के लिए एक राष्ट्रव्यापी एनआईडी और दो उप-राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस (एसएनआईडी) आयोजित करता है।पोलियो एनआईडी के तहत सभी 36 राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों के 735 जिलों में 15 करोड़ से अधिक बच्चों को कवर किया जाएगा। इस अभियान के दौरान पूरे देश के 7 लाख बूथों के माध्यम से बच्चों को पोलियो की दवा पिलाई जाएगी। वहीं, लगभग 24 लाख स्वयंसेवक और 1.5 लाख पर्यवेक्षक करीब 23.6 करोड़ घरों का दौरा करेंगे। मेघालय पहले ही 24 जनवरी, 2022 को इस अभियान को संचालित कर चुका है। वहीं, मिजोरम स्थानीय कारणों से 1 मार्च, 2022 को अभियान को चलाने की योजना बना रहा है। इनके अलावा चुनावी राज्यों- उत्तर प्रदेश और मणिपुर ने क्रमशः 20 मार्च और 24 मार्च 2022 को पोलियो एनआईडी आयोजित करने की योजना बनाई है।

बूथ पर पोलियो की दवा देने के बाद अगले दो से पांच दिनों में घर-घर जाकर निगरानी (मॉप-अप राउंड) की जाएगी, जिससे बूथों पर टीकाकरण से छूटे हुए बच्चों की पहचान की जा सके और उनका टीकाकरण किया जा सके। इसके अलाव बस टर्मिनलों, रेलवे स्टेशनों, हवाईअड्डों और फेरी क्रॉसिंग (नौका घाटों) पर टीकाकरण टीमों को तैनात किया गया है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी बच्चा इस जीवन रक्षक खुराक से चूक न जाए।

भारत एक दशक से भी अधिक समय से पोलियो से मुक्त राष्ट्र रहा है।13 जनवरी, 2011 को वाइल्ड पोलियो वायरस का अंतिम मामला दर्ज किया गया था। हालांकि, भारत अपने पड़ोसी देशों-अफगानिस्तान और पाकिस्तानसे पोलियो वायरस के फिर से देश में संक्रमण को रोकने के लिए सतर्कता बनाए हुए है। इन देशों में वाइल्ड पोलियो वायरस अभी रोग का कारण बना हुआ है।

साथ ही, कोविडउपयुक्त व्यवहार (सीएबी) का अनुपालन करके महामारी के दौरान सुरक्षा के सभी उपायों का पालन सुनिश्चित किया जाएगा। इनमें बूथों पर अधिक भीड़ को रोकना, शारीरिक दूरी बनाए रखना, मास्क पहनना, हाथ धोना और अच्छी तरह हवादार वातावरण में पोलियो की दवा पिलाना शामिल है।

इस बैठक में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के एएस व एमडी श्री विकास शील, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में संयुक्त सचिव श्री अशोक बाबू, भारत में डब्ल्यूएचओ के प्रतिनिधिडॉ. रोडरिको एच. ओफ्रिन और मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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