न्यूज़ डेस्क : तेजी से बदल रही जीवनशैली और खानपान में अनियमितता के कारण लोगों को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। दिल से जुड़ी बीमारी भी इन्हीं समस्याओं में से एक है। हमारी गलत आदतों के वजह से ही हृदय के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है। हालांकि, योगा के कुछ खास आसनों का अभ्यास कर दिल की बीमारियों से छुटकारा पा सकते हैं। योगा के अभ्यास से आपके फेफड़े मजबूत होते हैं और श्वास प्रक्रिया बेहतर होती है, जो दिल के लिए भी फायदेमंद साबित होता है। इतना ही नहीं हाई ब्लड प्रेशर की समस्या में भी योग करने से राहत मिलती है। तो आइए जानते हैं उन योगासनों के बारे में, जिनके अभ्यास से दिल बिल्कुल स्वस्थ रहेगा…
शवासन
शवासन करने के लिए जमीन पर चटाई बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं। अब अपने दोनों पैरों को फैलाते हुए पैरों के बीच अंतर लाएं। इस दौरान आपके पैरों के पंजे बाहर की तरफ और एड़ियां अंदर की तरफ होनी चाहिए। अब आप दोनों हाथों को भी शरीर से लगभग एक फिट की दूरी पर रखें। अपनी हाथों की अंगुलियां आकाश की तरफ रखें और गर्दन को सीधा रखें। अब धीरे-धीरे अपनी आंखों को बंद कर लें और धीरे-धीरे सांस खींचें और छोड़ें। अपनी आंखों को बंद कर सांसों पर ध्यान दें और मन में गिनती करते जाएं। एक सांस में एक गिनती करें और ऐसा करते हुए 100 तक गिनती करें और फिर उठ जाएं। शवासन करते समय पूरे शरीर को ढीला छोड़ देते हैं। शवासन का मतलब ही होता है शव जैसा आसन।
त्रिकोणासन
हृदय को स्वस्थ रखने में त्रिकोणासन बहुत मददगार है। इस आसन को करने से वजन भी कम होता है। मोटे लोगो के लिए यह आसन बेहद फायदेमंद है। त्रिकोणासन करने से श्वास फैलते ही छाती गहरी और लयबद्ध हो जाती है। इस आसन को करने के लिए सबसे पहले अपने पैरों को चौड़ा करके सीधे खड़े हो जाएं। इसके बाद अपनी रीढ़ की हड्डी को मोड़ लें और अपने हाथ को नीचे रख लें। इसके बाद अपना दाहिना हाथ ऊपर कर लें। अब अपने दाहिने हाथ की उंगली को देखें। 15 से 20 सेकंड के बाद सीधे हो जाएं। अब इसी विधि को बाएं हाथ और बाएं पैर से करें।
पवनमुक्तासन
पवनमुक्तासन का अभ्यास करना बेहद ही आसान है। इस आसन को करने के लिए सबसे पहले जमीन पर पीठ के बल लेट जाएं और अपने हाथों को शरीर के बगल में सीधा कर लें। अब गहरी सांस लें और सांस छोड़ते हुए अपने दाएं घुटने को अपनी छाती के पास लें जाएं। अब अपने घुटनों को हाथ से पकड़कर अपने पेट पर दबाएं। अब दोबारा सांस लें और छोड़ते हुए सर और छाती को जमीन से ऊपर उठाएं। अब अपने ठोड़ी को अपने दाएं घुटने से लगा लीजिए। इस आसन को करते वक्त इस बात का ध्यान दें कि सांस छोड़ते वक्त आपके घुटनों की पकड़ ढ़ीली नहीं होनी चाहिए।
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