नई दिल्ली। इस वक्त बिहार की राजनीति मुख्य केंद्र में है, जहां चारा घोटाले के एक मामले में लालू यादव को सजा सुनाए जाने के बाद से हंगामा मचा हुआ है। वैसे भी अगर कोई मामला लालू यादव से जुड़ा हो तो विवाद अपने आप जुड़ जाता है। मगर करोड़ों के चारा घोटाले मामले में एक के बाद एक हो रहे खुलासों से एक बार फिर राजनीति का काला चेहरा सामने आया है। सत्ता और पैसे की ताकत के सामने कोई भी नहीं टिकता है। चाहे वो देश की न्यायिक प्रणाली से जुड़े लोग ही क्यों ना हों।
जालौन के कलेक्टर ने भी किया जज को फोन
लालू यादव को जेल से बरी करने की सिफारिश करने वालों की एक लंबी लिस्ट है, जिसमें शामिल एक और नाम का खुलासा हुआ है और वो हैं जालौन के कलेक्टर साहब। लालू यादव को बचाने के लिए उन्होंने सीबीआइ के स्पेशल जज शिवपाल सिंह को फोन किया था। उन्होंने कहा था, ‘आप लालू का केस देख रहे हैं, जरा देख लीजिएगा।’ मगर शिवपाल सिंह अपने फैसले पर अडिग रहे और अब हर कोई उनके हिम्मत की दाद दे रहा है।
जज के मामले से भी जुड़ा है यह विवाद
लालू यादव के खिलाफ फैसला सुनाने वाले जज शिवपाल सिंह उत्तर प्रदेश स्थित जालौन जिले के शेखपुर खुर्द गांव के रहने वाले हैं। गांव में कुछ लोगों ने उनकी जमीन पर कब्जा जमा लिया। विरोध करने पर उनके भाई सुरेंद्र पाल सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया गया। विरोधी जमीन पर कब्जा कर खेती कर रहे हैं। साथ ही जबरन जमीन से चक रोड निकाल दिया है।
शिवपाल सिंह ने खुद जिला कलेक्टर से न्याय मांगा, लेकिन समस्याएं दूर नहीं हुई। छह नवंबर, 2015 को वहां के तत्कालीन एसडीएम ने जमीन को मुक्त कराने का निर्देश दिया था। इसके बाद बीडीओ और ग्राम प्रधान की उपस्थिति में 1700 रपए का पत्थर लगवाया गया, इसे भी विरोधियों ने उखा़़डकर फेंक दिया। एसडीएम, तहसीलदार, सीओ और कोतवाल ने कोई कार्रवाई नहीं की तो जज ने डीएम से मदद मांगी, लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिला। 12 दिसंबर, 2017 को डीएम और एसपी से शिकायत की तो डीएम ने कहा, ‘आप झारखंड में जज हैं न, आप कानून पढ़कर आएं। उन्होंने यह भी कहा कि वे एसडीएम के आदेश को नहीं मानेंगे।’
बचाव में मन्नान अख्तर ने दी सफाई
हालांकि जालौन के डीएम डा. मन्नान अख्तर ने जज से लालू यादव के पक्ष में सिफारिश करने की बात से इंकार किया है। उनका कहना है कि उन्होंने न तो किसी की सिफारिश की है और न ही उनके मामले में कानून पढ़कर आएं जैसी बात कही है।
जालौन के एसडीएम ने भी किया इंकार
वहीं जालौन के एसडीएम भैरपाल सिंह ने भी अपनी सफाई दी है। उन्होंने कहा कि न तो लालू प्रसाद के मामले में मैंने कोई फोन किया और न ही ऐसी कोई टिप्पणी ही की है। मैं किसी भी सीनियर अफसर या न्यायिक अधिकारी से इस तरह की बात कर ही नहीं सकता हूं। इन बातों में कोई सच्चाई नहीं है। जज साहब, ऐसा क्यों कह रहे हैं, मैं नहीं जानता हूं।
सेवादारों के जेल पहुंचने से मचा हंगामा
आपको बता दें कि चारा घोटाले में मामले में लालू यादव को साढ़े तीन साल की सजा सुनाई गई है। वह रांची स्थित बिरसा मुंडा जेल में है। मगर उनसे पहले ही उनके सेवादारों के जेल पहुंचने से भी हंगामा मचा हुआ है। कहा जा रहा है कि मारपीट के फर्जी मामलों के तहत लालू यादव के दो सेवादार जेल पहुंच गए, इनमें उनका एक पुराना रसोइया भी शामिल है। इस कांड को लेकर भी लालू यादव मुश्किल में फंस सकते हैं। फिलहाल मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
News Source :- www.jagran.com
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