न्यूज़ डेस्क : त्रिपुरा के कम से कम सात भाजपा विधायक पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व से मिलने और मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब को हटाने की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजधानी में डेरा डाले हुए हैं। विधायकों ने मुख्यमंत्री को तानाशाह, अनुभवहीन और अलोकप्रिय बताया है। सुदीप रॉय बर्मन के नेतृत्व में विधायकों का दावा है कि उनके पास दो और विधायकों का समर्थन है।
60 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 36 विधायक हैं। इंडिजिनस पीपल फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के आठ विधायक भी देब सरकार का समर्थन कर रहे हैं। बर्मन के अलावा, दिल्ली में मौजूद विधायकों में सुशांत चौधरी, आशीष साहा, आशीष दास, दीवा चंद्र रांखल, बर्ब मोहन त्रिपुरा, परिमल देब बर्मन और राम प्रसाद पाल शामिल हैं।
चौधरी ने दावा किया कि बीरेंद्र किशोर देब बर्मन और बिप्लब घोष भी हमारे साथ हैं। उन्होंने कहा कि वे दोनों दिल्ली नहीं आए क्योंकि वे कोरोना संक्रमित हैं। देब के करीबी नेताओं के साथ-साथ त्रिपुरा के भाजपा नेताओं का कहना है कि राज्य सरकार को कोई खतरा नहीं है। त्रिपुरा के भाजपा अध्यक्ष माणिक साहा ने कहा, ‘सरकार पूरी तरह से सुरक्षित है और मैं आपको आश्वासन दे सकता हूं कि सात या आठ विधायक सरकार को नहीं गिरा सकते।’
विधायकों की शिकायत को लेकर उन्होंने कहा, ‘मैंने उनकी शिकायतें नहीं सुनी हैं। भाजपा में हम पार्टी के बाहर ऐसे मुद्दों पर चर्चा नहीं करते हैं।’ मुख्यमंत्री के करीबी सूत्र ने कहा कि आरएसएस नेता राम प्रसाद पाल के विधायकों के साथ जाने की संभावना नहीं है। भाजपा सूत्रों ने कहा कि महासचिव (संगठन) बीएल संतोष ने बर्मन से मुलाकात की और उन्हें अवगत कराया कि शीर्ष पर बदलाव की संभावना नहीं है और जब तक कि प्रधानमंत्री द्वारा पहल नहीं की जाती, पार्टी ऐसे निर्णय नहीं लेगी।
माना जाता है कि प्रधानमंत्री मोदी को देब पर भरोसा है। बागी विधायकों ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह से मिलने की मांग की है। चौधरी ने कहा, ‘हम प्रधानमंत्री के साथ बैठक करेंगे। त्रिपुरा में क्या हो रहा है, इस पर प्रधानमंत्री को अंधेरे में नहीं रखा जा सकता।’ उन्होंने कहा कि उन्होंने नेतृत्व से कहा है कि यदि भाजपा राज्य में लंबे समय तक सत्ता में बने रहना चाहती है तो देब को बदलना चाहिए।
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