भोपाल : प्रदेश में टिकट के दावेदार इस विधानसभा चुनाव में सोशल मीडिया पर घर बैठे समर्थन जुटा रहे हैं। पहले की तरह टिकट के दावेदार भोपाल और दिल्ली में अपने आकाओं के चक्कर लगाने के बजाय सोशल मीडिया का सहारा ले रहे हैं। सोशल साइट पर ऑनलाइन प्रबंधन के जरिये दावेदार सैकड़ों का समर्थन जुटा रहे हैं। यह मुफ्त में नहीं है। सोशल मीडिया पर इन दावेदारों ने ऑनलाइन ऑफर खरीदे हैं।
पिछले कुछ दिनों से जिले के दोनों दलों के चर्चित नाम सोशल मीडिया पर भी छाए हैं। उल्लेखनीय है कि सोशल मीडिया की एक साइट ने जाने-अनजाने तक समर्थन जुटाने के लिए ऑनलाइन ऑफर दिया है। बकायदा इस ऑफर में दावेदारों को कितने लोगों तक अपनी बात पहुंचाना है यह पैकेज व्यवस्था दी गई है। इस नई व्यवस्था से दावेदारों में नया आत्मविश्वास जागा है।
पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया यूजर खुद चकित हैं कि जिनसे वे जुड़े नहीं, उनके पेज लाइक करने के लिए प्रस्तावित हो रहे हैं। भोपाल (ईएमएस)। प्रदेश में टिकट के दावेदार इस विधानसभा चुनाव में सोशल मीडिया पर घर बैठे समर्थन जुटा रहे हैं। पहले की तरह टिकट के दावेदार भोपाल और दिल्ली में अपने आकाओं के चक्कर लगाने के बजाय सोशल मीडिया का सहारा ले रहे हैं। सोशल साइट पर ऑनलाइन प्रबंधन के जरिये दावेदार सैकड़ों का समर्थन जुटा रहे हैं।
यह मुफ्त में नहीं है। सोशल मीडिया पर इन दावेदारों ने ऑनलाइन ऑफर खरीदे हैं। पिछले कुछ दिनों से जिले के दोनों दलों के चर्चित नाम सोशल मीडिया पर भी छाए हैं। उल्लेखनीय है कि सोशल मीडिया की एक साइट ने जाने-अनजाने तक समर्थन जुटाने के लिए ऑनलाइन ऑफर दिया है। बकायदा इस ऑफर में दावेदारों को कितने लोगों तक अपनी बात पहुंचाना है यह पैकेज व्यवस्था दी गई है।
इस नई व्यवस्था से दावेदारों में नया आत्मविश्वास जागा है। पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया यूजर खुद चकित हैं कि जिनसे वे जुड़े नहीं, उनके पेज लाइक करने के लिए प्रस्तावित हो रहे हैं। राजधानी के एक वेब डेवलपर की माने तो सोशल मीडिया पर पोस्ट को स्पांसर्ड बनाकर अलग-अलग वर्गों के लोगों तक पहुंचा जा सकता है। इसके लिए प्रतिदिन में निर्धारित संख्या तक यूजर्स को टारगेट किया जा सकता है।
यहां तक कि पोस्ट को आप क्षेत्र और किस आयु वर्ग के लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं, यह भी निर्धारित कर सकते हैं। एक अन्य वेब डिजाइनर और सॉफ्टवेयर विशेषज्ञ का कहना है कि अभी तक के चुनाव में इस तरह का प्रयोग देखने को नहीं मिला था। न्यूनतम राशि में कम से कम एक हजार यूजर दावेदार को देख पा रहे हैं। दावेदारों का मानना है कि इसमें से कुछ प्रतिशत लोग प्रभावित होकर पोस्ट को लाइक, कमेंट और शेयर भी कर रहे हैं।
इस तरह की गतिविधियों पर निर्वाचन कार्यालय में गठित मीडिया मॉनीटरिंग कमेटी भी निगाह रखे हुए है। बावजूद इसके हजारों रुपए दावेदार अन्य माध्यमों से भी खर्च कर रहे हैं। आचार संहिता से जनप्रतिनिधि और दावेदार चाहे सार्वजनिक परिसरों में नहीं जा पा रहे हैं
परंतु सोशल मीडिया के जरिये वे कहीं कन्या भोज तो कहीं गरबा पंडालों में अपनी उपस्थिति शुभकामनाओं के जरिये दिखा रहे हैं। इन पेजों पर बकायदा भीड़ में दावेदारों के चेहरे प्रमुखता से बोल्ड साइज में बनाए जा रहे हैं। दोनों प्रमुख पार्टियों के दावेदारों के लिए सॉफ्टवेयर विशेषज्ञ और डिजाइनर जुटे हुए हैं।
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