उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बने रहने के लिए लड़ना पर सकता है विधान परिषद का चुनाव

न्यूज़ डेस्क : महाराष्ट्र में 24 अप्रैल से विधान परिषद की नौ सीटें रिक्त हैं। लेकिन कोरोना संकट के चलते निर्वाचन आयोग ने देशभर में चुनाव प्रक्रिया को अनिश्चितकाल के लिए टाल दिया है। हालांकि पहले किसी को इसका अंदाजा नहीं था कि चुनाव टल जाएंगे। चुनाव टलने के बाद उद्धव सरकार को लेकर संवैधानिक पेंच पैदा हो गया है। 

 

 

महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे को विधान परिषद सदस्य मनोनीत करने को लेकर जारी गतिरोध के बीच राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने नया दांव चला है। राज्यपाल ने कोरोना संकट के कारण टल चुके विधान परिषद की नौ सीटों पर चुनाव कराने के लिए निर्वाचन आयोग को पत्र लिखा है। इससे उद्धव ठाकरे को राज्यपाल द्वारा विधान परिषद सदस्य मनोनीत करने को लेकर सस्पेंस बढ़ गया है। वहीं, कोश्यारी की इस मांग पर चुनाव आयोग ने शुक्रवार को बैठक करने का फैसला लिया है। जानकारी के मुताबिक मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक में शामिल होंगे। 

 

 

गुरुवार को राज्य के मंत्री एकनाथ शिंदे व शिवसेना सचिव व मुख्यमंत्री के निजी सहायक मिलिंद नार्वेकर ने राजभवन जाकर राज्यपाल से मुलाकात की। लेकिन, देर शाम राज्यपाल का पत्र सामने आया। राजभवन के प्रवक्ता ने बताया कि राज्यपाल ने चुनाव आयोग से निवेदन किया है कि महाराष्ट्र विधान परिषद की रिक्त नौ सीटों के लिए जल्द से जल्द चुनाव कराए। 

 

इसके मद्देनजर राज्य की कैबिनेट ने पहले नौ अप्रैल को और फिर बीते सोमवार को उद्धव ठाकरे को एमएलसी मनोनीत करने का प्रस्ताव पारित कर राज्यपाल के पास भेजा है। लेकिन जिन दो रिक्त सीट में से एक सीट के लिए उद्धव ठाकरे के नाम की की सिफारिश की गई है उसका कार्यकाल छह जून 2020 को समाप्त हो रहा है। यही वह सांविधानिक पेच है जिसके चलते राज्यपाल उद्धव को एमएलसी मनोनीत करने का निर्णय नहीं ले पा रहे हैं। 

 

राज्यपाल के पत्र में क्या है :राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने निर्वाचन आयोग को लिखे पत्र में कहा है कि महाराष्ट्र में राजनीतिक स्थिरता के लिए विधान परिषद की रिक्त नौ सीटों के लिए चुनाव की घोषणा की जाए। इन सीटों का कार्यकाल 24 अप्रैल को समाप्त हो गया है। केंद्र सरकार ने कोरोना संकट में जारी लॉकडाउन को सरल करने के लिए कई कदम उठाए हैं। इसी दिशा-निर्देश के तहत केंद्र सरकार से बातचीत कर चुनाव की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। चूंकि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे अभी विधानमंडल के किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं इसलिए 27 मई से पहले उन्हें सदन का सदस्य चुना जाना आवश्यक है।

 

मोदी से उद्धव ने की थी फोन पर बात : राज्यपाल के अनिश्चय की स्थिति को देखते हुए अचानक राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई थी। उद्धव ठाकरे ने एमएलसी मनोनीत करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की थी। चर्चा है कि उद्धव ने मोदी से कहा था कि देश में कोरोना संकट के बीच राज्य को अस्थिर करने का प्रयास किया जा रहा है। वहीं, पीएम मोदी ने उन्हें इस पर गौर करने का आश्वासन दिया था।

 

28 मई तक विधायक नहीं बने तो उद्धव को देना होगा इस्तीफा : संविधान के तहत मुख्यमंत्री या मंत्री को शपथ लेने के छह माह के अंदर विधान सभा या विधान परिषद का सदस्य बनना जरूरी है। लेकिन उद्धव ठाकरे अभी तक किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। इसलिए उन्हें 28 मई से पहले विधायक बनना जरूरी है। विधायक नहीं बनने पर उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्र पद से इस्तीफा देना होगा। इसके बाद पुनः सरकार गठन की प्रक्रिया राज्यपाल के फैसले पर निर्भर होगा। 

 

सत्ताधारी तीनों दलों ने भी चुनाव आयोग को लिखा पत्र : इस बीच राज्य की सत्ताधारी तीनों दलों के विधायक दल के नेताओं ने भी चुनाव आयोग को अलग-अलग पत्र भेज कर विधान परिषद की रिक्त नौ सीटों के लिए चुनाव कराने की मांग की है।

 

फडणवीस ने सीएम को दी शुभेच्छा : विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने ट्वीट कर कहा है कि हम राज्यपाल के इस निर्णय का स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि इससे इस बात का भी पालन होगा कि राज्यपाल मनोनित विप सदस्य को मंत्री या मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहिए। फडणवीस ने मुख्यमंत्री ठाकरे को शुभकामना दी। उन्होंने यह भी कहा कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों के खिलाफ टीका टिप्पणी से कोई लाभ नहीं होता। लोकतंत्र में बातचीत से रास्ता निकलता है। 

 

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