केंद्रीय कृषि मंत्री ने प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान,पटना के प्रशासनिक भवन का लोकार्पण किया
प्रधानमंत्री के आह्वान पर नई सोच के साथ कृषि क्षेत्र में तेज गति से हो रहा है विकास- श्री तोमर
प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी), पटना के प्रशासनिक भवन का वर्चुअल लोकार्पण आज केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किया। इस अवसर पर श्री तोमर ने कहा कि कृषि प्रधान हमारे देश में कृषि क्षेत्र का सर्वांगीण विकास देश व समय की जरूरत है। किसानों की आमदनी बढ़े, उनका जीवन समृद्ध हो, खेती में उत्पादन व उत्पादकता बढ़े, इसके लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने दिशा-निर्देश दिए हैं और राज्य सरकारों व किसानों से भी आग्रह किया है। पीएम के आह्वान पर देशभर में नई सोच के साथ खेती के क्षेत्र में तेज गति से विकास हो रहा है, सरकार ने नए कार्यक्रम हाथ में लिए है और राज्य सरकारें भी द्रुत गति से आगे बढ़ रही हैं जिसका लाभ निश्चित रूप से भारतीय खेती को मिलने वाला है।
केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने कहा कि बिहार व झारखंड सहित पूर्वी भारत देश का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जहां कृषि के विकास की बहुत संभावनाएं है, यहां के लिए कृषि अनुसंधान पर तेजी से काम करना होगा। यह क्षेत्र कृषि में ऊंचाइयां प्राप्त करें, यह हम सब की जिम्मेदारी है। भारत सरकार ने कई योजनाएं लागू की है जिनके माध्यम से किसानों को लाभ पहुंचाने में राज्य सरकारों व कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) का सहयोग अपेक्षित है। किसानों के जीवन में तब्दीली लाने पर फोकस करते हुए सभी को मिलकर काम करना होगा।
श्री तोमर ने कहा कि वर्ष 2014 में केंद्र में आने के बाद से प्रधानमंत्री जी का ध्यान देश के सर्वांगीण विकास पर है, साथ ही गांव-गरीब-किसान कल्याण को प्राथमिकता दी है। किसान आगे बढ़े, कृषि समृद्ध व लाभप्रद हो, किसान नई तकनीक से जुड़े, जलवायु के अनुकूल किस्में उन तक पहुंचे, उत्पादकता बढ़े, नुकसान की संभावना कम कर सके, ग्रामीण क्षेत्रों में जरूरी सुधार हो, इसके लिए मोदी जी ने कई कार्यक्रम संचालित किए हैं। खाद्यान्न में हम देश व दुनिया की आवश्यकता पूरी कर रहे हैं, अधिकांश उत्पादों के मामले में विश्व में पहले या दूसरे नंबर पर है लेकिन हम सिर्फ आंकड़ों पर संतोष नहीं करना चाहते। किसानों की आय व उत्पादन को संतुलित करने का प्रयास सरकार कर रही है। कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां पानी की प्रचुरता है पर अच्छे उत्पादन में वह बाधक बन जाता है तो कुछ क्षेत्र ऐसे हैं, जहां खेती वर्षा के पानी पर निर्भर है। इस असंतुलन को दूर करने के लिए वैज्ञानिक अच्छा अनुसंधान कर किसानों को लाभ पहुंचाएं।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के जरिए देश में अभी तक लगभग ग्यारह करोड़ किसानों के खाते में 1 लाख 62 हजार करोड़ रूपये जमा किए जा चुके हैं। इस बात पर ध्यान दिया जा रहा है कि इंफ्रास्ट्रक्चर गांवों तक पहुंचे और कोल्ड स्टोरेज व वेयर हाउस की सुविधा खेतों के नजदीक हो, जिसके लिए प्रधानमंत्री जी द्वारा एक लाख करोड़ रू. के कृषि इंफ्रा फंड का प्रावधान किया गया है। इसके तहत अभी तक लगभग ग्यारह हजार करोड़ रू. के प्रोजेक्ट आए हैं, जिनमें से सत्तावन सौ करोड़ रू. के प्रोजेक्ट स्वीकृत कर दिए गए हैं। मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन, हर्बल खेती और फूड प्रोसेसिंग सहित कृषि व सम्बद्ध क्षेत्रों के लिए प्रधानमंत्री जी ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत कुल डेढ़ लाख करोड़ रू. से ज्यादा के प्रावधान किए हैं। श्री तोमर ने बिहार और झारखंड में भी इन फंड्स का अधिकाधिक उपयोग करने पर जोर दिया ताकि किसानों की दशा व खेती में बदलाव आ सके।
श्री तोमर ने कहा कि देश में लगभग 80 प्रतिशत छोटे किसान हैं, जिनके पास 2 हेक्टेयर से कम जमीन है। सरकार का ध्यान इन छोटे किसानों के उत्थान पर है। सरकार ने छोटे किसानों के लिए 10 हजार नए कृषक उत्पादक संघ (एफपीओ) बनाने का काम शुरू किया है, जिन पर 6,850 करोड़ रू. खर्च होंगे। उन्होंने बिहार व झारखंड के किसानों को भी एफपीओ से जुड़ने के लिए प्रेरित करने का आग्रह किया। श्री तोमर ने बताया कि मोदी जी ने किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अल्पकालीन ऋण के लिए 16 लाख करोड़ रू. का प्रावधान किया है।
श्री तोमर ने कहा कि आज जरूरत है कि किसानों के पास ज्ञान और विज्ञान पहुंच सके, जिसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र सबसे कारगर है। पहले कहावत थी कि खेती उसकी, जिसके पास पानी है लेकिन अब स्थिति बदल गई है। अब जिसके पास ज्ञान है, खेती उसकी है। ये ज्ञान हर किसान के पास पहुंचे और आगामी पीढ़ी का आकर्षण खेती के लिए बढ़े, इस दिशा में भी काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कृषि विकास में केवीके का काफी योगदान है, जो आगे भी कृषि एवं किसानों के विकास के लिए कार्य करते हुए अपने उद्देश्यों में सफलता प्राप्त करते रहेंगे।
कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डेयर) के सचिव एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक डा. त्रिलोचन महापात्र ने भी संबोधित किया। आईसीएआर के उप महानिदेशक (कृषि प्रसार) डा. अशोक कुमार सिंह ने स्वागत भाषण दिया। सहायक महानिदेशक डा. रंधीर सिंह ने संचालन किया। अटारी के निदेशक डा. अंजनी कुमार ने आभार माना। कार्यक्रम में बिहार के कृषि सचिव श्री श्रवण कुमार, आईसीएआर के उप महानिदेशक डा. ए.के. सिंह (बागवानी) व डा. आर.सी. अग्रवाल (शिक्षा), विभिन्न संस्थानों के निदेशक, कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति, कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिक, अन्य अधिकारी, किसान उपस्थित थे।
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