राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के श्रम मंत्रियों और श्रम सचिवों का तिरुपति में दो दिवसीय राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन संपन्न

अमृत काल में विजन को आगे बढ़ाने के लिए सम्मेलन में चर्चा किए गए विषयों पर मंत्रालय रोडमैप तैयार करेगा

भारत सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने 25-26 अगस्त 2022 को आंध्र प्रदेश के तिरुपति में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के श्रम मंत्रियों और श्रम सचिवों का दो दिवसीय राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन आयोजित किया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने 25 अगस्त 2022 को वर्चुअल तरीके से उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री श्री भूपेंद्र यादव और श्री रामेश्वर तेली, केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासक, राज्यों के श्रम मंत्री, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के श्रम सचिव और सरकारी अधिकारी उपस्थित थे।

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प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि अमृत काल में एक विकसित राष्ट्र के निर्माण के लिए भारत के सपनों और आकांक्षाओं को साकार करने में भारत की श्रम शक्ति की बहुत बड़ी भूमिका है।

केंद्रीय श्रम मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने सम्मेलन की रूपरेखा सामने रखी और राज्य सरकारों से अपने विचार और सुझाव देने का अनुरोध किया।

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पहला विषयगत सत्र सामाजिक सुरक्षा को सार्वभौमिक बनाने और सभी के लिए रोजगार के अवसरों में सुधार करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा संचालित सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का समावेश कर उसे ई-श्रम पोर्टल के साथ एकीकृत करने पर केंद्रित रहा। 400 से अधिक व्यवसायों से संबंधित 28 करोड़ से अधिक असंगठित श्रमिकों को ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत किया जा चुका है। एसओपी तैयार की जा रही है, जिसके लिए मंत्रालय के तहत राज्यों के सदस्यों के साथ एक समिति गठित की गई है। समिति द्वारा तैयार की गई एसओपी के आधार पर, ई-श्रम डेटा राज्यों के साथ साझा किया जाएगा और राज्य उसे सत्यापित करेंगे। इससे राज्यों को नीतिगत फैसले लेने और कल्याणकारी योजनाओं के कार्यान्वयन में मदद मिलेगी। राज्यों ने अपने विचार व्यक्त किए और विषय पर सुझाव भी दिए।

दूसरे सत्र में स्वास्थ्य से समृद्धि पर चर्चा हुई, जिसमें राज्य सरकारों द्वारा संचालित ईएसआई अस्पतालों के जरिए चिकित्सा देखभाल एवं सेवाओं में सुधार और पीएमजेएवाई के साथ एकीकरण पर बात हुई। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री ने कहा कि ईएसआईसी दिसंबर 2022 तक सभी जिलों में चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार करने के लिए प्रतिबद्ध है और 76 नए अस्पताल बन रहे हैं और राज्य संचालित ईएसआई अस्पतालों के लिए विशेषज्ञों की भर्ती होने वाली है। राज्यों की ओर से कहा गया कि ईएसआईसी सहकारी संघवाद का एक प्रमुख उदाहरण है जहां राज्य और केंद्रीय संस्थान श्रमिकों को स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए मिलकर काम करते हैं। राज्यों ने अस्पतालों की स्थापना के लिए मानदंडों में संशोधन का स्वागत किया। राज्यों से अनुरोध किया गया कि वे आसानी से निर्णय लेने, नए अस्पतालों की स्थापना के लिए मानदंडों में संशोधन के लिए इनपुट, आकांक्षी जिलों में मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की स्थापना के तौर-तरीकों के लिए संस्थाओं का जल्द से जल्द गठन करें।

तीसरा विषयगत सत्र लाइसेंसिंग, पंजीकरण, रिटर्न, निरीक्षण आदि के लिए पोर्टल विकसित करने के साथ-साथ चार श्रम संहिताओं के तहत नियम तैयार करने और उनके कार्यान्वयन के तौर-तरीकों पर रहा। अंतिम विषय ‘विजन श्रमेव जयते @2047’ काम की ओर न्यायसंगत और समान परिस्थितियों पर ध्यान देने के साथ, गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों सहित सभी श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा, काम को लेकर लैंगिक समानता और महिलाओं के लिए बेहतर अवसर पर केंद्रित रहा। इन सत्रों में शामिल मुद्दे थे- व्यवसाय करने में सुगमता और श्रमिकों के लिए जीवन सुगमता, पंजीकरण के लिए एकीकृत पोर्टल का विकास, एक बार लाइसेंस, अनुपालन और रिटर्न; गिग और प्लटफॉर्म श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने में चुनौतियां और इनके समाधान के तरीके; महिला श्रमिकों की भागीदारी में सुधार; कौशल, भविष्य के काम के लिहाज से सीखने की प्रवृत्ति; स्किल गैप मैपिंग और नियोजित माइग्रेशन की सुविधा; सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का स्थायी वित्तपोषण। राज्यों ने नियम बनाने की स्थिति और अहम सुझाव सामने रखे।

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आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित किया। केंद्रीय श्रम मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने राज्यों के विचारों और सुझावों की सराहना की। अमृत काल में विजन को आगे बढ़ाने के लिए सम्मेलन में चर्चा किए गए विषयों पर मंत्रालय रोडमैप तैयार करेगा।

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