नई दिल्ली । आरुषि-हेमराज हत्याकांड में नौ साल बाद आए इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले ने इसे देश की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री में से एक बना दिया है। सवाल अब भी वही है कि आखिर आरुषि-हेमराज को 15-16 मई की रात को किसने मारा? लेकिन यह बात ही लोग जानते होंगे कि दिल्ली से सटे गाजियाबाद में हुआ सार्थक हत्याकांड भी आरुषि जैसा है और इन दोनों हत्याकांड में काफी समानताएं हैं।
सबसे बड़ी समानता तो यही है कि आरुषि और सार्थक हत्याकांड को आठ साल से अधिक हो चुके हैं, लेकिन दोनों ही अनसुलझे हैं। बता दें कि आरुषि तलवार की हत्या 15-16 मई, 2008 की रात हुई थी, जबकि सार्थक की मौत 5 फरवरी, 2009 को दिन में ही हुई थी।
आठ साल बाद भी सार्थक हत्याकांड की जांच निरर्थक
5 फरवरी, 2009 को राजनगर में हुए साढ़े चार साल के मासूम सार्थक हत्याकांड को आठ साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन यह सवाल अब भी पुलिस को चिढ़ा रहा है कि साढ़े चार साल के उस मासूम को आखिर किसने मारा था, ठीक आरुषि हत्या की तरह। पुलिस ने भी इस मामले में फाइनल रिपोर्ट लगाकर मान लिया है कि अब इस केस में वह कुछ नहीं कर सकती है।
जानें क्या हुआ था अपार्टमेंट के फर्स्ट फ्लोर पर पर
घटनाक्रम के मुताबिक, 5 फरवरी, 2009 को दिल्ली से सटे राजनगर में सेक्टर-8 के अपार्टमेंट के फर्स्ट फ्लोर पर रहने वाले डॉ. राजेश चावला दोपहर में खाना खाने के बाद शाम करीब 4 बजे मुकुंदनगर स्थित अपने क्लीनिक के लिए निकले थे।
वहीं, उसी शाम करीब 6 बजे उनके घर में बर्तन साफ करने वाली महिला पहुंची। उसने फ्लैट का दरवाजा खटखटाया,लेकिन अंदर से किसी की आवाज नहीं आई।
अनहोनी की आशंका के चलते घरेलू सहायिका ने गेट पर तैनात गार्ड को जानकारी दी। डरते-सहमते गार्ड ओमबीर ने खिड़की से अंदर झांका तो कमरे में डॉक्टर की पत्नी डॉ. दीप्ति चावला खून से लथपथ पड़ी थीं।
वह यह देखकर और चौंक गया कि डॉ. दीप्ति चावला के पास ही उनका साढ़े चार साल का बेटा सार्थक भी खून से लथपथ पड़ा था। पुलिस किसी तरह लॉक तोड़कर कमरे में पहुंची।
सूचना पर पहुंची पुलिस ने मौके पर पाया कि सार्थक का सिर कुचला हुआ था। उसके मांस के टुकड़े दीवारों पर भी चिपके थे। पास ही चाकू, हथौड़ी, पेचकस सहित अन्य सामान फैला था। दीप्ति के दोनों हाथों की नसें कटी थीं।
इतना ही नहीं, दीप्ति के शरीर के 18 हिस्सों में चोट के गंभीर निशान थे, जो चाकू के वार लग रहे थे। पुलिस ने दीप्ति को हॉस्पिटल पहुंचाया और सार्थक के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा। इस बीच डॉक्टर राजेश भी घर पहुंच गए।
जानें आरुषि-सार्थक हत्याकांड में समानताएं
-दोनों हत्याकांड उत्तर प्रदेश से जुड़े हैं।
-दोनों ही मामलों में पिता का नाम राजेश है। जहां आरुषि के पिता का नाम राजेश तलवार है तो वहीं, सार्थक के पिता का नाम राजेश चावला है।
– सबसे बड़ी बात कि दोनों के माता-पिता पेश से डॉक्टर हैं।
– सार्थक और आरुषि हत्याकांड में खुलासा बर्तन धोने वाली घरेलू सहायिकाओं के आने के बाद हुआ।
-दोनों ही मामलों में दो लोगों की हत्या की कोशिश हुई। पहले मामले में आरुषि और हेमराज को मारा गया, जबकि सार्थक हत्याकांड में सार्थक की मौत हो गई, वहीं मां दीप्ति जिंदा हैं।
– सार्थक और आरुषि दोनों में जांच एजेंसियों ने फाइनल रिपोर्ट दाखिल कर डेड एंड की बात कही।
News Source: jagran.com
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