न्यूज़ डेस्क : कोरोना वायरस से देश की आर्थिक स्थिति बिगड़ी है। महामारी से सभी उद्योग प्रभावित हुए हैं। कई कंपनियों ने कर्मचारियों के वेतन में कटौती की। वहीं कई कर्मचारियों को नौकरी से हाथ भी धोना पड़ा। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के नियमित अंतराल पर होने वाला श्रम बजार सर्वे के अनुसार, देश में बेरोजगारी दर पिछले साल जुलाई-सितंबर में बढ़कर 13.3 फीसदी हो गई। एक साल पहले की समान अवधि में यह आंकड़ा 8.4 फीसदी था।
मालूम हो कि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने अप्रैल 2017 में निश्चित अवधि पर किए जाने वाले श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) शुरू किया था। इसी के आधार पर श्रम बल का अनुमान देते हुए एक त्रैमासिक बुलेटिन जारी किया जाता है। इसमें श्रमिक जनसंख्या अनुपात, श्रम बल भागीदारी दर, बेरोजगारी दर, वर्तमान साप्ताहिक स्थिति के तहत रोजगार और कार्य- उद्योग की व्यापक स्थिति के आधार पर श्रमिकों का वितरण आदि के बारे में जानकारी दी जाती है।
37 फीसदी थी भागीदारी दर
बेरोजगारी दर का अर्थ कार्यबल में लोगों का फीसदी है, जिन्हें कोई रोजगार नहीं मिला है। आठवें श्रम बल सर्वे के अनुसार, इससे पहले प्रैल-जून 2020 में बेरोजगारी दर 20.9 फीसदी थी। जुलाई-सितंबर तिमाही में सभी उम्र के लिए श्रम बल की भागीदारी दर 37 फीसदी थी। जबकि इससे एक साल पहले की समान अवधि में यह आंकड़ा 36.8 फीसदी था। अप्रैल-जून 2020 में भागीदारी दर 35.9 फीसदी थी।
कम हुई महिलाओं की बेरोजगारी दर
इससे पहले श्रम एवं रोजगार राज्यमंत्री रामेश्वर तेली ने लोकसभा में जानकारी दी थी कि एनएसओ द्वारा आयोजित पीएलएफएस के अनुसार, 2019-20 में महिलाओं की बेरोजगारी दर 4.2 फीसदी रही। जबकि साल 2018-19 में यह आंकड़ा 5.1 फीसदी था। साल 2019-20 के लिए मनरेगा के तहत 2020-21 में उत्पन्न कुल रोजगार (व्यक्तिगत दिनों में) में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ी और यह लगभग 207 करोड़ व्यक्ति दिवस रही। वहीं महिलाओं के लिए श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) 2018-19 में 24.5 फीसदी से बढ़कर 2019-20 में 30.0 फीसदी हो गई है।
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