वॉशिंगटन। परमाणु समझौते के पालन करने से नाराज अमेरिका के तेवर ईरान के प्रति न केवल सख्त हो गया है बल्कि वहां के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को एक निर्देश में कहा कि उन्होंने निर्धारित किया है कि देशों के लिये पेट्रोलियम और पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति इतनी पर्याप्त है कि वे ईरान से कच्चे तेल की खरीद को काफी हद तक कम कर सकते हैं। अमेरिका पहले की कह चुका है कि पांच नवंबर से ईरान से कच्चे तेल का आयात करने वाले देशों के खिलाफ प्रतिबंध लगाए जाएंगे। गौरतलब है कि इससे पहले मई, 2018 में ट्रंप ने खुद को 2015 में ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते से अलग कर लिया था।
इस समझौते के तहत ईरान को अपना परमाणु कार्यक्रम बंद करने के एवज में आर्थिक प्रतिबंधों से राहत मिली थी। समझौते से बाहर निकलने के तुरंत बाद ट्रंप ने ईरान के खिलाफ नए प्रतिबंधों पर हस्ताक्षर किया था। अपने निर्देश में ट्रंप ने कहा है कि ईरान के अलावा अन्य देशों से पेट्रोलियम और पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति पर्याप्त है और यह ईरान या अन्य विदेशी वित्तीय संस्थानों के माध्यम से खरीदे जाने वाले पेट्रोलियम या पेट्रोलियम उत्पादों की मात्रा में पर्याप्त कमी लाने के लिए काफी है। यह कोई शासनादेश नहीं है, बल्कि एक तरह का निर्देश है जो व्हाइट हाउस द्वारा उनके प्रशासन के सदस्यों कुछ नीतिगत मामलों पर जारी किया गया है।
उल्लेखनीय है कि ट्रंप ने भारत सहित ईरान से तेल खरीदने वाले अन्य सभी देशों को निर्देश दिया है कि वे चार नवंबर तक कच्चे तेल का आयात पूरी तरह बंद कर दें, अन्यथा उन्हें प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा। भारत ने 1.30 अरब की आबादी की ऊर्जा जरूरतों का हवाला देते हुए इस संबंध में अपनी असमर्थता जतायी है। भारत की ऊर्जा आवश्यकता का 80 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा आयातित तेल से पूरा होता है। लेकिन साथ ही भारत ने ईरान से कच्चे तेल के आयात में भारी कमी भी की है। हाल ही में अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस संबंध में भारत से बातचीत भी की थी। हालांकि, उन्होंने इस संबंध में कुछ भी सार्वजनिक नहीं किया। व्हाइट हाउस ने अभी तक इस सवाल का जवाब नहीं दिया है कि ईरान से कच्चे तेल की खरीद में भारत द्वारा की गई कमी क्या भारी कटौती मानी जाएगी। ट्रंप का कहना है कि वह स्थिति पर लगातार नजर बनाए रखेंगे।
Comments are closed.