संविधान दिवस पर विधि और न्याय मंत्री ने कहा कि अपने कर्तव्यों को समझना यह सुनिश्चित करने की कुंजी है कि संघर्ष कम से कम हों और अधिकारों पर कोई प्रभाव न पड़े

भारत के प्रत्येक नागरिक तक संविधान को पहुंचाने के उद्देश्य से उन्होंने ‘भारतीय संविधान पर ऑनलाइन पाठ्यक्रम’ का शुभारंभ किया

हर वर्ष 26 नवंबर को मनाये जाने वाले ‘संविधान दिवस’ पर तथा भारत की स्वाधीनता के 75 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मनाये जाने के परिप्रेक्ष्य में केंद्रीय विधि और न्याय मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने नई दिल्ली स्थित डॉ. अम्बेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र के भीम प्रेक्षागृह में ‘भारतीय संविधान का ऑनलाइन पाठ्यक्रम’ का शुभारंभ किया।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image001N9MD.jpg

भारतीय संविधान के ऑनलाइन पाठ्यक्रम की शुरूआत विधि और न्याय मंत्रालय के विधिक कार्य विभाग ने नेशनल अकादमी ऑफ लीगल स्टडीज एंड रिसर्च (एनएएलएसएआर), यूनीवर्सिटी ऑफ लॉ के सहयोग से किया था।

इस अवसर पर विधिक कार्य विभाग के सचिव श्री अनूप कुमार मेंदीरत्ता, विधायी विभाग के सचिवों सहित एनएएलएसएआर यूनीवर्सिटी ऑफ लॉ के कुलपति प्रो. (डॉ) फैजान मुस्तफा की गरिमामयी उपस्थिति रही।

भारतीयसंविधान के ऑनलाइन पाठ्यक्रम के शुभारंभ का सूत्रपात विधि सचिव के स्वागत सम्बोधन से हुआ। उन्होंने कहा कि संविधान दिवस इसलिये महत्त्वपूर्ण है कि यहां पहले की दो सदियों में सारे प्रशासनिक कानून उपनिवेशी शक्ति द्वारा लागू किये जाते थे, जबकि भारतीय संविधान का निर्माण यहां के लोगों ने एक सम्प्रभु संविधान सभा के प्रतिनिधियों के जरिये खुद किया है।

संविधान के ऑनलाइन पाठ्यक्रम के महत्त्व को रेखांकित करते हुये उन्होंने कहा कि यह संविधान की आत्मा और आदर्शों को फैलाने का एक अहम पड़ाव है। इससे देश के नागरिक शक्तिसम्पन्न होंगे, क्योंकि संविधान में उल्लिखित सिद्धांतों के प्रति वे जागरूक होंगे।

उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि ऑनलाइन पाठ्यक्रम से लोगों को एहसास होगा कि संविधान एक कार्यशील पुस्तिका है, जो महज कोई सरकारी दस्तावेज नहीं है, बल्कि वह देश के हर नागरिक की सहायता करता है तथा उन्हें अधिकार सम्पन्न बनाता है। उन्होंने इन पहलों के बारे में कहा कि इनका उद्देश्य है कि संवैधानिक मूल्यों के प्रति जागरूकता बढ़े, ताकि नागरिकों को मौलिक अधिकारों तथा कर्तव्यों को समझने में आसानी हो। साथ ही लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति हमारे दायित्व मजबूत हों। इससे यह सुनिश्चित होगा कि नागरिक हमारी गौरवशाली संवैधानिक यात्रा से परिचित होंगे, संविधान सभा में होने वाली बहसों के बारे में जानेंगे तथा जीने के अधिकार, निजी स्वतंत्रता और निजता के मुद्दों सहित देश की धरती के सर्वोच्च कानून को समझने में उन्हें मदद मिलेगी।

उन्होंने छात्रों का आह्वान किया कि वे महात्मा गांधी के विचारों को अपनायें, जब उन्होंने कहा था, “वह परिवर्तन खुद में भी करो, जो तुम दुनिया में देखना चाहते हो।” उन्होंने छात्रों से आग्रह करते हुये कहा वे लोकसेवा के लिये निशुल्क कानूनी सहायता सम्बंधी बढ़ती वैधानिक चुनौतियों को स्वीकार करके खुद को साबित करें, जैसा कि इस देश के नेताओं ने कहा था।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image002WYA1.jpg

गणमान्यजनों को सम्बोधित करते हुये माननीय विधि और न्याय मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने संविधान में उल्लिखित हमारे स्वतंत्रता संग्राम के मूल्यों को, खासकर मौलिक अधिकार तथा राज्य के नीति निर्देशक तत्त्वों को रेखांकित किया, जो सबके सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय को गति देने वाले हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि दुनिया के संविधानों में सबसे विशाल संविधान होते हुये भी भारतीय संविधान हमेशा की तरह जीवन्त और प्रासंगिक बना हुआ है, क्योंकि उसमें लचक और कठोरता का अनोखा संगम है।

उन्होंने स्वतंत्र न्यायिक प्रणाली तथा जनता के लिये न्याय, आजादी, समानता और भाईचारे के गारंटीशुदा अधिकारों एवं मूल्यों को रेखांकित किया। उन्होंने जोर दिया कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का नागरिक होने के नाते, यह हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हम संविधान की मूल भावना को जानें, ताकि सार्थक रूप से अपने अधिकारों को समझ सकें।

उन्होंने बाबासाहेब डॉ. बीआर अम्बेडकर का उद्धरण दियाः “संविधान सिर्फ किसी वकील का दस्तावेज नहीं है। वह जीवन यात्रा है और उसकी भावना हमेशा युग की भावना रहेगी।” इस उद्धरण के साथ श्री किरेन रिजिजू ने कहा कि जब वे लोगों को यह कहते सुनते हैं कि हम कानून और संविधान को नहीं मानते, तो उन्हें बहुत अफसोस होता है। उन्होंने कहा कि यह बहुत गलत बात है और अगर हम सच्चे मन से अपने कर्तव्यों को समझेंगे, तो हमारे अधिकारों कभी नुकसान नहीं पहुंचेगा।

उन्होंने जोर देते हुये कहा कि संविधान बदलाव लाने वाला दस्तावेज है और उसे हर नागरिक को आत्मसात कर लेना चाहिये। लिहाजा, ऑनलाइन पाठ्यक्रम सही मायने में सभी नागरिकों को संवैधानिक नैतिकता की भावना और हमारे संस्थापक पुरखों की दृष्टि को समझने के लिये नागरिकों को जागरूक बनायेगा। उन्होंने आगे कहा कि ऑनला%

Comments are closed.