परिवहन निगमों को चालू वित्त वर्ष में 40 फीसदी तक कम हो सकती है कमाई : इक्रा

इक्रा ने कहा, सार्वजनिक परिवहनों में यात्रियों की संख्या बढ़ाना सबसे बड़ी चुनौती

राज्य सरकारों को करनी होगी वाहन मालिकों को वित्तीय मदद

 

 

न्यूज़ डेस्क : कोविड-19 संक्रमण के कारण सड़क परिवहन निगमों (आरटीएस) की कमाई में चालू वित्त वर्ष में 35-40 फीसदी गिरावट आएगी। रेटिंग एजेंसी इक्रा ने बुधवार को कहा कि 23 मार्च, 2020 से देशभर में पूरी तरह लॉकडाउन था। कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए देश के कई हिस्सों में लॉकडाउन बढ़ाया गया, जिससे सार्वजनिक परिवहन का परिचालन प्रभावित हुआ। इससे परिवहन निगमों को वित्तीय रूप से बड़ा नुकसान हुआ।

 

 

रेटिंग एजेंसी ने कहा, अनलॉक खत्म होने के बाद परिवहन निगमों के सामने सबसे बड़ी चुनौती सार्वजनिक परिवहनों में यात्रियों की संख्या बढ़ाना है, जिसके लिए कई उपाय करने होंगे। इन उपायों में यात्रियों और कर्मचारियों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम, बसों का समय-समय पर सैनिटाइजेशन कराना और 50 फीसदी यात्रियों के साथ परिचालन करना भी शामिल है।

 

 

संक्रमण के कारण परिचालन ठप रहने और तमाम उपायों पर होने वाले खर्च का असर परिवहन निगमों की कमाई पर पड़ेगा और उन्हें 2020-21 के दौरान 40 फीसदी तक नुकसान उठाना पड़ सकता है। इक्रा ने कहा कि इस संकट से उबरने के लिए कई परिवहन निगमों को संबंधित राज्य सरकारों से तब तक वित्तीय मदद की जरूरत होगी, जब तक वे परिचालन खर्च निकालने में सक्षम नहीं हो जाते हैं। परिचालन खर्च में अत्यधिक निश्चित लागतों की हिस्सेदारी ज्यादा होती है।

 

 

वाहन उद्योग को स्थानीयकरण के लिए बनानी होगी रूपरेखा

सलाहकार फर्म ईवाई ने कहा कि भारतीय वाहन उद्योग के पास आगे बढ़ने के लिए कई मौके हैं। हालांकि, इसके लिए निर्यात और घरेलू बाजार पर ध्यान केंद्रित करना होगा। साथ ही उद्योग को स्थानीयकरण पर जोर देते हुए इसके लिए एक रोड मैप बनाना होगा।

 

 

सलाहकार फर्म ने रिपोर्ट में कहा, ‘मेक इन इंडिया’ जैसी पहल से आयात प्रतिस्थापन और स्थानीय विनिर्माण के जरिए उद्योग की सालाना कमाई 30,000 रुपये से ज्यादा है। ईवाई पार्टनर एवं ऑटोमोटिव क्षेत्र के प्रमुख विनय रघुनाथ ने कहा, तेजी से विकसित हो रहे मोबिलिटी तंत्र, सख्त उत्सर्जन नियम, व्हीकल कनेक्टिविटी एवं सुरक्षा पर ज्यादा फोकस और ई-मोबिलिटी पर जोर देने से निकट अवधि में आयात का अंतर बढ़ेगा। हालांकि, उद्योग के सभी हितधारकों के ठोस प्रयासों और मजबूत नींव से अंतर को कम किया जा सकता है।

 

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