न्यूज़ डेस्क : पवित्र अर्थात हर तरह से शुद्ध स्वभाव, कर्म, मन सभी की शुद्धता ही पवित्रता हैं साफ सफाई के साथ-साथ विचारों की शुद्धता पवित्रता लाती है, किसी स्थान की पवित्रता वहां के इतिहास से नहीं बल्कि स्थान पर किये गए आचरण से होती है। ऊर्जा गुरु अरिहंत ऋषि ने कहा कि हिन्दू धर्म के शास्त्रों के अनुसार हमारी आत्मा को मुक्ति दिलाने के लिए पांच मार्ग निश्चित किये गए हैं। जिनमे से एक धार्मिक नगरी तीर्थ स्थानों पर निवास और मुक्ति के लिए पवित्र नदियों के स्नान को विशेष महत्व दिया गया हैं।
वे धर्म नगरी जहाँ के निवास मात्र से ही सभी पुण्यफल प्राप्त हो जाते हो, वह वास्तव में पवित्र स्थान है भारत में 7 ऐसे शहर है जिन्हें पवित्र उत्तम फल देने वाले माना गया है। इन सात मैं से एक नगर है उज्जयनी, जिसे हम उज्जैन कहते है। ऊर्जा गुरु ने कहा कि भगवान् महावीर की तपस्थली उज्जैन है, श्री कृष्णा ने जिस नगर में शिक्षा ग्रहण की हो, जहां प्रभु महाकाल का शासन चलता हो वह स्थान तो पवित्र है ही, किन्तु इस स्थान को हमेशा पवित्र बनाएं रखने की जिम्मेदारी हमारी हैं। अरिहंत ऋषि ने कहा उज्जैन को पृथ्वी की नाभि कहा गया है। उज्जैन में बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक प्रसिद्ध महांकाल विराजते है। यहां कृष्णा ने शिक्षा प्राप्त की है। इस नगरी में ही हरसिद्धि शक्तिपीठ स्थापित है। यह वही शहर है जहाँ हरिश्चंद्र ने अपनी ही पत्नी से अपने पुत्र की मृत्यु पर निर्धारित कर और कफन मांग लिया था। उज्जैन देवभूमि कहलाती है। यह नगरी सहस्त्रार्जुन की राजधानी रह चुकी है और इस शहर के मध्यभाग से ही पवित्र नदी शिप्रा बहती है इसके तट पर महाकुंभ आयोजित किया जाता हो वह नगरी जहां की धरती पर कदम रखकर ही पुण्यलाभ प्राप्त किया जा सकता हो उस नगर की पवित्रता को प्रमाण की आवश्यकता नहीं है। ऊर्जा गुरु ने कहा कि धार्मिक पुराणों में भी इसका वर्णन है।
ऊर्जा गुरु ने कहा कि धार्मिक मान्यता के अनुसार तो उज्जैन एक पवित्र तीर्थ नगरी है ही किन्तु हम चाहते है कि इसे भारत की आदर्श पवित्र नगरी बनाया जाए । उन्होंने कहा कि हम मध्यप्रदेश सरकार से अपील कर रहे है कि उज्जैन को पवित्र नगरी घोषित किया जाए और यहाँ हर तरह से पवित्रता हो। यहां शुद्धता का विशेष खयाल रखा जाए। साफ सफाई के साथ-साथ सात्विक भोजन और सात्विक आचरण हो मांस मदिरा जहाँ वर्जित हो एक ऐसी धार्मिक नगरी के रूप में उज्जैन को पहचान दिलाई जाए। उन्होंने कहा कि हम पत्र के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री कमलनाथजी से अनुरोध कर रहें हैं कि वे उज्जैन को जल्द से जल्द पवित्र नगरी का दर्जा दिलवाएं। इस मिशन को लेकर ऊर्जा गुरु 10 अप्रैल को उज्जैन पहुंचेंगे। उन्होंने कहा कि यह श्रद्धालुओं की आस्था का सवाल है।
अरिहंत ऋषि ने इस और भी इशारा किया कि अगर सरकार ने उनकी अपील पर ध्यान नहीं दिया तो आंदोलन भी हो सकता हैं ।ऊर्जा गुरु ने कहा कि धार्मिक मान्यता के अनुसार तो उज्जैन एक पवित्र तीर्थ नगरी है ही किन्तु हम चाहते है की इसे भारत की आदर्श पवित्र नगरी बनाया जाए। उन्होंने कहा की हम सरकार से अपील कर रहे है कि उज्जैन को पवित्र नगरी घोषित किया जाए और यहाँ हर तरह से पवित्रता हो । यहां शुद्धता का विशेष खयाल रखा जाए । साफ सफाई के साथ-साथ सात्विक भोजन और सात्विक आचरण हो मांस मदिरा जहाँ वर्जित हो एक ऐसी धार्मिक नगरी के रूप में उज्जैन को पहचान दिलाई जाए।
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